भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम हरियाणा का आधे से भी अधिक राजस्व देने वाला जिला है लेकिन गुरुग्राम की स्थिति पर नजर डालें तो बदहाल नजर आती है। आज बरसात शुरू हुई है, जगह-जगह जलभराव है, कूड़ाग्राम के नाम से पिछले दिनों पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त कर चुका है, स्वास्थ सेवाएं अस्त-व्यस्त हैं, चाहे सरकारी हों या निजी अस्पताल। हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला नजर आता है।

स्वास्थ, शिक्षा और सफाई का अत्याधिक महत्व माना जाता है। सफाई की स्थिति इतनी बदतर है, कहने की आवश्यकता नहीं। स्वास्थ में गुरुग्राम के घोषित नए अस्पताल में पार्किंग बनी हुई है। सैक्टर 10 स्थित अस्पताल में न तो डॉक्टर्स पूरे हैं, न साधन और न ही दवाईयां। और शिक्षा की बात करें तो निजी स्कूलों का बोलबाला है, नियमों का उल्लंघन उनके लिए साधारण सी बात है। सफाई में अभी 19 अधिकारी निगम क्षेत्र की देख-रेख के लिए लगाए गए थे लेकिन अभी भी ग्रीन बैल्टों पर कब्जे हैं, कूड़े के ढ़ेर हैं।

उपरोक्त स्थिति को देख प्रश्न यह उठता है कि क्या जिले के अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं अपनी कर्तव्य निर्वहन में? या फिर उनकी योग्यता में कमी है, जो स्थिति को संभाल नहीं पा रहे? इसके पश्चात तीसरा प्रश्न यह है कि अधिकांश स्थानों पर जहां ग्रीन बैल्ट पर कब्जे हैं या जो भी नियम विरूद्ध कार्य हो रहे हैं, उनमें बीजेपी के नेताओं का रिश्ता होने के कारण अधिकारी मजबूर हैं उन पर कार्यवाही न करने के लिए? यदि ये तीनों कारण नहीं हैं तो फिर एक ही बच जाता है कि कहीं अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं? यह प्रश्न मैं, गुरुग्राम के नागरिक ही नहीं अपितु अब तो गुरुग्राम के भाजपा नेता भी उठाने लगे हैं।

जनता चुनाव आते देख सत्ता पक्ष के नेताओं की ओर इस समय आशा भरी दृष्टि से देख रही है कि शायद पिछले समय में जो काम उन नेताओं ने नहीं किया, वह इस समय ध्यान देकर करा दें, क्योंकि अब उन्हें जनता के वोट की आवश्यता पड़ रही है। अब देखना यह है कि गुरुग्राम की जनता को कष्टों से निजात मिलेगी?

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