कांग्रेस के प्रति ‘वफादार और जिताऊ’ नेताओं को ही ‘टिकट’, ग्राउंड से ही फीडबैक लिया जा रहा

कर्नाटक की सफलता के बाद चेहरों की तलाश करने का जिम्मा सुनील कानूगोल को, दूसरी एजेंसी भी सक्रिय

पार्टी नेतृत्व की तमाम हिदायतों के बावजूद प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी बरकरार

– लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन के बावजूद पार्टी में उठे हैं टिकट बंटवारे पर सवाल

शैलजा के समानांतर दीपेंद्र हुड्डा निकालेंगे पदयात्रा 

अशोक कुमार कौशिक 

आजकल हरियाणा में चुनाव से पूर्व कानूगोलू की काफी चर्चा है। हरियाणा में कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनावों को लेकर सर्वे शुरू करवाया जा चुका है। पार्टी नेतृत्व ने विधानसभा चुनावों में मजबूत और जिताऊ चेहरों की तलाश करने का जिम्मा सुनील कानूगोल की एजेंसी को दिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के ‘स्टार’ बने कानूगोलू ने लोकसभा चुनावों के दौरान भी सर्वे किया था। इतना ही नहीं, हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा अपने स्तर पर भी प्रत्याशियों के चयन को लेकर ग्राउंड से फीडबैक जुटाया जा रहा है।

लगातार दस वर्षों से सत्ता से बाहर कांग्रेस के हौसले इस बार इसलिए भी बढ़े हुए हैं क्योंकि 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन उम्मीद से काफी अच्छा रहा था। विपरित परिस्थितियों में कांग्रेस 31 सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब रही थी।

हालिया लोकसभा चुनावों में भी दस में से पांच सीटों पर कांग्रेस चुनाव जीत चुकी है। ऐसे में इस बार विधानसभा के चुनाव पूर्व की मुकाबले अधिक मजबूती के साथ लड़े जाएंगे। कई मौजूदा विधायकों की टिकट पर भी तलवार लटकी हुई है।

हालांकि कांग्रेस में इस बात का फैसला टिकट आवंटन के समय ही होता है कि ‘सिटिंग-गैटिंग’ का फार्मूला लागू होगा या नहीं। सिटिंग-गैटिंग अगर लागू होता है तो सभी मौजूदा विधायकों को टिकट मिल सकेगी। अगर इस बार पार्टी नेतृत्व इस सिद्धांत पर नहीं चलता तो कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट कट भी सकता है।

भाजपा यह पहले ही संकेत दे चुकी है कि उसके यहां इस तरह का कोई फार्मूला नहीं चलेगा। 2019 के विधानसभा और हालिया लोकसभा चुनाव में पार्टी कई मौजूदा की टिकट काट भी चुकी है।

कांग्रेस ने चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं को टिकट के लिए आवेदन करने को कहा हुआ है। चंडीगढ़ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आवेदन आने शुरू भी हो गए हैं। इस माह के आखिर तक आवेदन किए जा सकेंगे। इसके बाद आवेदनों की छंटनी होगी।

छंटनी के बाद आवेदन करने वाले नेताओं की हलकावार सूची होगी। इस सूची का मिलान सर्वे रिपोर्ट में शामिल नामों के साथ होगा। सर्वे में शामिल नामों के हिसाब से लिस्ट से नाम शॉर्ट-लिस्ट किए जाएंगे।

प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी भी छुपी नहीं है। प्रदेश के वरिष्ठ नेता अपने-अपने समर्थकों की टिकट के लिए भागदौड़ करेंगे। हालांकि पिछले दिनों नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई प्रदेश कांग्रेस के नेताओं की बैठक में टिकट को लेकर फार्मूला मोटे तौर पर सैट किया जा चुका है। राहुल गांधी ने इस बैठक में साफ कहा था कि पार्टी के प्रति वफादार और जिताऊ नेताओं को ही टिकट दिया जाएगा।

इससे साफ है कि नेताओं की सिफारिश पर टिकट मिलने की कम ही संभावना है। टिकट आवंटन ही कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी है। राज्य में विधानसभा के नब्बे हलके हैं। इनमें से 17 विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

हलकों में कांग्रेस टिकट के दावेदारों की संख्या 5 से 10 तक है। हर हलके में चार से पांच चेहरे ऐसे भी हैं, जो टिकट को लेकर हद से अधिक सीरियस हैं। टिकट किसी एक ही व्यक्ति को मिलनी है। इस स्थिति में भितरघात होने या निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ने की भी संभावना बनी रहेगी।

एक एजेंसी के जरिये ग्राउंड से फीडबैक लिया जा रहा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान का कहना है कांग्रेस विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रदेश में सर्वे करवाया जा रहा है। पार्टी हाईकमान की ओर से भी एक एजेंसी के जरिये ग्राउंड से फीडबैक लिया जा रहा है। टिकट के इच्छुक नेताओं को आवेदन करने को कहा है। मौजूदा विधायकों को भी टिकट के लिए आवेदन करना होगा। अब यह फैसला पार्टी नेतृत्व के स्तर पर होगा कि सिटिंग-गैटिंग का फार्मूला लागू होगा या नहीं। यह टिकट आवंटन के समय ही तय होगा। पार्टी नेतृत्व यह पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि पार्टी के प्रति वफादार और जिताऊ नेताओं को ही टिकट दिया जाएगा।

‘हरियाणा मांगे हिसाब’ मुहिम शुरू

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। पार्टी दस में से पांच सीट जीतने में सफल रही है। इसके बाद पार्टी को प्रदेश में दस साल बाद वापसी की उम्मीद जगी है। इससे उत्साहित प्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा की प्रदेश सरकार के खिलाफ ‘हरियाणा मांगे हिसाब मुहिम शुरू की है।

आपसी झगड़ों को लेकर कांग्रेस नेतृत्व ने भी नाराजगी जताई, पर अंदरूनी कलह थमती नहीं दिख रही है। पार्टी की वरिष्ठ नेता और सांसद कुमारी शैलजा लगातार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट पर निशाना साध रही हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट भी विरोधी खेमे को दरकिनार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पांच साल पहले भी गुटबाजी की वजह से कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई थी। कई साल गुजरने के बावजूद हालात जस के तस हैं। पार्टी को हरियाणा में वापसी करनी है, तो कांग्रेस नेतृत्व को प्रदेश के सभी नेताओं को एक मंच पर लाना होगा।

जीत को पैमाना बनाना होगा

प्रदेश कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व को हरियाणा में सभी नेताओं को साथ लेकर चलना होगा। विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में एक गुट के बजाय दूसरे गुट के संभावित उम्मीदवारों पर विचार करते हुए जीत को पैमाना बनाना होगा। पार्टी ऐसा करने में विफल रहती है, तो चुनाव में कांग्रेस के अंदरुनी झगड़े का सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपने वोट प्रतिशत और सीट में वृद्धि की है। 2019 में पार्टी दस में से एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, जबकि इस बार पार्टी को 43.67 फीसदी वोट के साथ पांच सीट मिली है। हालांकि, पिछले चुनाव के मुकाबले पार्टी ने वोट प्रतिशत में 15 फीसदी की वृद्धि की है। वर्ष 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 28 फीसदी वोट ही मिले थे।

शैलजा के समानांतर दीपेंद्र निकालेंगे यात्रा 

हरियाणा मे कांग्रेस पार्टी के बीच सीएम पद को लेकर तनातनी चल रही है। सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि वह राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले शहरी इलाकों में पदयात्रा निकालेंगी। इस पद यात्रा को लेकर तैयारियां चल रही है। फिलहाल कुमारी शैलजा अपने निजी काम से विदेश गई हैं और उनके लौटते ही पदयात्रा का कार्यक्रम तय किया जाएगा।

हुड्डा हाईकमान को देना चाहते संदेश 

वहीं, शैलजा के इस पदयात्रा के बारे में घोषणा करते ही, पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने अपने सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा को आगे कर रथ यात्रा का कार्यक्रम तय कर दिया है। बता दें कि भूपेंद्र हुड्डा के एक महीने के कार्यक्रम का शेड्यूल पहले से ही तय था और ऐसे में दीपेंद्र हुड्डा को शैलजा से आगे रखा गया है। इस रथ यात्रा द्वारा हुड्डा हाईकमान को यह संदेश देना चाहते हैं कि राज्य में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी उन्होंने संभाल ली है।

पार्टी को मजबूत करना चाहती है शैलजा

इस बीच, शैलजा समर्थकों ने कुमारी शैलजा को दीपेंद्र हुड्डा की रथयात्रा के बारे में जानकारी दे दी है। कहा जा रहा है कि वह जल्द ही विदेश से लौट सकती हैं। कुमारी शैलजा की पदयात्रा जुलाई के अंतिम सप्ताह से शुरू होगी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश के जिन 44 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी बढ़त बनाई है, उसमें ज्यादातर शहरी इलाके शामिल हैं। राज्य में विधानसभा चुनाव पास आ रहा है, ऐसे में कांग्रेस को शहरी क्षेत्रों में ध्यान देने की जरूरत है। इस वजह से शैलजा शहरी इलाकों में पदयात्रा निकालकर पार्टी को मजबूत करना चाहती है।

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