प्रत्याशी ने मंच से कहा सत्ता में आने से पहले ही नौकरियों का कोटा तय

फरीदाबाद एनआईटी के कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा ने मंच से कहाः हुड्डा साहब सत्ता में आए तो 2 लाख नौकरियां देंगे और दो हजार मेरे कोटे की

कांग्रेस की समझ से बाहर है मेरिट, वोट से डब्बा भरो, नौकरी लो

पर्ची-खर्ची पर फिर घिरे हुड्डा, युवाओं का सौदा कर डाला

चंडीगढ़ 18 सितंबर। नौकरियों को बेचने वाली कांग्रेस की मुसीबत बढ़ गई है। फरीदाबाद एनआईटी के कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा ने मंच से खुलकर बोला है कि कांग्रेस ने सत्ता में आने से ही नौकरियों का कोटा तय कर दिया है। नीरज शर्मा ने मंच से बोला है कि खुला चैलेंज करता हूं कि हुड्डा साहब सत्ता में आए तो 2 लाख नौकरियां देंगे और दो हजार मेरे कोटे की हैं। 50 वोट पर एक नौकरी पक्की है, ये मेरिट का सिस्टम अपनी समझ से बाहर है। कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा के इस बयान ने कांग्रेस और हुड्डा के नौकरी बेचने वाले कारनामे को साबित कर दिया है। इस बयान पर कांग्रेस चौतरफा घिर सकती है।

कांग्रेस प्रत्याशी के बयान से कांग्रेस कार्यकाल में पर्ची और खर्ची से दी जाने वाली नौकरियों का काला सच उजागर हो गया है। वहीं भाजपा बिना पर्ची और बिना खर्ची युवाओं को नौकरी देने की बात कर रही है। कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा ने खुलकर कहा कि ये मेरा फैसला नहीं है, मैंने सभी से इजाजत ले ली है। हुड्डा साहब से मेरी सिफारिश थी कि 50 वोट पर एक नौकरी मिले। इस इलाके को नौकरी की सबसे ज्यादा जरूरत है और जो भी गांव वोट से सबसे ज्यादा डिब्बा भरेगा उसे उतनी ही ज्यादा नौकरी मिलगी। मतलब साफ है कि कांग्रेस प्रत्याशी ने जीतने से पहले ही मंच से नौकरियां बेच भी दी और कोटा भी तय कर दिया। अब कांग्रेस सत्ता में आई तो यह तय है कि युवाओं  को बिना रुपयों के नौकरी नहीं मिलेगी।

पर्ची-खर्ची से नौकरी देने में हुड्डा पहले ही घिरे

नौकरियों को बेचने, खर्ची-पर्ची से नौकरी देने और नौकरियों में क्षेत्रवाद को लेकर कांग्रेस और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भाजपा लगातार हमलावर है। भाजपा लगातार कहती आ रही है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने युवाओं को बिना रुपये नौकरी नहीं दी और एक खास क्षेत्र से युवाओं को नौकरी में तरजीह दी। अब कांग्रेस का सच सामने आ गया है। फरीदाबाद एनआईटी से कांग्रेस प्रत्याशी ने कहा है कि असली सौदा नौकरी का है, हुड्डा की सरकार आई तो, मेरिट पर नहीं बल्कि खर्ची-पर्ची के हिसाब से मिलेगी नौकरी। चुनाव से पहले ही कांग्रेस के मंसूबे साफ दिखने लगे हैं, कि कैसे ये प्रतिभाशाली युवाओं को दरकिनार कर, जुगाड़ और खर्ची पर्ची के सहारे नौकरी देने की योजना बना रहे हैं।

ये सच जानना भी जरूरी

नौकरियों को लेकर हिसाब मांग रही कांग्रेस खुद ही कटघरे में खड़ी हो गई है। हरियाणा में कांग्रेस के 10 साल और भाजपा के 10 साल में नौकरी देने का अंतर लगभग दोगुना है। भाजपा ने कांग्रेस के मुकाबले लगभग दोगुनी नौकरी युवाओं की दी है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस के 2004 से 2014 तक शासन में कुल 86 हजार 67 युवाओं को नौकरी दी गई, जबकि भाजपा ने 2014 से 2024 तक के कार्यकाल में 1 लाख 46 हजार सरकारी नौकरियां दी गई। इसका बड़ा कारण यह भी है कि कांग्रेस के शासन में नौकरी पाने के लिए युवाओं को रुपये देने पड़ते थे और नेता जी की सिफारिश करवानी पड़ती थी। पर्ची बनती थी और नेता से लेकर अधिकारियों की जेब गर्म होती थी तब जाकर युवाओं को नौकरी मिलती थी। पूरा प्रदेश जानता है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन में एक विशेष क्षेत्र के युवाओं को नौकरी मिली, नेताओं के रिश्तेदारों को नौकरी मिलती थी। अब फिर पर्ची खर्ची में हुड्डा को उन्हीं के नेता ने मुसीबत में डाल दिया है।  भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में रोजगारों की कमी और खर्ची-पर्ची से भर्तियों से लगा दाग कांग्रेस के दामन से छुड़ाए नहीं छूट रहा है।

भाजपा ने फॉर्मल सेक्टर में 1.60 करोड़ नौकरियां, कांग्रेस में सिर्फ 46.20 लाख थी

सरकार द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में रोजगार की मांग और आपूर्ति के लिए डिजिटल पोर्टल बनाए गए। ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस के शासन में 46.20 लाख फॉर्मल सेक्टर की नौकरियां दी गई थी, जबकि भाजपा शासन में यह आंकड़ा बढ़कर 1.60 करोड़ हो गया। यह आंकड़ा भी दोगुने से ज्यादा है। भाजपा ने सरकारी नौकरी के साथ-साथ रोजगार के सृजन में हर क्षेत्र का ध्यान रखा और पूरी प्लानिंग से युवाओं को रोजगार दिया।

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