भाजपा आलाकमान के पास अटेली से पांच नाम ……

आरती राव को लेकर अभी असमंजस की स्थिति, एडवोकेट नरेश यादव व कुलदीप यादव के नाम पर भी हो रहा मंथन 

कल तक जारी हो सकती है पहली सूची

भारत सारथी /कौशिक 

नारनौल। हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। आज हुई कोर ग्रुप की बैठक में हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर चर्चा हुई । बैठक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर हुई। इस मीटिंग में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और हरियाणा के सीएम नायब सैनी भी मौजूद रहे। यहां उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा कर उसे केंद्रीय चुनाव समिति में रखा जाएगा। बैठक में गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। इसके बाद रात आठ बजे भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी। बैठक में हरियाणा की टिकटों पर मंथन होगा। जिसके बाद शुक्रवार को भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने की संभावना है। इस लिस्ट में 20 से 24 नाम हो सकते हैं।

जिला महेंद्रगढ़ की सबसे हॉट सीट अटेली विधानसभा की बात करे तो अहीरवाल के क्षत्रप व केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री आरती राव के यहां मैदान में उतरने की चर्चा जोरों पर है। आरती राव के नाम के आगे सब गौण दिखाई दे रहे हैं। अगर आरती राव यहां से चुनाव नहीं लड़ती तो सूत्रों के अनुसार पैनल में केवल तीन नामों पर चर्चा हो रही है संघ की तरफ से एडवोकेट नरेश यादव के नाम पर भी मंथन किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस बार वर्तमान विधायक सीताराम की टिकट काटी जा रही है। इसके अलावा तीसरा नाम कुलदीप यादव का चल रहा है। 

अटेली विधानसभा में टिकट बदलने को लेकर कई प्रकार के मत है राजनैतिक जानकारों की माने तो अटेली सीट पर सीताराम यादव पर दोबारा से पार्टी विश्वास नहीं जता सकती है क्योंकि जनता में उनको लेकर काफी नाराजगी है। अटेली क्षेत्र में जितने वह लोकप्रिय हुए हैं शायद ही कोई विधायक हुआ हो। इसके अलावा राव इंद्रजीत सिंह भी उनकी सार्वजनिक आलोचना कर चुके हैं। राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के कारण अतीत में पूर्व विधानसभा डिप्टी स्पीकर संतोष यादव की टिकट काटी गई थी। वही अगर आरती राव को टिकट दिया जाता है तो धरातल पर जनता इसको कितना स्वीकार करती है ये आने वाला समय तय करेगा। 

वही एडवोकेट नरेश यादव के नाम मंथन का कारण ये माना जा रहा है की अगर टिकट में बदलाव किया जाता है तो बीजेपी इस सीट को आसानी से जीत सकती क्योंकि नरेश यादव विधानसभा में कोई विरोध नहीं है। उनके संघ से बड़े नजदीकी संबंध है और वह संघ व पार्टी से लम्बे समय से जुड़े हैं। 

पिछली बार कार्यकर्ता का था विरोध इसलिए कटी संतोष यादव की टिकट, वहीं स्थिति सीताराम के साथ 

2019 के विधानसभा चुनाव में उस समय संतोष यादव का टिकट काट सीताराम यादव को दिया गया था। जिसका कारण राव इंद्रजीत सिंह की मुखालफत तथा कार्यकर्ताओं की नाराजगी को माना जा रहा था। वही इस बार भी संतोष यादव के नाम पर विचार जरूर किया जा रहा है पर वह अटेली के बजाय नारनौल को तव्वजों दे रही है। उन्होंने आरती राव के दावे को देखते हुए रामपुरा हाउस के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया है। अगर यहां आरती राव को टिकट नहीं दी जाती और उनके अलावा किसी दूसरे प्रत्याशी को उतारा जाता है तो वह अपना निर्णय बदल कर निर्दलीय रुप में मैदान में आ सकती है, ऐसी संभावना जताई जा रही है।

राजनैतिक जानकारों की माने तो पार्टी ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे अटेली विधानसभा में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़े। सीताराम यादव के खिलाफ मतदाताओं में जबरदस्त गुस्सा है। वही राव इंद्रजीत सिंह ने भी पिछले दिनों खुले मंच से उनकी आलोचना की थी। राव इंद्रजीत सिंह नहीं चाहते कि सीताराम और संतोष यादव को आगे टिकट दिया जाए। जो मुखालफत कार्यकर्ताओं में संतोष यादव की थी उससे ज्यादा असंतोष सीताराम यादव के प्रति जनता में है। इसलिए पार्टी एंटी इनकमबेंसी से बचने के लिए निर्णय बदलने पर विवश है। जनता का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद सीताराम यादव ने हल्के में कोई बड़ी योजना लाने तथा विकास के लिए बेहतरीन कार्य नहीं किया। उनकी असफलता का बड़ा कारण अटेली को उपमंडल का दर्जा न दिलाया जाना तथा दौगड़ा अहीर को उप तहसील का दर्जा न दिलाना है। बड़े काम की बात तो दूर वह छोटे-छोटे काम कराने में असफल रहे हैं। 

उपरोक्त उम्मीदवारों के अलावा नाम आता है कुलदीप यादव का। वह प्रदेश ओबीसी मोर्चा के कार्यकारिणी सदस्य हैं। वह पूर्व में अटेली नांगल पंचायत समिति के सरपंच ऐसोसिएशन के प्रधान व बोचड़िया के सरपंच रह चुके हैं। वह जनता से जुड़े हुए हैं तथा युवाओं में खेलकिट बांटकर लोकप्रिय है। उन्होंने पार्टी के हर कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया है। 

अब देखना यह होगा कि भारतीय जनता पार्टी किसको अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारती है। इस बार सरकार के विरोध के साथ-साथ स्थानीय प्रतिनिधि का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है अगर सही प्रत्याशी नहीं उतर गया तो इस बार भाजपा के हाथ से यह सीट खिसक सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा अटेली को उपमंडल का दर्जा न दिए जाने से जनता खपा है। इसके साथ विधानसभा के बड़े गांव दौगड़ा अहीर को उप तहसील बनाए जाने की घोषणा न करने पर बड़ी नाराजगी देखने को मिल रही है। यहां यह बता दे की नारनौल विधानसभा के बड़े गांव सीहमा को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उप तहसील बनाने की घोषणा की थी। उसके बाद वह रात्रि पड़ाव के लिए जब गांव दौगड़ा अहीर में रुके तो लोगों ने नाराज होकर उनको बंधक बना लिया था। प्रशासन और स्थानीयनेताओं के दखल के बाद उन्हे गांव से निकाला गया। जो गलती तत्कालीन मुखमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की थी उस गलती को नायब सिंह सैनी ने भी सुधारा। 

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