गुडग़ांव, 18 अगस्त (अशोक) : बिजली निगम के सेवानिवृत अधिशाषी अभियंता (एक्सईएन) डीएस हुड्डा के एक सर्विस मैटर के एक मामले में उनके पक्ष में दिए गए जिला एवं सत्र न्यायालय के आदेश को बिजली निगम द्वारा पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौैती देने वाली याचिका (अपील) की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुवीर सहगल की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए अपील को खारिज कर दिया है।

डीएस हुड्डा के अधिवक्ता केके मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार सैक्टर 9 के निवासी डीएस हुड्डा 28 फरवरी 2011 को बिजली निगम से सेवानिवृत हुए थे। जब वह एसडीओ थे, उसी दौरान 5 अप्रैल 2006 को उन पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने एक इंडस्ट्रीज से काटे गए बिजली कनेक्शन को 53 हजार 60 रुपए जमा कराकर दोबारा से जोड़ दिया था, जबकि कनेक्शन पर 2 लाख 5 हजार 60 रुपए का एरियर बकाया था और बाद में बिजली निगम ने इस कनेक्शन पर 4 लाख 60 हजार 179 रुपए का एरियर बताते हुए उसे काट भी दिया था। बिजली निगम ने उन्हें सजा देते हुए जहां उनसे एक लाख 30 हजार 303 रुपए की रिकवरी की थी और वहीं उनके 2 सालाना इंक्रीमेंट भी रोक दिए थे।

अधिवक्ता का कहना है कि डीएस हुड्डा ने बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया था। तत्कालीन सिविल जज संजय काजला की अदालत ने इस केस को 15 मार्च 2014 को खारिज कर दिया था। निचली अदालत के फैसले को जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौैती दी गई थी। तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एसके खंडूजा की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए जहां उनकी अपील को मंजूर कर लिया था, वहीं बिजली निगम को आदेश दिए कि पीडि़त द्वारा जमा कराई गई रिकवरी राशि व रोके गए दोनों सालाना इंक्रीमेंट का एरियर 9 प्रतिशत ब्याज दर से पीडि़़त को दिया जाए।

अधिवक्ता का कहना है कि बिजली निगम ने जिला सत्र न्यायालय केे आदेश को वर्ष 2014 में अपील के माध्यम से पजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इस अपील की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने बिजली निगम की अपील को खारिज करते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय के फैसले को बरकरा रखा है। अधिवक्ता का कहना है कि डीएस हुड्डा को अब ब्याज ही लगभग 2 लाख रुपए मिलेगा और जमा कराई गई रिकवरी राशि अलग से मिलेगी तथा रोके गए दोनों इंक्रीमेंट का एरियर भी उन्हें अदालत के आदेश के अनुसार मिलेगा।

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