बीजेपी के साथ किरण चौधरी को भी अपनी अवसरवादी सोच का बडा खामियाजा भुगतना होगा : विद्रोही

मतदान तिथि एक अक्टूबर को आगे बढ़ाने के षडयंत्र में तो भाजपा नाकाम रही, लेकिन अब 31 अगस्त को मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर चुनावों को प्रभावित करने के लिए सत्ता दुरूपयोग से कौनसा षडयंत्र करती है, यह भी जल्द सामने आ जायेगा : विद्रोही

30 अगस्त 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा विधानसभा चुनाव की मतदान तिथि एक अक्टूबर को आगे बढ़ाने के षडयंत्र में तो भाजपा नाकाम रही, लेकिन अब 31 अगस्त को मंत्रीमंडल की बैठक बुलाकर चुनावों को प्रभावित करने के लिए सत्ता दुरूपयोग से कौनसा षडयंत्र करती है, यह भी जल्द सामने आ जायेगा। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सत्ता दुरूपयोग से चाहे जितने भी षडयंत्र कर ले, अफवाह फैला ले, कालेधन का दुरूपयोग कर ले, जातिय धु्रवीकरण की औच्छी गंदी राजनीति कर ले, लेकिन हरियाणा की 36 बिरादरी एकजुट होकर भाजपा को सत्ता से तडीपार कने का मन बना चुकी है। इस कटु सत्य को जानकर व अपने हाथों से सत्ता खिसकती जाती देख अब भाजपा इस कदर हताश व निराश हो गई है कि कांग्रेस का कौने मुख्यमंत्री बने और कौन न न बने, इसके भी भाजपा बेशर्मी से सुझाव देने की अनैतिकता पर उतर आई है। किस दल का कौन मुख्यमंत्री होगा, पार्टी किसे टिकट देगी, यह हर राजनीतिक दल का आंतरिक मामला है व लोकतांत्रिक अधिकार है। 

विद्रोही ने कहा कि जब कोई दल दूसरे दल के आंतरिक मामलों व लोकतांत्रिक अधिकारों पर भीे हस्ताक्षेप करने लगे तो समझ ले कि ऐसा दल मानसिक रूप से दिवालिया हो चुका है। सत्ता छीनती देखकर भाजपा नेताओं का भी मानसिक संतुलन बिगडने लगा है और अनाप-शनाप बेतुकी बाते करने लगे है। भाजपा में गई नई नवेली किरण चौधरी भी भाजपा में रहकर चौ0 बंसीलाल के सपने पूरे करने का राग अलापकर अपने दिवंगत ससुर के साथ ही क्रूर मजाक कर रहीे है। किरण चौधरी बेशक भूल जाये लेकिन हरियाणा की जनता यह कभी नही भूल सकती है कि किस तरह चौधरी बंसीलाल की पीठ पर छुर्रा घोंपकर भाजपा ने उनकी हाविपा सरकार को तोड़कर जीवन की अंतिम बेला में उन्हे राजनीतिक रूप से अपमानित किया था। अपने को चौधरी बंसीलाल का राजनीतिक वारिश बताने वाली किरण चौधरी बेशक अपनेेे निजी राजनीतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए इस कटु सत्य को भूल गई, लेकिन हरियाणा में चौेधरी बंसीलाल के प्रंशसक आज भी इसे नही भूले है और वे भाजपा को कडा सबक सिखाने को तैयार बैठे है। बीजेपी के साथ किरण चौधरी को भी अपनी अवसरवादी सोच का बडा खामियाजा भुगतना होगा।    

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