राजनीति में धर्म, ज्ञान और विज्ञान …….

आचार्य डॉ महेन्द्र शर्मा “महेश*

देश में धर्म जातिपाति के नाम पर हल्ला गुल्ला करने वाले राजनीतिज्ञ भारतीय आध्यात्मिक और पौराणिक साहित्य से पूर्णतया अनभिज्ञ हैं। कुछ लोग इन लोगों का अंधा अनुकरण कर रहे हैं , यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है की नशेड़ी को नशेड़ी भंगेडी को भंगेड़ी और जुआरी को वैसा व्यक्ति मिल ही जाता है चाहे यह दोनों किसी गाड़ी में पहली बार मिलने वाले अनजान मुसाफिर ही क्यों न हों। वृतियों में समानता हुई नहीं कि यह सगे भाइयों से अधिक प्रतीत होने लगते हैं। हर समय कोई ऐसा फूहड़ता भरा नेराटिव सेट करने से इन के इन जैसे शिष्य तो इनके पीछे चल सकते हैं लेकिन अब इन पर कोई उतना विश्वास नहीं करता जितना कि पांच सात वर्ष पहले किया जाता था। क्योंकि झूठ को कब तक किसी को परोस सकते हो।

धर्म में ज्ञान और विज्ञान की पराकाष्ठा को समझें … रात्रि के अंतिम प्रहर में एक बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने आकर उसकी गर्दन जकड़ ली और बोला- मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे धार्मिक पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा। यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हे भी इसी भस्म में मिला दूंगा।

अघोरी बोला – एक कथा सुनो, रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था। वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे। थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए । राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की ।

गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा – कहो, कैसे आना हुआ?

राजा ने कहा – मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं ?

ब्रह्माजी जोर से हंसे और बोले – जब तुम आये तब तक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहां गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर 27 चतुर्युग बीत चुके हैं और 28 वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से अपनी बेटी का विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी।
इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो – आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है- मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की यदि 10 वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये तो वापस आने पर उसकी आयु 66 वर्ष की होगी पर धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे। यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गैमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी-

There was a young girl named Miss Bright,
Who could travel much faster than light
She departed one day in an Einstein way
And came back previous night

प्रेत यह सुनकर चकित था, बोला- यह कथा नहीं है, यह तो पौराणिक विज्ञान है, हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है। तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे। मैं अब सभी शवों और प्रेतों को यह विज्ञान कथा बताऊंगा ताकि वो राष्ट्रीय शरीर धारण कर सकें। अनेक वामपंथी प्रेत यह कहते फिरते हैं कि यदि इतना ही उन्नत था हमारा प्राचीन, तो प्रमाण क्या है … अब उनको देता हूं यह प्रमाण। आद्य गुरु शंकराचार्य जी को मंडन मिश्र से हुए संवाद में जब उनसे कामवासना विषय पर अनुभव बताने को कहा तो उन्हें कुछ अपना वास्तविक शरीर छोड़ कर अपनी आत्मा को किसी और शरीर में प्रवेश करवा कर गृहस्थी की तरह पत्नी से भोगविलास को क्रियान्वित कर के उसका अनुभव बताया था जब की वास्तविक रूप में वह तो विरक्त संन्यासी थे। इतना परिष्कृत था हमारा विज्ञान।

अघोरी मुस्कुराता रहा और प्रेत वायु में विलीन हो गया ।।l

किसी से जाति सूचक प्रश्न न करें हरि भजे सो हरि का होई …हम विश्व की सबसे उन्नत संस्कृति हैं यह विश्वास मत खोना, आपस में जाति, मत, पूजा पद्धति को लेकर उलझने वालों को देश का शत्रु मानो, इस देश में कुछ भी असम्भव नहीं। राजनीति में सहिष्णुता और सहजता का परिचय दें, अब यह मान कर न चलें की दुनियां में व्याप्त डेढ़ आने अक्ल में से एक आने अक्ल आप के पास है और बाकी अठ्ठनी अक्ल सारे शहर में बंटी हुई है, महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण को कहा था कि “तूं पृथा कुक्षी का प्रथम लाल।” कर्ण ने भी अपनी माता कुंती को कहा था … हे माता! युद्ध के उपरान्त मैं जीवित रहा या अर्जुन तूं फिर भी पांच पांडवों की माता कहलाएगी। तब तो यह धर्म किसी प्रकार बाधा नहीं बना था कि यहां कर्ण स्वयं को सूतपुत्र कह रहा हो, वह तो अपनी माता से यह कह रहा था की तूं सदा पांच पुत्रों की माता रहेगी और आद्य गुरु शंकराचार्य जी ने काम वासना के प्रश्न का उत्तर देने के लिए जब अपने शरीर को छोड़ कर किसी दूसरे शरीर (मृतक) के शरीर में प्रवेश किया था और अनुभव के बाद जब पुनः अपने वास्तविक शरीर में लौटे थे तब इस प्रकरण में उनके धर्म की क्या स्थिति रही होगी, इन प्रश्नों का उत्तर भगवान श्री कृष्ण दे चुके हैं … तो फिर राजनीति में किसी से उस का धर्म क्यों पूछ रहे हो कि तुम्हारा धर्म क्या है ? महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने आप को जो उत्तर दिया था वही उत्तर आज भी जागृत है। धर्म पूछने वालों को ग्रंथों का अध्ययन तो करना ही होगा। वैसे भी मेरे व्यक्तिगत आंकलन के अनुसार मीडिया जगत में 90% ब्राह्मण इस तरह की हल्की राजनीति के विरुद्ध हो चले हैं।

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