मोहनलाल चुनौतियों से टकराया तो पार्टी ने आगे बढ़ाया

सामाजिक संतुलन के साथ-साथ क्षेत्रीय चुनौतियों को स्वीकार कर भाजपा ने बनाई अभेद्य रणनीति

चंडीगढ़, 14 जुलाई। रविवार को प्रदेश भाजपा की विधिवत कमान संभालने वाले साधारण से दिखने वाले मोहनलाल बडौली का यहां तक पहुंचना साधारण नहीं है। मोहन चुनौतियों से जूझकर प्रदेश में पार्टी के शिखर तक पहुंचे हैं।  एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में 35 वर्ष पहले अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले बडौली गांव के मोहनलाल दिखने में साधारण भले ही रहे, लेकिन उनका अब तक का राजनीतिक जीवन बताता है कि वे चुनौतियों को चुनौती देते हुए यहां तक पहुंचे हैं।  

मंडल अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर सिर्फ मोहनलाल बडौली के लिए ही नहीं, बल्कि भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं के लिए भी एक भावुक क्षण है। भाजपा इसलिए पार्टी विद डिफरेंस है, क्योंकि भाजपा में पद और पीढ़ी का परिवर्तन पारिवारिक राजतंत्र के लिहाज से नहीं होता, बल्कि एक सामान्य कार्यकर्ता के लिए खुद को साबित करने का अवसर बनकर आता है।

परिस्थितियों से जूझने और मुश्किल इलाकों में कमल खिलाने का रिकॉर्ड ही मोहनलाल बडौली को आज यहां तक लेकर आया है। मंडल अध्यक्ष रहते हुए पहली बार उन्होंने जिला परिषद में भाजपा का कमल खिलाया था और राई की विधानसभा सीट पर पहली बार भाजपा को जीत मोहनलाल के ही नेतृत्व में मिली।

भाजपा ने हरियाणा में सामाजिक संतुलन का तो ख्याल रखा ही है, क्षेत्रीय चुनौतियों को भी स्वीकार किया है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और मोहनलाल बडौली की ये फितरत है कि चुनौतियां जहां से शुरू होती हैं, संघर्ष भी उसी धरती से शुरू होता है। प्रदेश में संगठन का मुखिया बनकर मोहनलाल बडौली ने जो संकल्प लिया है, वो चुनौती बहुत बड़ी है। अगले 3 महीनों में ही विधानसभा का चुनाव होने वाला है और तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत से सत्ता में सुशोभित करने की चुनौती उनके सामने है।

ओल्ड रोहतक संभाग जिसमें सोनीपत लोकसभा का भी क्षेत्र शामिल है, आज भले ही पिता- पुत्र की राजनीति का केंद्र दिखता है,  लेकिन लोकतंत्र में मुद्दे, विचारधारा और सुशासन महत्वपूर्ण होते हैं, कोई भी इलाका किसी परिवार विशेष की बपौती नहीं होती। भारतीय जनता पार्टी ने चुनौतियों से निपटने के लिए ही एक सामान्य कार्यकर्ता से चुनौतियों के नायक बने मोहनलाल बडौली को चुना है।

मोहनलाल बडौली जब पहली बार मुरथल के मंडल अध्यक्ष बने थे, तब इनेलो के साथ गठबंधन में उन्होंने जिला परिषद में पहली बार कमल का फूल खिला कर दिखाया था। साल 2019 में राई विधानसभा की सीट जो कभी बीजेपी की नहीं रही, वहां पर भी कमल खिलाया था और 2024 की लोकसभा में भी मोहनलाल बहुत ही थोड़े से मतों से चुके हैं। इसलिए उनकी कार्य क्षमता और राजनीतिक दक्षता को भारतीय जनता पार्टी भली भांति समझती है।

90 के दशक में भी सोनीपत का यह इलाका लोकसभा में भाजपा का साथ देता रहा है और कई बार यहां से कमल खिला है। नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद जिस तरह के एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की भाजपा को जरूरत थी, उस परिस्थिति में पूरे मंथन के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने मोहनलाल बडौली को चुना है। बडोली का राजनीतिक प्रशिक्षण बिल्कुल स्टेप बाई स्टेप हुआ है। मंडल अध्यक्ष से शुरुआत कर उन्होंने जिला पार्षद, विधायक, जिला अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री के रूप में काम करने का समृद्ध अनुभव हासिल किया, उसके बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। भारतीय जनता पार्टी को उनकी दक्षता पर पूरा भरोसा है और चुनौतियों से बाहर निकलकर शिखर तक आने का जो मोहनलाल का ट्रैक रिकॉर्ड है, उसी से कार्यकर्ताओं में और संगठन में माहौल बदला है। इसका पूरा असर आगामी विधानसभा चुनावों पर भी दिखेगा।

*नायब और मोहन का आपसी समन्वय भी बना संगठन की ताकत*

वर्तमान में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ संगठन में काम करने का भी मोहनलाल बडौली को अच्छा अनुभव है और दोनों एक दूसरे को भली-भांति समझते हैं।  नायब सिंह सैनी को जब प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप गई थी तब उन्होंने मोहनलाल बडौली के अनुभव और कार्य दक्षता को देखते हुए प्रदेश महामंत्री बनाया था। नायब की टीम में संगठन में मोहनलाल सफलतापूर्वक काम करते रहें हैं। अब मुख्यमंत्री के रूप में भी नायब सैनी और मोहनलाल बडौली की जोड़ी भाजपा में एक पीढ़ी परिवर्तन का प्रतीक है। चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री के साथ बेहतर समन्वय के साथ ही अच्छे रिजल्ट दिए जा सकते हैं और भाजपा को पूरी उम्मीद है कि पीढ़ी परिवर्तन के बाद की यह जोड़ी तीसरी बार सत्तारूढ़ करने में अहम भूमिका निभाएगी।

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