*सौंदर्यीकरण पर हुए 34 करोड़ खर्च, बावजूद इसके हालात नर्क समान मगर क्यों, क्या जवाब देगी एमसीजी ? माईकल सैनी (आप)

*दुकाने किराए पर छोड़ जा रहे व्यापारी, असीमित टैक्स भुगतान उपरांत भी बाजार की दुर्दशा बनी वजह : माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 13 अगस्त 2024; अधिकांश राजनीतिक दलों के नेताओं, सामाजिक संगठनों, संस्थाओं व जनप्रतिनिधियों के प्रचार का केंद्र रहा सदर बाजार गुरुग्राम आज अपनी ही बदहाली व दुर्दशा के लिए आँसू बहा रहा है, व्यापारी तंग आकर अपने प्रतिष्ठान किराए पर चढ़ा एवं विक्रय कर पलायन करने को मजबूर हैं, व्यापारियों का सवाल है अब इसके लिए वह किसे जिम्मेदार ठहराए समझ नहीं पा रहे है, तमाम दलों एवं नेताओं को चंदा और सभी प्रकार के टैक्स अदा करने के बावजूद व्यापार हाशिए पर है मगर क्यों ?

आम आदमी पार्टी नेता माईकल सैनी ने व्यापारियों से चर्चा उपरांत पाया कि बाजार में फैली गंदगी के कारण ग्राहकों ने बाजार का रुख करना कम कर दिया जिससे बिक्री प्रभावित हुई अर्थात खर्चे अधिक मुनाफा कम होना भी दुकानदारों के जाने की वजह बनी, इस सब से निजात पाने हेतु व्यापारमंडल को स्वच्छता कार्यो की कमान स्वम् संभालनी पड़ी तथा कचरा प्रबंधन में उपयोग ट्रेक्टर-ट्रालि, ड्राइवर व सहायक के अतिरिक्त दुकानदार व ग्राहकों के वाहनों की पार्किंग में सुरक्षा गार्डो की तैनाती, टॉयलेट सफाई कर्मचारीयों संबंधित तमाम खर्चो का वहन मंडल के निज कोष से करने को विवश होना पड़ा, जो पिछले कई माह से किया जा रहा है, सवाल यह उठता है कि जिस बाजार से कचरा तक नहीं उठता है वहां किस मुँह से राजनीतिक दल अपने प्रचार को आते हैं, बड़े-बड़े पोस्टर व होर्डिंग्स लगाते हैं, क्यों नहीं कोई नेता जिम्मा लेने को प्रस्तुत हुआ जिनसे व्यापारी अपनी समस्याओं का समाधान करा पाते, यहां तक कि सत्ताधारी दल भाजपा के वह नेता जिन्हें व्यापार प्रकोष्ठ प्रमुख बनाया हुआ हैं उन्होंने भी सुध नहीं ली गर ली रहती तो कम स कम ये हालात तो नहीं हुए होते ?

माईकल सैनी ने कहा कि गत वर्ष सदर बाजार के सौंदर्यीकरण पर एमसीजी ने करीब 34 करोड़ रुपए का बजट खर्च किया, अधिकारियों का दावा था कि हॉंगकॉंग बाजार की तर्ज पर विकसित होगा सदर बाजार, विश्व के मानचित्र पर अलग ही छटा बिखेरता नजर आएगा अत्याधुनिक सुविधाओं युक्त होगा गुरुग्राम सदर बाजार परन्तु हुआ क्या सिवाय दो-चार ब्रेंच डालने के अलावे टायरों को रँगवाकर उनमें गमले लगाने तथा एकमात्र शौचालय पर पेंटिंग कराई गई जिसके भीतर निरंतर सफाई नहीं होने से लोग उसके भीतर तो क्या बाहर से निकलना भी नहीं चाहते, वैसे भी अधिकांश समय ताला ही लगा दिखाई देता है और बाजार की मुख्य सड़क किनारे सफेद पट्टिका खींच खजाने को चुना लगाया गया अधिक प्रतीत हुआ, अन्यथा रखरखाव की कमी कहें या गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार जिसके चलते स्तिथियाँ नर्क समान बनी, यहां सवाल उठता है क्या इसी लिए टैक्स लेता है नगर निगम गुरुग्राम यदि नहीं तो कौन है इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार और यदि हाँ तो फिर लोग टैक्स क्यों दें ?

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