दोनों विधायकों और विधायक दल के नेता को 4 सप्ताह के भीतर रखा होगा अपना पक्ष

चंडीगढ़, 22 जुलाई – हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने जननायक जनता पार्टी की ओर से उसके दो विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने का फैसला लिया है। याचिका में नरवाना के विधायक रामनिवास और बरवाला के विधायक जोगी राम सिहाग की विधान सभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है। जजपा ने दोनों विधायकों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने तथा भाजपा को समर्थन देने का आरोप लगाया है।

यह याचिका जजपा के कार्यालय सचिव रणधीर सिंह की ओर से दायर की गई है। हालांकि याचिका हरियाणा विधान सभा (दल-बदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता) नियम 1986 के नियम 6 की अपेक्षा पर खरा नहीं उतरती। इसके बावजूद विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय के आधार पर याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। ‘उड़ीसा विधान सभा के अध्यक्ष बनाम उत्कल केशरी परिदा’ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी है कि न केवल सदन का सदस्य, बल्कि कोई भी इच्छुक व्यक्ति, इस तथ्य को विधान सभा अध्यक्ष के ध्यान में लाने का हकदार है कि सदन का कोई सदस्य भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्य होना अपेक्षित है।

हरियाणा विस अध्यक्ष ने नियम 7(3) (ए व बी) के प्रावधानों का पालन करते हुए दोनों आरोपित विधायकों और जजपा विधायक दल के नेता को अपना पक्ष उनके सम्मुख रखने के निर्देश जारी किए हैं। उन्हें 4 सप्ताह के भीतर अपना पक्ष रखना होगा। इससे पूर्व विधान सभा अध्यक्ष की ओर से याचिका पर हरियाणा के महाधिवक्ता की भी राय ली गई। इस राय का अध्ययन करने उपरांत पर याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया गया है।

जजपा के कार्यालय सचिव की ओर दायर याचिका में कहा गया कि जजपा के नरवाना से विधायक रामनिवास और बरवाला से विधायक जोगी राम सिहाग ने लोकसभा चुनाव में सरेआम भाजपा का प्रचार किया। इस दौरान वे इस हद तक चले गए कि अपने मूल राजनीतिक दल जेजेपी के प्रतिनिधियों की आलोचना भी की। वे अनेक बार प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अन्य भाजपा नेताओं के साथ स्पष्ट रूप से देखे गए। इस संबंध में उन्होंने अनेक मीडिया रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया।

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