गुडग़ांव, 24 सितम्बर (अशोक) : बिजली चोरी के मामले में निचली अदालत द्वारा दिए गए फैसले को बिजली निगम की चुनौती देने वाली अपील को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जगदीप सिंह की अदालत ने खारिज कर दिया है। डीएलएफ फेस 2 के उपभोक्ता विजय पाल सिंह के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिजली निगम द्वारा 28 अप्रैल 2015 को उसकेे आवास पर लगे बिजली के मीटर को उतारकर बिजली निगम ने अपनी लैबोरेट्री में जांच कराई गई थी। यह मीटर उसके पिता देवेंद्र सिंह के नाम पर था और मीटर सेे छेड़छाड़ कर बिजली चोरी करने के आरोप लगाए गए थे। बिजली निगम ने एक लाख 84 हजार 607 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था। जिसका उसके पिता ने विरोध भी करते हुए कई पत्र बिजली निगम के अधिकारियों को लिखे थे, लेकिन उनका कोई जबाव अधिकारियों ने नहीं दिया था। उसे अधिकारियों ने धमकी दी कि यदि जुर्माना राशि का भुगतान न किया गया तो उसका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा। इस डर से उसने जुर्माना राशि का भुगतान बिजली निगम को कर अदालत में बिजली निगम के खिलाफ केस दायर कर दिया था।

अधिवक्ता का कहना है कि तत्कालीन सिविल जज सुमित्रा कादियान की अदालत ने बिजली चोरी के मामले को गलत करार देते हुए बिजली निगम को आदेश दिए थे कि जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान 24 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को किया जाए, लेकिन बिजली निगम ने अदालत के आदेश का पालन नहीं किया। जिस पर उपभोक्ता ने अदालत में एग्जिक्यूशन पिटीशन दायर कर दी थी। अदालत ने बिजली निगम का बैंक अकाउंट अटैच कर दिया था तो बैंक ने उपभोक्ता को 5 लाख 27 हजार 656 रुपए का ड्राफ्ट जारी कर दिया था। अदालत में मामले के चलते 6 दिसम्बर 2022 को देवेंद्र सिंह का निधन हो गया था। उनके पुत्र विजय पाल सिंह ने सभी कानूनी कार्यवाही की। बिजली निगम ने भी निचली अदालत के आदेश को जिला एवं सत्र न्यायालय में 3 मार्च 2021 को अपील दायर कर चुनौती दी थी। अपील पर सुनवाई करते हुए उक्त अदालत ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए बिजली निगम की अपील को खारिज कर दिया है। अधिवक्ता का कहना है कि अब उपभोक्ता बिजली निगम के खिलाफ अदालत में ह्रासमेंट का केस दायर करेगा।

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