*इकोग्रीन कंपनी का बिल दो-ढाई करोड़/माह, नए ठेकेदार कंपनी के डेढ़ माह का बिल पौने दस करोड़ : माईकल सैनी (आप) *वाहनों की क्षमता 15-16 टन बिल बने 35-40 टन,ताज्जुब कि बिल पास करने की जल्दी ठेकेदार नहीं अधिकारीयों को : माईकल सैनी (आप) शर्तों में तय संसाधन भी नहीं जुटा पाई कंपनी, डाला अतिरिक्त भार, आप ने कि विजिलेंस जांच की मांग : माईकल सैनी (आप) गुरुग्राम 31 जुलाई 2024, नगर निगम की कार्यप्रणाली पर लगातार सवालिया निशान लगते रहे हैं और इस समय नगर निगम में ठेकेदार और कंपनियों के प्रतिनिधि अधिकारियों पर भारी नजर आ रहे हैं, यही कारण हैं कि कूड़ा उठाने वाली कंपनी ने एक-डेढ़ माह में करीब पौने दस करोड़ का बिल बनाकर सबको चकित कर दिया है, विचारणीय बात है कि पूर्व में इको ग्रीन कंपनी यही कार्य की एवज में दो से ढ़ाई करोड़ का ही बिल बनाती थी, जबकि घरों से कचरा कलेक्शन, सेकेंडरी पॉइंट से भी कचरा कलेक्ट कर बंधवाड़ी पहुंचाने का भी कार्य करती थी लेकिन यहां अधिकारियों के चहेते ठेकेदारों ने डेढ़ माह में ही पौने दस करोड़ का बिल थमा दिया नगर निगम को , जिसे देख जरूर कुछ अधिकारी तो सकते में आए होंगें परन्तु यहाँ कुछ भृष्ट अधिकारी भी हैं जो इन बिलों को पास कराने में ठेकेदारों से भी अधिक शीघ्रता में नजर आ रहे हैं विशेषकर वह जिन्होंने मध्य रात्रि टेंडर खोले और दोपहर बाद टेंडर अलॉट भी कर दिए, दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि यह भारी बिल भी तब हैं जबकि ठेकेदार के पास ना तो पर्याप्त संसाधन हैं और ना ही पर्याप्त स्टॉफ । आम आदमी पार्टी नेता माईकल सैनी ने कहा कि कूड़ा उठाने वाले वाहनों की क्षमता वास्तव में 15 से 18 टन है लेकिन बंधवाड़ी में वाहनों में लोड कूड़े का वजन 35 से 45 टन तक दिखाया गया है, और भृष्टाचार का यह आलम तब है जब निगम की सफाई व्यवस्था पर खुद चीफ सेक्रेटी टीवीएसएन प्रसाद ने स्वतः संज्ञान लेते हुए निगम प्रशासन पर सवालिया निशान लगाए थे । दरअसल इको ग्रीन की कार्यप्रणाली में अनियमिताएं पाने पर उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, वहीं दूसरी और दो कंपनीयों को 240 रुपए प्रति टन कूड़े के हिसाब से निगम ने काम दिया मगर कम रेट होने के कारण कंपनी ने काम करने में असमर्थता जताई और काम से तौबा कर ली जिसके बाद आनन-फानन में निगम ने रातों रात शार्ट टर्म टेंडर प्लान कर अपने करीबी ठेकेदार व कंपनी को शहर के 20-22 सेकेंडरी कलेक्शन पाइंट से कूड़ा लिफ्ट कराने का काम 390 रुपए प्रति टन के हिसाब से दे दिया, इसके बाद शुरू हुआ कंपनी व ठेकेदार का खेल, वो यह कि लिफ्टिंग में लगे वाहनों की कुल क्षमता ही 15 से 18 टन है लेकिन बंधवाड़ी स्थित धर्मकांटे पर उनका वजन 35 से 45 टन कचरा बताया गया जबकि एक्सपर्टस दावा करते हैं किसी भी स्थिति में इतना कूड़ा लोड हो ही नहीं सकता है लेकिन मलबा-मिट्टी उठाकर कूड़े से सोना बनाने का यह सारा खेल-खेला गया । स्पष्ट है कि सांठगांठ कर कंपनी ने कचरे के साथ मिट्टी, मलबा गाड़ियों में लोड कर बंधवाड़ी पहुंचाया जिसके चलते इनका वजन 35 से 40 टन दिखाकर नगर निगम को रेवन्यू की चपत लगाने का प्रयास किया । माईकल सैनी ने ठेकेदारों पर नियम व शर्तों का पालन नहीं करने के भी आरोप लगाते हुए कहा कि 390 रुपए प्रति/टन के हिसाब से कचरा लिफ्टिंग के साथ उसका निस्तारण करने वास्ते वाहनों की आवाजाही हेतु रास्ता बनाना भी शामिल था, जिसके लिए कंपनी को डोजर, जेसीबी व पोपलैंड जैसी मशीन व संसाधन भी जुटाना थे लेकिन कंपनी तय शर्तों पर खरी नहीं उतर सकी बल्कि निगम अधिकारियों के संज्ञान के बावजूद निस्तारण केंद्र पर कूड़े की प्रोसेस में पहले से लगी एजेंसियों के डोजर, पोपलैंड, जेसीबी का उपयोग किया, जिसके बिलों के भुगतान का अतिरिक्त भार भी निगम खजाने पर डाला जा रहा है जो सरासर गलत हैं । माईकल सैनी का मानना है कि सर्वप्रथम आरटीओ की मदद से लिफ्टिंग में लगे वाहनों की आरिजनल आरसी लेकर उनकी क्षमता चैक की जाए, फिर इसका मिलान कंपनी द्वारा दिए गए वाहनों के वजन से किया जाए ताकि दूध का दूध व पानी का पानी हो सके । तथा संसाधन नहीं जुटाने पर अतिरिक्त बिल को कंपनी की पैमेंट से काट लिया जाए और साथ ही जो मलबा-मिट्टी बंधवाड़ी पहुंचा गया उसका जुर्माना भी कटौती कर वाहनों का पूरा लेखा-जोखा लिया जाए । उन्होंने कहा कि सफाई का काम नगर निगम की सफाई विंग करती है मगर यहां लिफ्टिंग का काम इंजीनियरिंग विंग को सौंपना संदेह पैदा करता हैं । आप नेता सैनी का अनुमान है कि कंपनी व ठेकेदार का 9 करोड़ 80 लाख का बिल पास कराने के एवज में 15 परसेंट कमीशन अधिकारी वसूल सकते हैं, जिसे मद्देनजर रखते हुए नगर निगम कमिश्नर डॉ नरहरि सिंह बांगड़ जिनके ऊपर शहर को स्वच्छ बनाने का जिम्मा तो है साथ ही उन्हें ऐसी धांधलियों पर भी नजर बनाए रखनी चाहिए, माना सार्वजनिक स्थानों पर मलबा मिट्टी भी होती है मगर उसके लिए ठोस कचरा प्रबंधन में अलग से एजेंसियों को टेंडर अलॉट हैं, कुल मिलाकर कचरा-मलबा मिश्रित कर बंधवाड़ी नहीं पहुंचाया जा सकता है चूँकि कचरा ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है मिट्टी अथवा मलबा नहीं, इसलिए कंपनी व ठेकेदार (एजेंसी) जिसने भारी-भरकम बिल बना निगम को सौंपे हैं उसकी बिल अदायगी पूर्व विस्तृत जांच स्टेट विजिलेंस द्वारा कराई जाए ताकि बड़ा घोटाला होने से रोका जा सके । Post navigation बदहाल गुरुग्राम : अधिकारी लापरवाह, अक्षम, मजबूर या भ्रष्टाचारी बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र के विकास का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया -चौधरी संतोख सिंह