टिकट नहीं मिलने से दावेदार दूसरी पार्टी की टिकट पर बने उम्मीदवार

टिकट की घोषणा के साथ चुनाव के अनेक दावेदार हो गए भूमिगत

इस बात से इनकार नहीं और भी अधिक बेहतर कांग्रेस का होता प्रदर्शन

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम / पटौदी । बड़ी पुरानी और चर्चित कहावत है सांप निकल गया, लकीर पीटने से कोई फायदा नहीं। लेकिन अनुभवी लोगों का यह भी कहना है लकीर बहुत कुछ बता भी देती है । हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ ही पटौदी आरक्षित विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम सभी के सामने है । जितनी एकता, भाईचारा, अखंडता और कांग्रेस की जीत का संकल्प वाला पत्र लिखा गया , यह पत्र वास्तव में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस पर भारी के नाम लिखा गया। इसको पहुंचाने के लिए टिकट के दावेदार व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस मुख्यालय भी पहुंचे।

पटौदी विधानसभा सीट पर चुनाव परिणाम यह चुगली कर रहा है, कि कांग्रेसी नेताओं और टिकट के दावेदारों की यह कागजी एकता धरातल पर पूरी तरह से गायब हो गई या एकता के दावेदार समर्थकों सहित गायब हो गए । खास बात यह है कि पत्र को लिखने वालों में ऐसे नेता भी शामिल है जिनके द्वारा दो-दो विधानसभा क्षेत्र से टिकट के लिए दावेदारी कांग्रेस हाई कमान के सामने की गई । इसी कड़ी में ऐसे नेता भी शामिल है जो कांग्रेस के टिकट नहीं मिलने पर बगावती होकर दूसरी पार्टी के उम्मीदवार बनाकर अपनी जमानत जप्त करवाने वालों में नाम दर्ज करवा चुके हैं। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी के नाम पत्र में साफ-साफ नेता विशेष दंपति को चुनाव की टिकट का विरोध करते हुए कहा गया है। जिसको भी टिकट मिलेगी, हम सभी की उस उम्मीदवार के साथ सहमति है। टिकट के दावेदारों के द्वारा हस्ताक्षर पत्र में साफ-साफ लिखा गया है चुनाव के लिए अपना बीच में से ही किसी को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है या फिर कांग्रेस पार्टी से सामूहिक रूप से इस्तीफा भी दे देंगे । 11 सितंबर मध्य रात्रि तक टिकट और उम्मीदवार के नाम की घोषणा का इंतजार बेसब्री से बना रहा। 12 सितंबर को सुबह उम्मीदवार का नाम सभी के सामने आ चुका था।

इससे पहले जब हरियाणा मांगे हिसाब पद यात्रा में दीपेंद्र हुड्डा पटौदी पहुंचे थे, तो भी पटौदी से कांग्रेस टिकट के दावेदार समर्थकों के साथ पहुंचे। ऐसा महसूस किया गया की जिस प्रकार का जोश टिकट के दावेदारों तथा उनके समर्थकों में बना हुआ है ,यही विधानसभा चुनाव में मतदान के दिन तक बना रहा तो पटौदी से कांग्रेस की जीत में किसी को कोई शंका नहीं होनी चाहिए । समय बीता टिकट और उम्मीदवार के नाम की घोषणा हो गई । इसके बाद का घटनाक्रम और भी अधिक हैरान करने वाला बनकर सामने आया । नामांकन से लेकर मतदान के दिन तक के घटनाक्रम को देखा जाए तो अंतिम समय में सांसद एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा के आगमन पर केवल मात्र कांग्रेस टिकट के दो नेता दावेदार का चेहरा ही दिखाई दिया । ऐसा नहीं है पत्र में हस्ताक्षर करने वाले सभी टिकट के दावेदार कांग्रेस उम्मीदवार अथवा नेता भूमिगत रहे ? कुछ ऐसे चेहरे भी शामिल रहे जो की कांग्रेस उम्मीदवार के साथ प्रचार में लोगों के बीच निरंतर पहुंचते रहे। जानकारी के मुताबिक एक नेता के द्वारा अपना नामांकन किया जाना और नामांकन वापस लेने से पहले बुलाई गई पंचायत और इस पंचायत में माइक से लेकर मोबाइल फोन के संवाद भी कहीं ना कहीं एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

राजनीति के जानकारों  के मुताबिक कांग्रेस खेमे में अपनी-अपनी ढपली और अपना-अपना राग तथा टिकट से वंचित नेताओं का भूमिगत रहना, भाजपा सरकार से नाराज वोट बैंक को कांग्रेस के पक्ष में नहीं करना मुख्य कारण है । कथित रूप से दूसरी तरफ चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता के अभाव सहित पक्षपात के आरोप लगाते हुए भी कांग्रेसी कमान के द्वारा चुनाव आयोग को अपना विरोध दर्ज करवाया जा चुका है । फिर भी 2024 के विधानसभा चुनाव में पटौदी आरक्षित विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी और उम्मीदवार 51748 वोट लेने में सफल रही। इससे पहले 2019 में कांग्रेस पार्टी को 18994 तथा इससे पहले 2014 में केवल मात्र 15652 वोट ही प्राप्त हो सके थे । बहरहाल चुनाव को भी एक प्रतियोगिता कहा गया है और इसमें विजेता और उपविजेता का फैसला जनता जनार्दन के द्वारा किया जाता है । अभी और भी मौके आएंगे, निकट भविष्य में गुरुग्राम नगर निगम, मानेसर नगर निगम और पटौदी जाटोली मंडी नगर परिषद के चुनाव होना भी प्रस्तावित है । चुनाव परिणाम का पोस्टमार्टम करते हुए भविष्य के होने वाले चुनाव में और अधिक बेहतर प्रदर्शन करने की रणनीति पर अभी से काम करना ही बेहतर रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!