सीएम कुर्सी को लेकर राव इंद्रजीत सिंह भी मैदान में, पंडित रामबिलास ने  दिया आशीर्वाद 

भाजपा से बागी अटेली से संतोष यादव ने नामांकन वापस लिया

उत्तर तथा दक्षिण हरियाणा में कुर्सी को लेकर बयानबाजी तेज

पीएम मोदी की कुरुक्षेत्र रैली फीकी, रैली से खट्टर रहे बाहर

भारती सैनी,  राजीव जैन व राजकुमार सैनी का नामांकन वापिस

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में विधानसभा चुनाव दिन प्रतिदिन फंसता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरियाणा में किया गया चुनाव का श्री गणेश असरकारक नहीं रहा। कुरुक्षेत्र रैली फीकी रहने के कारण भाजपा की चिंताएं अधिक बढ़ गई है। 9 वर्षों तक प्रदेश में शासन करने वाले मनोहर लाल खट्टर न केवल खुद गायब नजर आए बल्कि उनका कोई फोटो भी वहां नहीं देखा गया। हरियाणा में यदि टिकट वितरण में उनका बड़ा हाथ रहा है पर एक खट्टर का गायब होना भी चर्चा का विषय बन गया है। दूसरी और भारतीय जनता पार्टी अपने बाकी प्रत्याशियों को मनाने में जुटी है। उनमें से चार लोगों ने आज अपना नामांकन वापस ले लिया है। राजकुमार सैनी, भारती सैनी व राजीव जैन ने अपने फार्म वापस ले लिए हैं।

बीजेपी के केंद्र में बहुमत गंवाने के बाद अब पार्टी आलाकमान के दबदबा कम होता दिखाई दे रहा है। जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के नेता अब शीर्ष नेतृत्व को आंखे दिखाने लगे हैं। भाजपा द्वारा अपमानित होने के बावजूद पार्टी में बने रहने वाले पंडित रामबिलास शर्मा ने भी राव इंद्रजीत सिंह को मुख्यमंत्री पद का आशीर्वाद देकर हलचल मचा दी है। उधर अनिल विज ने भी मुख्यमंत्री पद को लेकर दावा ठोका है। राव इंद्रजीत सिंह पहले ही मुख्यमंत्री को लेकर दावा जताते रहे हैं।

राजनीति के जानकार हरियाणा विधानसभा चुनाव को ओबीसी बनाम जाट वोट बैंक के नजरिये से देखते हैं। लेकिन, इस बार के विधानसभा चुनाव में कुछ बड़ा खेल होने जा रहा है। दोनों प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। लेकिन, आम आदमी पार्टी और बसपा-इनेलो गठबंधन की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता। ये दोनों भी कुछ सीटों पर नतीजों में उलट-फेर लाने की ताकत रखते हैं।

राजनीतिक पंडित यह बता रहे हैं कि इस बार हरियाणा में चुनाव पूरी तरह बंटा हुआ। कांग्रेस जाट वोटर्स के साथ दलित, मुस्लिम और ओबीसी को साधने में लगी है। वहीं भाजपा अपने परंपरागत ओबीसी और पंजाबी वोटरों के सहारे है। लेकिन, इस चुनाव में एक और जाति समूह है जो बड़ा खेल कर सकता है। वो है ब्राह्मण। प्रदेश के ब्राह्मण पंडित रामबिलास शर्मा के अपमान के बाद उद्वेलित है। राज्य में इस जाति की आबादी ठीक ठाक है। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में करीब 27 फीसदी जाट हैं तो ओबीसी समुदाय की आबादी करीब 42 फीसदी है। लेकिन, 12 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कई इलाकों में ब्राह्मण वोटर्स भी काफी प्रभावी हैं। 

भाजपा इस चुनाव में ओबीसी-पंजाबी-ब्राह्मण वोटर्स का एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग तैयार करने में जुटी है। उसने टिकट बंटवारे में इस सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखा है। 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए भाजपा ने केवल 16 सीटों पर जाट उम्मीदवार उतारे हैं जबकि उनकी आबादी करीब 27-30 फीसदी है। ये करीब 40 सीटों पर बेहद प्रभावी हैं। पार्टी ने सबसे ज्यादा ओबीसी समुदाय को टिकट दिया है। हालांकि इनकी आबादी भी अधिक है‌। पार्टी ने 22 सीटों से ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं।

ब्राह्मण वोटरों को साधने की चाल

फिर बारी आती है ब्राह्मण उम्मीदवारों की तो पार्टी उनको आबादी के अनुपात में अच्छी-खासी सीटें दी हैं। भाजपा ने 12 सीटों पर ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ब्राह्मण मोहनलाल बडोली की ताजपोशी की। इतनी ही सीटों पर पंजाबी उम्मीदवार भी उतारे गए हैं। राज्य में भाजपा का टार्गेट ब्राह्मण वोटर्स हैं। 

उधर अनिल विज को मैदान में उतर गए है। अनिल विज ने कहा है कि अगर राज्य में पार्टी सत्ता में आती है तो वह सीएम पद की दावेदारी करेंगे। वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वह राज्य के गृह मंत्री हैं। उनके इस बयान को सीधे वोटर्स को लुभाने का तरीका बताया जा रहा है। भाजपा से पहले अनिल विज को भी बुरी तरह अपमानित कर चुकी है। लगता नहीं है कि अनिल विज ने भाजपा के नेतृत्व के कहने पर दावा ठोंका हो। 

दरअसल, भाजपा पहले ही कह चुकी है कि वह मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है। रविवार को वह भाजपा से बागी भारती सैनी को मनाने के लिए नारनौल पहुंचे थे। जहां उनकी मौजूदगी में भाजपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। आज भारती सैनी ने अपना नामांकन वापस ले लिया।

सीएम के लिए वह पार्टी के चेहरा हैं। सैनी को फेस पेश करने के पीछे की राजनीति करीब 42 फीसदी ओबीसी वोटर्स हैं। लेकिन, इसके साथ ही भाजपा ब्राह्मण समुदाय को भी यह संदेश देना चाहती है कि उनके लिए रामबिलास शर्मा के बाद संभावना खत्म नहीं हुई है। यानी एक साथ वह ओबीसी और ब्राह्मण दोनों समुदायों को साधने के जुगत कर रही है। अनिल विज व रामबिलास शर्मा के अपमान के बाद लगता नहीं है ब्राह्मण व पंजाबी मतदाता भाजपा के झांसे में आ जाएंगे।

मीडिया से बातचीत में छह बार के विधायक अनिल विज ने कहा कि उन्होंने कभी भी पार्टी से कुछ नहीं मांगा। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव में भाजपा की जीत होती हो तो वह अपनी वरिष्ठता के आधार पर सीएम पद की दावेदारी करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता मुझसे मिल रही है और कह रही है कि मुझे सीएम पद की दावेदारी करनी चाहिए। यहां तक कि अंबाला में जनता ने कहा कि मैं एक सीनियर नेता हूं और मुझे राज्य के सीएम का पद संभालना चाहिए।

पंडित रामबिलास शर्मा ने अपनी अंतिम इच्छा मुख्यमंत्री की कुर्सी की चाह को दफन कर दिया पर वह अपने अपमान से उद्वेलित अवश्य हैं। उन्होंने राव इंद्रजीत सिंह के सीएम चेहरे को समर्थन देकर भाजपा को इशारा कर दिया कि अब उसकी मनमानी नहीं चलेगी। 

पीएम मोदी को अब समझना होगा कि उनकी दोस्ती हरियाणा में पार्टी को कितनी भारी पड़ी है। मनोहर लाल खट्टर ने अपने 9 साल के कार्यकाल में भाजपा का प्रदेश में पूरी तरह से भट्ठा बैठा दिया। शीर्ष नेतृत्व जब तक सफलता तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फलस्वरुप इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में 5 सीटे खोकर भुगतना पड़ा। इतना सब कुछ होने के बाद यह बात समझ से बाहर है कि आखिर प्रदेश में टिकट वितरण में मनोहर लाल की मनमानी कैसे चली। मनोहर लाल खट्टर की वजह से प्रदेश में भाजपा दो भागों में बंट गई है। इसका भान होते ही पीएम मोदी ने मनोहर लाल खट्टर के चेहरे को रैली से दूर रखा। लोगों का मानना है कि यह सब मोदी की रणनीति के तहत हो रहा है एक तरफ वह खट्टर को बाहर रख रहे हैं दूसरी तरफ उनको मनमानी करने की पूरी छूट दे रखी है।

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