धर्मार्थ ट्रस्ट की 9 कनाल 9 मरला ऐतिहासिक संपत्ति बिक्री मामले की अब एसडीएम को सौंपी जांच

-उपायुक्त ने भिवानी एसडीएम को नियुक्ति किया प्रकरण की जांच के लिए जांच अधिकारी, सप्ताह भर में रिपोर्ट की तलब

-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने की थी उपायुक्त को मामले की लिखित शिकायत

भिवानी, 18 सितंबर। शहर के आजाद नगर स्थित भोलाराम डालमिया धर्मार्थ ट्रस्ट की करीब 200 साल पुरानी ऐतिहासिक संपत्ति को बेचने की तैयारी मामले में उपायुक्त महावीर कौशिक ने जांच भिवानी एसडीएम को सौंप दी है। एसडीएम को जांच अधिकारी बनाते हुए इस पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा सौंपा गया है वहीं उन्हें एक सप्ताह के अंदर अपनी रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए हैं ताकि इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

दरअसल स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने उपायुक्त को शिकातय दी थी। जिसमें उसने बताया था कि आजाद नगर कॉलोनी के लोगों ने संगठन के समक्ष एक लिखित शिकायत देकर अनुरोध किया था कि भोलाराम डालमिया धर्मार्थ ट्रस्ट की करीब 200 साल पुरानी संतित्त जिसके अंदर समाध और दो ऐतिहासिक कुएं और प्राचीन शिव मंदिर बना हुआ है। उसे बेचने की तैयारी की जा रही है। धर्मार्थ ट्रस्ट की 9 कनाल 9 मरला ऐतिहासिक संपत्ति की बिक्री के लिए बाकायदा 11 लाख 25 हजार रुपये की स्टॉप ड्यूटी का भी भुगतान किया गया है। इस ऐतिहासिक धरोहर को भूमाफिया के चंगुल से बचाने के लिए आजाद नगर कॉलोनी के लोगों ने स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के समक्ष गुहार लगाई थी। जिसके बाद ही इस मामले में उपायुक्त को तथ्यों सहित शिकातय दी गई। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि करीब 200 साल पुरानी ऐतिहासिक संपत्ति को राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर उसे बेचने की कोशिश की गई है। इस संबंध में वसीका भी तैयार कराई गई। जिसे सब रजिस्ट्रार ने मामला उजागर होने के बाद स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। इसी प्रकरण में अब उपायुक्त ने मामले की जांच भिवानी एसडीएम को सौंप दी है। जो इस मामले से जुड़े सभी पहलुओं की जांच करेंगे।

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि इस मामले में राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की पूरी मिलीभगत है। इसके बिना धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति को बिक्री करने के दस्तावेज तैयार कराने के बाद लाखों रुपयों की स्टाप ड्यूटी का भुगतान कराना संभव नहीं है। बृजपाल सिंह परमार ने इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच के बाद दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की मांग की है वहीं ऐतिहासिक संपत्ति बिक्री मामले में खरीददार और बिक्री करने वालों पर भी एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए।

गैर मूमकिन भूमि को खेती की भूमि बताकर कराई जा रही थी रजिस्ट्री,लाखों के स्टाॅप घालमेल का अंदेशा

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि धर्मार्थ ट्रस्ट की गैर मूमकिन भूमि को खेती की भूमि दर्शाकर इसकी बिक्री का प्रयास किया जा रहा था। जिसमें स्टाॅप का भी घालमेल का अंदेशा है, क्योंकि कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर कम और गैर मूमकिन भूमि पर अधिक स्टॉप लगता है। धर्मार्थ ट्रस्ट की भूमि बिक्री की कोशिश में 11 लाख 25 हजार की स्टॉप डयूटी भी जमा कराई गई है। जबकि कलेक्टर रेट के हिसाब से भी यहां के रेट तय किए जाने पर स्टॉप कहीं अधिक का बनता है। ऐसे में ऐतिहासिक भूमि बिक्री के प्रयास में स्टॉप चोरी का भी प्रयास हुआ है। जिस प्रकरण की भी विस्तृत जांच कराई जाए तो कई अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।

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