हरियाणा चुनाव में अहीरवाल में ‘पर्ची और खर्ची’ के दावे का तोड़ कांग्रेस ने लेकर आई भाजपा अटैची संस्कृति

बाजरा समर्थन मूल्य पर वोट मांग रहे बीजेपी प्रत्याशी 

रोहतक विकास और जाट लैंड के युवकों को नौकरी का हौव्वा भी दिखाया जा रहा है

अब पीएम नरेंद्र मोदी ने घेरा, कांग्रेस ने दिया ये जवाब

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी ‘पर्ची और खर्ची’ शब्द का उपयोग करते हुए कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। वहीं रोजाना नए-नए मुद्दे सामने आ रहे हैं। 5 अक्टूबर 2024 को हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों पर चुनाव होने है, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रदेश में एकबार फिर कमल खिलाने की बड़ी चुनौती रहेगी। जानें आखिर क्या है वो बड़े मुद्दे, जो मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व भाजपा के लिए खड़ी कर सकते हैं मुसीबतें।

इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में अभी तक का सबसे बड़ा मुद्दा पर्ची और खर्ची बना है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने हैं। अहीरवाल में भाजपा प्रत्याशी बड़े जोरों से पर्ची खर्ची की चर्चा कर रहे हैं। अपने प्रचार अभियान में वह जनता को यह भी हौव्वा दिखाते हैं कि यदि कांग्रेस को वोट दिया तो दोबारा से जाट लैंड के लोगों को सारी नौकरियां मिलेगी और अहीरवाल के युवा वंचित रह जाएंगे।

इसके जवाब में कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी की अटैची संस्कृति की चर्चा कर रहे हैं। भाजपा के लोग दक्षिणी हरियाणा की मुख्य फसलें बाजरा और सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी जनता को बताते हैं। यहां वह जिस बात की चर्चा करते हैं वहां एक बड़ी चूक कर रहे हैं। इन दोनों फसलों के खरीद में हरियाणा और राजस्थान की तुलना की जाती है जबकि दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं। इस तरह वह हरियाणा की भाजपा सरकार को श्रेष्ठ और राजस्थान सरकार को फेल बता रहे हैं। 

दोनों राजनीतिक दलों की तरफ से सोशल मीडिया पर नौकरियों के मामले में प्रचार किया जा रहा है, तो वहीं अब भाजपा ने कांग्रेस प्रत्याशियों के वायरल हो रहे वीडियो को जारी किया है। 

पीएम ने बार-बार इस बात का जिक्र किया है कि 2004 से 2014 तक प्रदेश में 10 साल की कांग्रेस सरकार में बिना भ्रष्टाचार के नौकरी मिलना आसान नहीं था। बुधवार को सोनीपत में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा कि भ्रष्ट कांग्रेस ने हरियाणा को लूटा है। हरियाणा चुनाव के लिए कुरुक्षेत्र में हुई पीएम की पहली रैली में उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार ने इस खर्ची, पर्ची सिस्टम को खत्म कर दिया और पारदर्शिता के साथ 1.5 लाख सरकारी नौकरियां दी हैं।”

हरियाणा चुनाव के अपने घोषणापत्र में भी भाजपा ने इस बारे में बात की है और युवाओं को बिना खर्ची-पर्ची के दो लाख स्थायी सरकारी नौकरियां देने का वादा किया है।

‘खर्ची और पर्ची’ का मतलब क्या है, कैसे चर्चा में आया?

हरियाणा में होने वाले इस चुनाव में सभी दलों और उम्मीदवारों का एक आम वादा है कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो ‘पक्की नौकरी’ देंगे। भाजपा ने उचित प्रक्रिया के साथ 2 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया है, तो कांग्रेस ने 2 लाख खाली सरकारी पदों को भरने का वादा किया है। आईएनएलडी और बसपा ने एक जॉब कैलेंडर जारी किया है जिसमें पहले साल में एक लाख सरकारी नौकरियों और 21,000 रुपये प्रति माह बेरोजगारी भत्ते का वादा किया गया है।

भाजपा के मुताबिक कांग्रेस के शासन में रोजगार पर्ची के ज़रिए मिलता था यानी सत्ता में बैठे लोगों की सिफारिशों के आधार पर नौकरी मिल जाती थी। दूसरा शब्द खर्ची यानी रिश्वत था। बीजेपी का मानना है कि कांग्रेस शासन में यही भ्रष्टाचार होता था। भाजपा का दावा है कि कांग्रेस के शासन में यह व्यवस्था इतनी व्यवस्थित थी कि अलग-अलग पदों के लिए रिश्वत की अलग-अलग दरें तय की जाती थीं।

क्या बीजेपी आने के बाद यह खत्म हुआ है?

हरियाणा भाजपा नेताओं का दावा है कि बीजेपी सरकार ने “पर्ची और खर्ची” पर रोक लगाई और पारदर्शी प्रणाली के ज़रिए से योग्यता के आधार पर 1.43 लाख पदों पर भर्ती की है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने कांग्रेस के दो कार्यकालों की तुलना में ज़्यादा नौकरियां भी दी हैं। नवंबर 2022 में अपनी सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पर्ची, खर्ची सिस्टम को समाप्त करने का दावा किया। भाजपा के लोग उदाहरण देकर जन स्वास्थ्य विभाग में पंप ऑपरेटरों के पदों को लेकर कांग्रेस राज्य में की गई भर्तियों की विशेष चर्चा करते हैं।

हरियाणा की पूर्व हु्ड्डा सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में करीब 85 हजार सरकारी नौकरियां दी थीं। तो वहीं भाजपा सरकार ने अपने दस साल के कार्यकाल में 1,47,000 सरकारी नौकरियां दी हैं। वहीं पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने प्रदेश में बिना पर्ची-बिना खर्ची नौकरी देने को लेकर नारा भी जारी किया था। फिलहाल वर्तमान समय में हरियाणा में करीब 2 लाख पद सरकारी विभागों में खाली हैं। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों ने अपने-अपने घोषणा पत्रों में इन पदों को भरने का वादा किया है।

कांग्रेस प्रत्याशियों के वीडियो वायरल

बता दें कि कांग्रेस प्रत्याशी शमशेर गोगी और नीरज शर्मा के नौकरी संबंधी वीडियो वायरल होने वाला मामला अभी तक थमा नहीं था कि कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। अब भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को पूरी तरह से भुनाने की तैयारी कर ली। वायरल वीडियो में कुलदीप शर्मा बोल रहे हैं कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों की भी नौकरी लगवाई है।

बीजेपी ने बनाया मुद्दा

उन्होंने कहा कि हुड्डा साहब इसी खर्ची-पर्ची के जरिए गांव के लोगों को नौकरी देने का काम करेंगे। वहीं कुलदीप शर्मा ने गांव वालों से कहा कि उनके गांव को जो भी हिस्सा बनता है, उसका 20 फीसदी अधिक मिलेगा। जब स्थानीय लोगों ने बरवाला विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी राम निवास घोड़ेला को मंच पर ही भाषण देने से रोका, तो राम निवास घोड़ेला ने कहा कि तुझे वोट दिया और तूने पर्ची पर साइन नहीं किया।

सीएम ने किया कटाक्ष

नौकरियों के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं का वीडियो वायरल होने पर भाजपा लगातार इस मुद्दे को लगातार भुना रही है। वहीं सीएम नायाब सैनी ने कांग्रेस नेताओं का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कांग्रेस पार्टी का ध्येय वाक्य ‘लूटा था, लूटेंगे नौकरी खर्ची-पर्ची से बांटी थी और बाटेंगे।’ सीएम ने आगे लिखा ये हैं गन्नौर से कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप शर्मा।

कांग्रेस इस पर क्या जवाब देती है?

हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता ने भाजपा पर बिना किसी सबूत के आरोप लगाने का आरोप लगाया और कहा कि यहां कोई खर्ची और पर्ची प्रथा नहीं थी। भाजपा झूठ बोल रही है और फर्जी वीडियो शेयर कर रही है। कांग्रेस सरकार ने पारदर्शी तरीके से भर्तियां की थीं। यह भाजपा सरकार ही है जिसने नौकरी देने के लिए पैसे लेने की ‘अटैची संस्कृति शुरू की।” भाजपा सरकार के रोजगार रिकॉर्ड पर प्रवक्ता का कहना है कि यह केवल अस्थायी नौकरियां दे रही है। हरियाणा कौशल रोजगार निगम की ओर से दी गई नौकरियों में आरक्षण का कोई ध्यान नहीं रखा जाता या यूं कहे उसे यहां अनदेखा किया जा रहा है।

किसान आंदोलन का प्रभाव

1. किसान आंदोलन का प्रभाव: हरियाणा में किसान आंदोलन का काफी असर रहा है, खासकर पश्चिमी हरियाणा में। ऐसे में कृषि कानूनों के विरोध के चलते किसान समुदाय का भाजपा से मोहभंग हो सकता है, जो मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और भाजपा सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है। 

जाट वोट बैंक

2. जाट वोट बैंक: जाट समुदाय का हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बड़ा अहम रोल रहता है, क्योंकि यह प्रदेश का एक बड़ा वोट बैंक है।  भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दुष्यंत चौटाला और अभय सिंह जैसे नेताओं की चुनौतियों के बीच भाजपा को इस समुदाय का समर्थन प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है। 

स्थानीय मुद्दे

3. स्थानीय मुद्दे, महंगाई और रोजगार: महंगाई, बेरोजगारी, बाजरा- सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद, नहरी पानी समान वितरण और आर्थिक विकास से जुड़े मुद्दे हरियाणा के युवाओं के लिए प्राथमिकता हैं। यदि भाजपा इन समस्याओं का समाधान प्रभावी तरीके से नहीं हल करने में सफल नहीं होती, तो यह एक चुनौती साबित हो सकता है।

आंतरिक कलह

4. आंतरिक कलह और गुटबाजी: हरियाणा भाजपा में आंतरिक गुटबाजी की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं। चुनाव के समय ये मतभेद पार्टी की एकता और प्रभावशाली चुनाव प्रचार में बाधा डाल सकते हैं। इसके साथ ही जननायक जनता पार्टी का बीजेपी से अलग होना मौजूदा सरकार के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।

क्षेत्रीय दलों का उभार

5. क्षेत्रीय दलों का उभार: दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी, ईनेलो और अन्य छोटे दल हरियाणा में भाजपा के लिए चुनौती बन सकते हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां स्थानीय मुद्दों पर क्षेत्रीय दलों की पकड़ मजबूत है।

भारतीय पहलवानों की नाराजगी

6. भारतीय पहलवानों की नाराजगी- ओलंपिक मेडलिस्ट विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया जैसे स्टार पहलवानों का बृजभूषण सिंह के मुद्दे को लेकर बीजेपी से नाराजगी और फिर कांग्रेस का दामन थामना बीजेपी के लिए युवा वोट बैंक को अपनी ओर साधने में बाधा डाल सकता है। 

विरोधी दलों की एकजुटता

7. विरोधी दलों की एकजुटता: अगर कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल, जजपा और अन्य छोटे दल एक साथ आकर गठबंधन बनाते हैं, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट पैदा कर सकता है।

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