चुनावी मेनिफेस्टो में वादों को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधनों का उल्लेख करना चाहिए — एडवोकेट हेमंत 

चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशानुसार कांग्रेस सहित हर  राजनीतिक दल को  अपने  चुनावी मेनिफेस्टो में शामिल  लोकलुभावन वादों को पूरा करने के लिए   जुटाए जाने वाले  वित्तीय संसाधनों का भी स्पष्ट उल्लेख करना चाहिए — एडवोकेट हेमंत 

चंडीगढ़ — आगामी 15 वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनाव के दृष्टिगत कांग्रेस पार्टी द्वारा बुधवार 18 सितम्बर को  जारी अपने  चुनावी घोषणा-पत्र में महिलाओं को प्रतिमाह दो हजार रुपये देना, पांच सौ रुपये में गैस-सिलेंडर, बुढ़ापा पेंशन को दोगुना कर प्रतिमाह छ: हजार रुपये करना, हर परिवार को प्रतिमाह 300 यूनिट फ्री बिजली, 25 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज, गरीबों को 100 गज का प्लाट, साढ़े तीन लाख रुपये की लागत से 2 कमरों का मकान आदि कई  लोकलुभावन वादों को  शामिल किया गया है. 

बहरहाल, इस विषय पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार (9416887788) का कहना है कि निस्संदेह कांग्रेस सहित हर राजनीतिक दल अपने अपने  चुनावी मेनिफेस्टो  में   मतदाताओ को रिझाने एवं वोट प्राप्त करने के लिए   लोकलुभावन घोषणाएं करने  एवं  फ्री-रेवड़ियाँ  इत्यादि बांटने के वादे करने के लिए  सक्षम है

हालांकि इस सम्बन्ध में जिस ओर  किसी का ध्यान नहीं जाता है, वह यह है कि वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार नामक केस में  दिए गये  आदेश की अनुपालना में  भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा देश के सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से परामर्श करने के उपरान्त  उन दलों द्वारा जारी किये जाने वाले   चुनावी घोषणापत्रों सम्बन्धी  कुछ दिशा-निर्देश जारी किये गए तहे  और इस सम्बन्ध में  आदर्श आचार संहिता के पैरा 8 में उल्लेख किया गया. हर चुनावी मेनिफेस्टो जारी होने के तीन दिनों के भीतर  सम्बंधित राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) द्वारा हिंदी/अंग्रेजी में वह  प्राप्त किया जाना चाहिए. राजनीतिक दल को यह भी घोषणा करनी  होती है कि उसका  घोषणापत्र आयोग द्वारा जारी आचार संहिता की अनुपालना  करता है.  बहरहाल, हेमंत ने बताया कि चुनाव आयोग द्वारा जारी एक  दिशा-निर्देश  यह भी है कि चुनावी वादों  में पारदर्शिता और विश्वसनीयता के हित में ऐसी अपेक्षा की जाती   है कि लोकलुभावन वादों आदि को घोषणा-पत्र में शामिल करने के औचित्य को स्पष्ट करने के साथ साथ  उन्हें पूरा करने के  लिए जुटाए जाने वाले संभावित  वित्तीय संस्थानों आदि का भी उल्लेख किया जाए. मतदाताओं का  विश्वास उन्ही चुनावी वादों पर  प्राप्त किया जाना चाहिए जो वास्तव में पूरे किये जा सके.  हेमंत ने इसी वर्ष 2 जनवरी 2024 को  भारतीय चुनाव आयोग द्वारा देश के सभी मुख्य सचिवों, मुख्य चुनाव आधिकारियों और सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक  दलों के पदाधिकारियों को इस सम्बन्ध में जारी पत्र का हवाला देते हुए बताया कि दुर्भाग्यवश आयोग के दिशा-निर्देशों की अनुपालना नहीं की जा रही है. —

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