कांग्रेस में शामिल होने पर अशोक तंवर की पहली प्रतिक्रिया, बीजेपी पर निशाना साधते हुए क्या कुछ कहा?

अवंतिका, ब्रदर इन लॉ और ‘भगवान की इच्छा’…अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी की इनसाइड स्टोरी

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के प्रचार के आखिरी दिन प्रदेश में कुछ ऐसा हुआ, जिसका अनुमान शायद किसी राजनीतिक पंडित ने लगाई होगी। गुरुवार तीन अक्टूबर को अशोक तंवर ने पांच साल बाद फिर से कांग्रेस में घर वापसी कर ली। हैरानी की बात तो ये है कि जिस भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मतभेद के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ी थी, उसी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पटका पहनाकर फिर से कांग्रेस में उनका स्वागत किया। इसके बाद तंवर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि हरियाणा में वो जाति और धर्म का सहारा ले रही है। लेकिन राहुल गांधी ने यात्रा निकालकर लोगों को एक करने का काम किया है। 

राहुल गांधी की रैली चल रही थी। अशोक तंवर महेंद्रगढ़ पहुंच चुके थे। वह रैली स्थल पर जहां भोजन की व्यवस्था की गई थी वहां बैठकर इंतजार करने लगे। शायद किसी संकेत या बुलावे का इंतजार था। इस दौरान उनका भाषण खत्म हुआ। मंच पर भाषण देने वाले शख्स ने लोगों को थोड़ा और इंतजार करने के लिए कहा। फिर एकाएक सब हैरान हो गए। क्योंकि सामने अशोक तंवर थे। 

वही, अशोक तंवर जिन्होंने पांच साल पहले कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और मौजूद समय में वह भाजपा में थे। हैरान करने वाली बात तो यह है कि कांग्रेस का दामन थामने से चंद घंटे पहले वह जींद के सफीदों से भाजपा प्रत्याशी के लिए रैली करके आए थे और वोट मांगे थे। लेकिन अब लोगों के मन में सवाल है कि ऐसा क्या हुआ कि अशोक तंवर कांग्रेस पार्टी में दोबारा लौट आए।

दरअसल, कांग्रेस पार्टी में अशोक तंवर की वापसी में 3 लोगों का अहम हाथ है। इसमें उनकी पत्नी अवंतिका तंवर, दिल्ली से कांग्रेस नेता अजय माकन और राहुल गांधी। इन तीनों की वजह से अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी हुई है। अशोक तंवर की कांग्रेस वापसी में कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन का रोल काफी अहम रहा। क्योंकि उन्हीं के जरिये हाईकमान तक बात पहुंची और फिर हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच दलित वोटरों को संदेश देने के लिए आलाकमान ने भी तंवर की वापस की राह आसान कर दी। यानी विधानसभा चुनाव का समय भी उनकी वापसी में बड़ा फैक्टर रहा। अपनी कांग्रेस में वापसी पर अशोक तंवर ने मीडिया से कहा कि यह ‘भगवान की इच्छा’ है। साथ ही पार्टी छोड़ने के सवाल पर भी उनका कुछ ऐसा ही जबाव था।

गौरतलब है कि अजय माकन, अशोक तंवर की पत्नी अवंतिका माकन के कजिन हैं और वह ललित माकन की बेटी हैं। ऐसे में अवंतिका की भूमिका भी रही। अवंतिका पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की नातिन हैं। अवंतिका और अशोक के 2 बेटे और एक बेटी है। अशोक तंवर मूल रूप से झज्जर के चिमनी गांव के रहने वाले है। इसके अलावा, वह राहुल गांधी के पहले से ही बड़े करीब रहे हैं। उधर, दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान ने तंवर की वापसी को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी जानकारी दी थी और कुमारी शैलजा को भी बताया गया था। इसी सिलसिले में कुमारी शैलजा गुरुवार को दिल्ली में 10 जनपथ सोनिया गांधी से मिलने भी गई थी। हालांकि, शैलजा ने मीडिया तब इस मुद्दे पर कोई बात नहीं कही थी।

अशोक तंवर के भाजपा छोड़ने पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि पार्टी ने तो उन्होंने लोकसभा चुनाव में टिकट भी दी थी, लेकिन वह क्यों कांग्रेस में चले गए। इसका जवाब है कि तंवर का सियासी करियर अब भंवर में फंस गया था। क्योंकि वह लोकसभा चुनाव में हार के बाद विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन भाजपा ने टिकट नहीं दिया और ऐसे में अब उन्हें अपने सियासी करियर को लेकर संशय था। उधर भाजपा द्वारा शैलजा को लेकर बनाया जा रहा माहौल को राहुल गांधी एक झटके में तोड़ना चाहते थे। यह भी बड़ी वजह उनकी वापसी में बनी।

कब छोड़ी थी कांग्रेस

गौरतलब है कि 5 साल पहले 2019 में अक्तूबर महीने की 5 तारीख को अशोक तंवर ने कांग्रेस को अलविदा कहा था। 2019 के चुनाव में टिकट आवंटन में तवज्जो ना मिलने पर उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए थे और कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी तकरार रही है। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी लॉन्च की, फिर वह ममता बनर्जी की पार्टी के साथ हो लिए। यहां पर भी जब बात नहीं बनी तो तंवर ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा। 

हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अशोक तंवर भाजपा में चले गए। भाजपा ने उन्हें सिरसा से लोकसभा चुनाव में उतारा था, लेकिन वह कुमारी शैलजा से ढाई लाख के करीब वोटों से हार गए थे। अशोक तंवर कभी हरियाणा में कांग्रेस का बड़ी दलित चहेरा था। यहां तक कि वह प्रदेशाध्यक्ष भी रहे थे। लेकिन कुमारी शैलजा की तरह हुड्डा से भी उनकी तकरार थी। अशोक तंवर ने हरियाणा के सिरसा से साल 2009 में लोकसभा चुनाव जीता था। इसके बाद, 2014 में वह चुनाव हार गए। बाद में उन्हें 2014 में हरियाणा कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। 2019 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे थे।

क्या है 3 अक्टूबर का गेम?

अशोक तंवर ने तीन अक्टूबर 2019 को कांग्रेस छोड़ी थी और पांच साल बाद तीन अक्टूबर 2024 को फिर से कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है। अशोक तंवर के तीन तारीख को ही पार्टी छोड़ना और पांच साल बाद तीन तारीख को ही पार्टी में शामिल होना महज एक इत्तेफाक है, या फिर इसके पीछे कुछ राज है।

खैर इस तीन अक्टूबर के गेम के बारे में तो अब अशोक तंवर ही बता पाएंगे। लेकिन उनके इस फैसले से भाजपा को बहुत बड़ा झटका लगा है। अशोक तवंर ने कांग्रेस ज्वाइन करने के 40-45 मिनट पहले तक भाजपा के पक्ष में प्रचार किया।

कांग्रेस में शामिल होने से पहले उन्होंने आधिकारिक एक्स अकाउंट से पोस्ट शेयर कर ये तक दावा कर दिया कि प्रदेश में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनेगी। हालांकि, उसके कुछ ही देर बाद उन्होंने खुद पार्टी छोड़ दी।

यूं चला अशोक तंवर के ‘आयाराम गयाराम’ का दौर

अशोक तंवर ने पांच साल पहले कांग्रेस के साथ बगावत की थी। उन्होंने तीन अक्टूबर 2019 को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था और पांच अक्टूबर को कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके बाद 26 फरवरी 2021 को अशोक तंवर ने ‘अपना भारत मोर्चा’ पार्टी बनाई थी।

हालांकि, इसके बाद वो तृणमूल कांग्रेस फिर आम आदमी पार्टी और उसके बाद भाजपा में शामिल हो गए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ हरियाणा में चुनावी मंच साझा करने के एक दिन बाद पूर्व सांसद अशोक तंवर शुक्रवार को कांग्रेस में औपचारिक रूप से शामिल हुए। पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कांग्रेस मुख्यालय में तंवर का स्वागत किया और उन्हें संविधान की एक प्रति भी सौंपी।

माकन ने तंवर का पार्टी में औपचारिक रूप से स्वागत करते हुए कहा, ”हम सभी ने संविधान की रक्षा करने का प्रण लिया है। हम देश के संविधान और बाबासाहेब अंबेडकर के सिद्धांतों की रक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। हमें आशा है कि अशोक तंवर जी के आने से इन प्रयासों को और बल मिलेगा।”

तंवर ने कहा, ”मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से हुई। कुछ समय के लिए मैं भाजपा में शामिल हो गया था, लेकिन वहां देश के संविधान और बाबासाहेब के प्रति कोई आस्था नहीं है।”

पूर्व सांसद ने कहा, ”आज मैं फिर देश जोड़ने और संविधान बचाने की लड़ाई में राहुल गांधी जी के साथ खड़ा हूं। मैं हरियाणा के दलितों, वंचितों और पिछड़ों से अनुरोध करता हूं कि हरियाणा को फिर नंबर एक बनाने के लिए यहां कांग्रेस की सरकार बनाएं।”

बीजेपी में संविधान के प्रति आस्था नहीं है

अशोक तंवर ने कहा, ”राहुल गांधी संविधान को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं. भारत जोड़ो यात्रा ने देश को दिशा देने का काम किया है। देश और आगे जाएगा, जब कांग्रेस मजबूत होगी। पूरा देश चाहता है कि राहुल गांधी देश का नेतृत्व करें। हरियाणा के दलित और पिछड़ों से आग्रह करते है कि कल वोंटिग होनी है, हरियाणा को मजबूत करें।”

हरियाणा में शनिवार को वोट डाले जाएंगे। तंवर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन गुरुवार को महेंद्रगढ़ जिले में राहुल गांधी की रैली में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस में शामिल होने से कुछ घंटे पहले सिरसा के पूर्व सांसद अशोक तंवर ने सफीदों विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था। वहीं, हरियाणा चुनाव 2024 के लिए प्रचार के आखिरी दिन फिर से कांग्रेस में वापसी कर ली है।

नेताओं ने भी दिए रिएक्शन

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अशोक तंवर का कांग्रेस में शामिल होने पर करनाल में कहा कि अशोक तंवर का कांग्रेस में स्वागत है। उन्हें मैंने ही पटका पहनाया था। उधर, भाजपा नेता और पूर्व मंत्री अनिल विज ने अशोक तंवर के पार्टी छोड़ने पर कहा,”अशोक तंवर प्रवासी पक्षी है और डाल-डाल पर जाना उनका चरित्र है। ऐसे लोग किसी के भी नहीं होते हैं। अगर हमारा नहीं था तो कांग्रेस का भी नहीं था, इसलिए ऐसे लोगों के आने-जाने से रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता।”

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