हुड्डा के हाथ से खिसकती बागडोर, राहुल गांधी अपनी नीति पर कायम

क्या हरियाणा में एसआरबी गुट में भी दरार पड़ी? 

प्रदेश में परिवर्तन रैलियां कर अलग राजनीतिक वजूद बनाएंगे सुरजेवाला

हुड्डा- दीपेंद्र व शैलजा पहले से कर रहे हैं यात्रा

2500 लोगों में कांग्रेस टिकट की चाह 

दिल्ली में हरियाणा कांग्रेस स्ट्रेटजी कमेटी की बैठक, सुरजेवाला और शैलजा रहे गायब, सवाल पूछने पर भड़के दीपक बाबरिया

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का टिकट चाहने वालों के लिए अंतिम तिथि शनिवार को समाप्त हो गई। 90 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 2500 से ज्यादा नेताओं ने टिकट के लिए आवेदन किया है। कई दिग्गजों ने आवेदन नहीं किया है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला, राज बब्बर, पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव, सांसद दीपेंद्र हुड्डा व कुमारी सैलजा शामिल हैं।

वहीं, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान, पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन, पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल के बेटे मनीष बंसल सहित अन्य ने आवेदन करके अपनी दावेदारी पेश की है। इसमें कई दावेदार ऐसे हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था। ज्यादातर सीटों पर उम्मीदवारी पेश करने वाले नेताओं ने अपने साथ पत्नियों का आवेदन भी कराया है। ताकि आखिरी समय में किसी सीट को महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाता है तो वे अपनी पत्नियों के नाम पर टिकट मांग सकें।

29 में 28 विधायकों ने किया आवेदन, आरक्षित सीटों पर सबसे ज्यादा आवेदन

वर्तमान में कांग्रेस के 29 विधायक हैं। हुड्डा को छोड़कर 28 विधायकों ने दोबारा टिकट हासिल करने के लिए अपने आवेदन पत्र जमा कराए हैं। वहीं प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से 17 अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। इन सीटों पर सबसे अधिक दावेदारी जताई जा रही है।

ये होगी आगे की प्रक्रिया

आवेदनों की सूची दिल्ली भेजी जाएगी। वहां पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खरगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी समेत अन्य दिग्गज नेताओं के बीच टिकट बंटवारे को लेकर मंथन होगा। वहीं, हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया टिकट मांगने वाले नेताओं से वन-टू-वन बातचीत भी करेंगे। कांग्रेस के मापदंड़ों पर खरा उतरने वाले आवेदकों को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की जाएगी।

अब सीएम पद को लेकर घमासान 

इस समय कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा की कमान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथों में सौंप रखी है। लोकसभा चुनावों में भी हुड्डा खेमा ही हावी रहा था और चार सांसद हुड्डा के खेमे से हैं। लोकसभा में पांच सीटें जीतने के बाद कांग्रेस नेताओं को माहौल अपने पक्ष में लग रहा है और सभी बड़े नेता विधानसभा चुनावों से पहले हाईकमान में अपनी मजबूती बनाने की कोशिश में हैं। अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ से बागडोर की खिसकती दिखाई दे रही है। उनके समानांतर यात्राओं को देखकर तो ऐसा ही प्रतीतहोता है।

हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर रार बढ़ती जा रही है। दीपेंद्र हुड्डा की हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा, सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा की कांग्रेस संदेश पदयात्रा के बाद अब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला भी प्रदेश में एक्टिव मोड में आ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ तथा कुमारी शैलजा की ‘कांग्रेस संदेश यात्रा’ से स्वयं को अलग करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने पूरे राज्य में परिवर्तन रैलियां करने का निर्णय लिया है। यह रैलियां विधानसभा स्तर पर होंगी।

इन रैलियों के माध्यम से सुरजेवाला जहां अपना अलग राजनीतिक अस्तित्व प्रदर्शित करने की तैयारी में हैं, वहीं हुड्डा या शैलजा का नेतृत्व स्वीकार करने की बजाय स्वयं को मुख्यमंत्री पद की लाइन में पूरी मजबूती से खड़ा रखना चाहते हैं।

सुरजेवाला अब प्रदेशभर में परिर्वतन रैलियां करने की तैयारी में हैं। पहली रैली 11 अगस्त को पानीपत में, दूसरी रैली 17 अगस्त को नीलोखेड़ी में और 18 अगस्त को जींद में होगी। इन तीन रैलियों के माध्यम से सुरजेवाला पानीपत, करनाल और जींद जिलों को कवर करेंगे, जिसके बाद नई रैलियों का शेड्यूल घोषित किया जाएगा।

हरियाणा में पहले से ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष उदयभान के नेतृत्व में हरियाणा मांगे हिसाब कार्यक्रम चल रहा है। रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी प्रदेशभर में यात्रा निकाल रहे हैं। हुड्डा, शैलजा के बाद अब सुरजेवाला भी फील्ड में उतर रहे हैं और हाईकमान के साथ-साथ हरियाणा के अन्य कांग्रेसी नेताओं को अपनी ताकत का अहसास कराने की तैयारी में हैं।

शैलजा की यात्रा से दूर रहे हैं सुरजेवाला

खास बात ये है कि अभी तक कुमारी शैलजा की पदयात्रा से सुरजेवाला ने दूरी बनाए रखी है। जब यात्रा शुरू हुई थी तो दावा किया गया था कि चौधरी बीरेंद्र सिंह और सुरजेवाला दोनों मौजूद रहेंगे, लेकिन अकेले बीरेंद्र सिंह ही दिखे। अब तक की यात्रा के अन्य कार्यक्रमों से भी सुरजेवाला दूर रहे हैं। क्योंकि खुद सुरजेवाला सीएम पद के दावेदार हैं। इसलिए उन्होंने अपनी अलग राह बनाते हुए प्रदेशभर में अपने समर्थक कार्यकर्ताओं और नेताओं में जोश भरने के लिए रैलियां करने का ऐलान किया है। पहले कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी एक गुट में थे, लेकिन किरण चौधरी के भाजपा में जाने का बाद यह गुट टूट गया।

मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की दिशा में सुरजेवाला

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं राजस्थान से राज्यसभा सदस्य रणदीप सुरजेवाला कैथल से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं। उन्होंने नरवाना में इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला को हराकर चुनाव जीत रखा है, जबकि जींद में उपचुनाव भी लड़ा है।

कर्नाटक के प्रभारी रहते हुए सुरजेवाला वहां कांग्रेस की सरकार बनवाने में कामयाब रहे हैं, जिसके बाद कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें राजस्थान से राज्यसभा में भेजकर पुरस्कृत किया है। पिछले कई दिनों से उनकी गिनती एसआरके (शैलजा-रणदीप-किरण) के गुट में होती थी।

रणदीप सुरजेवाला ने खींची अपनी अलग लाइन

प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा मांगे हिसाब अभियान के तहत पूरे प्रदेश में पहले से पदयात्रा निकाल रहे हैं। इन पदयात्राओं में दीपेंद्र हुड्डा को व्यापक जनसमर्थन हासिल हो रहा है।

हरियाणा मांगे हिसाब अभियान की लांचिंग पर प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान और तीनों कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज, रामकिशन गुर्जर और सुरेश गुप्ता मतलौडा के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह भी मौजूद रहे थे।

तब शैलजा व सुरजेवाला की गैर मौजूदगी व बीरेंद्र सिंह की मौजूदगी चर्चा का विषय बनी थी। हुड्डा के हरियाणा मांगे हिसाब अभियान के बाद कुमारी शैलजा ने पूरे प्रदेश में उन शहरी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस संदेश यात्रा आरंभ करने की घोषणा की, जहां कांग्रेस कमजोर है।

इस यात्रा में बीरेंद्र सिंह और सुरजेवाला के भी शामिल होने का दावा किया गया था, लेकिन बीरेंद्र सिंह तो शैलजा के साथ दिखाई दिए, मगर सुरजेवाला ने शैलजा की इस संदेश यात्रा से अब तक दूरी बनाए रखी।

11 अगस्त से शुरू होगी सुरजेवाला की रैली

कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सुरजेवाला किसी का नेतृत्व स्वीकार करने की बजाय पार्टी हाईकमान व जनता में स्वयं को स्थापित लीडर के रूप में पेश करना चाह रहे हैं, ताकि उनकी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी मजबूती से बनी रहे।

यदि वे हुड्डा या शैलजा का नेतृत्व स्वीकार कर लेते तो इससे उनकी सीएम की दावेदारी पर आंच आ सकती थी। दूसरा विकल्प यह है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनने पर सुरजेवाला मुख्यमंत्री नहीं बन पाते तो पिछली बार की तरह हुड्डा की सरकार में साझीदार होने की उनकी दावेदारी बरकरार रहेगी।

मीडिया पर भड़के बावरिया 

हरियाणा भवन में आज हरियाणा कांग्रेस स्ट्रेटजी कमेटी की बैठक हुई जिसमें विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की गई। बैठक में दीपक बाबरिया, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उदयभान मौजूद रहे लेकिन रणदीप सिंह सुरजेवाला और कुमारी शैलजा बैठक के लिए नहीं पहुंचे। इस पर सवाल पूछे जाने पर दीपक बाबरिया मीडिया पर ही बरस पड़े। पहले उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनके पहले से कार्यक्रम तय थे इसलिए वे बैठक में शामिल नहीं हुए। उनके सुझाव फोन और पत्र से मिल जाएंगे। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी चीजों को लेकर मीडिया को सुपारी दी जाती है।

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