भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज अमित शाह ने भाजपा विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री नायब सैनी को विधायक दल का नेता चुन लिया। इस प्रकार जो सस्पेंस बना हुआ था कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, वह समाप्त हो गया। इसके पश्चात भी प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म है, क्योंकि मुख्यमंत्री के कई दावेदार थे। इनमें से आज अनिल विज ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैं भाजपा का सच्चा सिपाही हूं। भाजपा मुझे चाहे चौकीदार की जिम्मेदारी दे, मैं उसे भी खुशी से निभाउंगा।

बता दें कि विधायक दल की बैठक में कृष्ण बेदी ने नायब सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा और अनिल विज ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया।

इसी प्रकार राव इंद्रजीत सिंह भी उसी मंच पर विराजित थे। वह भी पहले दक्षिणी हरियाणा से मुख्यमंत्री की जबरदस्त मांग रखे हुए थे और कह रहे थे कि बिना दक्षिणी हरियाणा के भाजपा हरियाणा में सरकार नहीं बना सकती। तीनों सरकारों में दक्षिणी हरियाणा का पूरा योगदान रहा है।

चर्चाओं में तो यह भी आया था कि राव इंद्रजीत सिंह अपने समर्थक विधायकों को एकत्रित कर दबाव बना पद प्राप्त करना चाहते हैं परंतु उन्होंने भी सब बातों को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह सब मीडिया की उपज है। इस प्रकार यह दोनों प्रमुख मुख्यमंत्री के दावेदार शांत पड़ गए।

अब देखना यह होगा कि यह आज अमित शाह के सामने ही किसी मजबूरीवश मौन रहे या दिल से नायब सैनी को मुख्यमंत्री मान लिया। अभी मंत्रियों के नाम घोषित नहीं हुए हैं। उनके लिए भी बड़ी लॉबिंग हो रही है। कल शपथ ग्रहण समारोह एक प्रकार से भाजपा का शक्ति प्रदर्शन होगा, जिसे सफल बनाने के लिए सारी सरकार प्रयासरत है। जिसमें भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और अनेक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे।

मैं ज्योतिष का विशेष जानकार तो नहीं लेकिन फिर भी आज की तारीख में सूर्य केतु के साथ है और चंद्रमा राहू के आगोश में। हालांकि कल प्रात: सूर्य राशि बदल बुध के साथ आ जाएगा। बुध तो आज भी अस्त है और सूर्य जीरो अंश पर अपनी नीच राशि में प्रवेश कर जाएगा। अब इसका क्या असर पड़ेगा, मैं कुछ विश्वस्त तरीके से नहीं कह सकता लेकिन यह अवश्य कह सकता हूं कि सूर्य सत्ता का कारक होता है और वह अच्छी स्थिति में है नहीं।

जब 13 मार्च को नायब सैनी मुख्यमंत्री बने थे तो अनिल विज विधायक दल की बैठक छोड़ चले गए थे। इसकी प्रकार राव इंद्रजीत सिंह यदि जिद छोडक़र भाजपा का अनुसरण करते हैं तो अहीरवाल में उनकी व्यक्तिगत छवि को बहुत नुकसान होने की संभावना है। ऐसी स्थिति में यह भी संभव है कि जब बहुमत साबित करना हो तो विधायक विधानसभा सदन से अनुपस्थित रह जाएं। सवाल समय के गर्भ में है शायद कल कुछ पता चलेगा।

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