-कमलेश भारतीय

-आओ संजय ! आज क्या क्या समाचार लाये हो वत्स?
महाराज धृतराष्ट्र ने संजय की पदचाप पहचान कर प्रश्न पूछा ।

महाराज पहले एक लौटा जल पी लूं । कड़ी धूप में चल कर आ रहा हूँ और इस वर्ष तो आप जानते ही हैं कि गर्मी ने कीर्तिमान बनाया है ।
-हां, वत्स ! यह तो बहुत सही कहा !

-लीजिए, महाराज, पहला समाचार आज महाभारत की रणभूमि से यह है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हरियाणा चुनाव में पधार चुके हैं !

-क्या कहा? पूर्व मुख्यमंत्री? कब? बताया नहीं पहले संजय ?
महाराज धृतराष्ट्र ने आश्चर्य व्यक्त किया ।

-महाराज मैं बताना भूल गया क्योंकि चुनाव महाभारत की भूलभुलैयां में उलझा रहा । पिछले दिनों लगभग छह माह बाद हरियाणा के लाल अरविंद केजरीवाल को कारागार से कुछ समय के लिए मुक्त कर दिया गया तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद को त्यागते हुए आतिशी को मुख्यमंत्री बना दिया !

-अब समझा कि क्या परिवर्तन आया है दिल्ली में यानी अपने हस्तिनापुर में !
-जी, महाराज ! अब अरविंद केजरीवाल हरियाणा के चुनाव में कह रहे हैं कि उन्हें बदनाम करने के कारागार में डाल दिया गया ! मुझे कारागार में बंदी बनाकर मेरा साहस तोड़ने का प्रयास किया गया ! पर मैं डिगा नहीं क्योंकि हरियाणा का छोरा ठहरा !

-कोई अन्य समाचार? किसी दूसरे दल के शिविर की बात?
-महाराज ! कांग्रेस की सांसद सुश्री सैलजा अज्ञातवास से बाहर आ गयी हैं और अब वे कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में जायेंगीं !

-यह तो कांग्रेस के लिए राहत की बात होगी, संजय?
-नहीं महाराज ! कांग्रेस की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है ।

-कैसी समस्या?
-वही महाराज ! मुख्यमंत्री बनने का दावा अभी भी कर रही हैं !

-चलो, किसी और शिविर में ले चलो, संजय ! महाराज ने व्यग्रता से कहा !
-चौ बंसीलाल के वंशजों के कारण जनता बहुत दुविधा में है, महाराज !

-क्यों? क्या हुआ वहां?
-चौ बंसीलाल के पौत्र अनिरुद्ध और पौत्री श्रुति चौधरी आमने सामने आ डटे हैं, जैसे अपनी महाभारत में कौरव व पांडव आ डटे थे !

-ओह! हर युग में महाभारत है !
-तोशाम की प्रजा दुविधा में है कि चौ बंसीलाल के किस वंशज को अपना समर्थन दे !

-यह दुविधा तो सही है, संजय !
-कोई अन्य महत्वपूर्ण बात?

-महाराज! हाईकोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व विधायक सुरेन्द्र पंवार की गिरफ्तारी को अवैध बता दिया है !

-अरे ! इतना दुष्चक्र ?
-जी महाराज ! तभी तो कुछ राष्ट्रीय प्रकोष्ठों को सत्ता के पिंजरे के तोते कहा जाने लगा है !

-चलो संजय ! आज की दिव्य दृष्टि इतने समय के लिए ठीक है । कल फिर आना समय पर !
-जी महाराज ! चलता हूँ अब मैं भी !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

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