चुनाव में प्रॉपर्टी आईडी ने भी दिया नुकसान खत्म करने की बजाय किया जा रहा है संशोधन

कापड़ीवास के बाद देसूजोधा की भाजपा में वापसी 

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में कांग्रेस चुनाव में 5 मुद्दे हारने के बाद भाजपा ने हार की समीक्षा शुरू कर दी है। अब तक रिव्यू उजागरों में मिले 4 बड़े मुद्दों के कारण पार्टी को 5 प्रमुख कारकों से नुकसान उठाना पड़ा है। शहरों में संपत्ति आईडी और नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। वहीं गांवों में परिवार पहचान पत्र (पीपीपी), वृद्धावस्था पेंशन और सरपंचों की शक्तियों में कमी के कारण नुकसान झेलना पड़ा। विधानसभा के साथ ही राष्ट्रीय चुनाव में इन मुद्दों को लेकर विपक्ष काफी सक्रिय रहा। इन कारणों को लेकर सीएम सैनी द्वारा खट्टर के कई फैसलों को अब पलटा जा रहा है।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने में अब 4 महीने से भी कम का वक्त बचा है। इसी बीच मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पुराने फैसलों को बदलने में जुट गए हैं। सैनी ने पहला फैसला सरपंच को लेकर बदला है। राज्य में सरकार की तरफ से अब सरपंच को अधिक शक्ति दी गई है। खट्टर के समय में सरपंच की शक्ति को सीमित कर दी गई थी।

प्रशासनिक फैसलों के इतर सैनी खट्टर के राजनीतिक फैसलों को भी बदलने में जुटे हैं। हाल ही में उन्होंने एक ऐसे नेता की बीजेपी में वापसी कराई है, जो हरियाणा में खट्टर के मुखर विरोधी माने जाते थे। इसे पूरा हुआ रेवाड़ी में रणधीर कापड़ीवास की वापसी करा चुके हैं। हरियाणा में सैनी के इन कदमों के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर मुख्यमंत्री ऐसा क्यों कर रहे हैं?

खट्टर के इन फैसलों को सैनी ने पलटा

लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार ने पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के कई फैसलों को पलटने में जुट गई हैं। सबसे पहले सरपंच से जुड़े एक पुराने आदेश को बदला गया है। मंगलवार को इस बाबत आदेश भी जारी हुआ।

हरियाण में अब सरपंच 21 लाख रुपए तक का काम बिना ई-टेंडरिंग के करा सकेंगे। पहले सिर्फ 5 लाख रुपए तक का ही काम बिना ई-टेंडरिंग के सरपंच करा पाते थे। इसी के साथ सरपंच को एक और तोहफा सरकार ने दिया।

हरियाणा में सरपंच को अब बतौर टीए के 16 रुपए प्रति किमी टैक्सी का भी खर्च मिलेगा। मुख्यमंत्री ने इसी के साथ एक और बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि राज्य में अब डीसी और एसपी की कुर्सी हर मीटिंग में बराबर लगेगी।

नायब सिंह सैनी ने प्रशासन के अलावा खट्टर के एक राजनीतिक फैसले को भी पलट दिया है। 2014 के चुनाव में सिरसा जिले के कांलावाली विधानसभा सीट से प्रत्याशी रहे राजेंद्र देसूजोधा का टिकट 2019 में मनोहर लाल खट्टर की वजह से कट गया था। देसूजोधा इसके बाद शिरोमणि अकाली दल में चले गए। 2019 में वे यहां पर दूसरे नंबर पर रहे। चुनाव से पहले देसूजोधा की सैनी ने वापसी कराई है। देसूजोधा खट्टर के मुखर विरोधी रहे हैं। इससे पहले उन्होंने रेवाड़ी में रणधीर कापड़ीवास को दोबारा भाजपा में शामिल कराया था।

खट्टर के फैसले क्यों पलट रहे सैनी?

विधायकों के फीडबैक में उठा था मुद्दा

लोकसभा चुनाव में इस बार हरियाणा की 10 में से सिर्फ 5 सीटों पर ही बीजेपी जीत पाई। 2014 और 2019 में बीजेपी को सभी 10 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद हार की समीक्षा की गई, जिसमें विधायकों ने कई मुद्दों को उठाया था।

बीजेपी विधायकों का कहना था कि सरपंच की शक्ति का असर वोटों के ट्रांसफर कराने पर पड़ा। विपक्ष ने गांव-गांव में इसे मुद्दा बनाया, जिसकी वजह से हम चुनाव हार गए।

हरियाणा सरकार के मुताबिक राज्य में करीब 6200 सरपंच, 60,133 पंच, 3081 ब्लॉक समिति सदस्य और 411 जिला परिषद सदस्य हैं। इसके अलावा विधायकों की तरफ से 4 और भी मुद्दे उठाए गए। इनमें प्रॉपर्टी-फैमिली आईडी जैसे बड़े मुद्दे शामिल हैं।

संख्या और समीकरण कर रहे दुरुस्त

हरियाणा लोकसभा चुनाव के नतीजे को अगर विधानसभा वार देखा जाए तो राज्य में बीजेपी को 44, कांग्रेस को 42 और आप को 4 सीटों पर बढ़त मिली है। राज्य में विधानसभा की कुल 90 सीट है और बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत होती है।

बीजेपी के वोटों की संख्या में भी कमी आई है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को करीब 60 लाख मत मिल हैं, जबकि इंडिया गठबंधन के खाते में 61 लाख से ज्यादा वोट आए हैं।

2014 में कापड़ीवास भाजपा की टिकट पर बने थे विधायक,सैनी ने कराई वापसी 

रेवाड़ी विधानसभा में रणधीर कापड़ीवास का खुद का जनाधार है। उसका अंदाजा इस बार ये लगाया जा सकता है कि उन्होने कई बार निर्दलीय चुनाव लड़कर अच्छा खासा वोट प्रतिशत हासिल किया था। 2019 का विधानसभा चुनाव भी रेवाड़ी से भाजपा इसलिए हार गई थी क्योंकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कापड़ीवास की अनदेखी की और कापड़ीवास ने निर्दलीय रेवाड़ी विधानसभा से चुनाव लड़ा। जिसका नतीजा ये हुआ कि असली–नकली भाजपा की सियासी जंग में कांग्रेस से चिरंजीव राव ने जीत दर्ज कर ली।

बता दें कि 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले रेवाड़ी विधानसभा से केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह समर्थित सुनील मूसेपुर को भाजपा की टिकट दिये जाने के बाद रणधीर कापड़ीवास भाजपा से बागी हो गए थे। जिसके कारण पार्टी हाईकमान ने कापड़ीवास को निष्कासित कर दिया था।

पुराने नेताओं की वापसी कराकर सैनी समीकरण दुरुस्त कर रहे हैं। उनकी नजर खासतौर से उन सीटों पर है, जहां पर पिछले चुनाव में बीजेपी या तो हार गई थी या तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी।

सिरसा के कांलावाली सीट से प्रत्याशी रहे देसूजोधा को हाल ही में पार्टी में वापसी कराई गई है। पिछले चुनाव में इस सीट पर बीजेपी तीसरे नंबर पर रही थी।

अब एसीबी लोकायुक्त को सीधे नहीं भेज सकेगी रिपोर्ट

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल का फैसला पलट दिया है। अब प्रदेश में काम कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) सीधे लोकायुक्त को जांच रिपोर्ट नहीं भेजेगी। मुख्यमंत्री नायब सैनी ब्यूरो की पावर घटाते हुए मुख्य सचिव को सीधे रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने एंटी करप्शन ब्यूरो को झटका देते हुए निर्देश दिए हैं कि ब्यूरो को मुख्य सचिव कार्यालय के विजिलेंस विभाग को अब सीधी जानकारी देनी होगी।

दरअसल, एसीबी के सीधी लोकायुक्त को जांच रिपोर्ट भेजने से सरकार को लंबित और जांच प्रक्रिया के मामलों की सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही थी। लिहाजा, इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया कि एसीबी सीधी लोकायुक्त को रिपोर्ट नहीं भेजेगा। सरकार के नए आदेश के बाद मुख्य सचिव कार्यालय पावरफुल हो गया है। अब सीधे मुख्य सचिव कार्यालय के विजिलेंस विभाग के पास एसीबी के मामलों की रिपोर्ट पहुंचेगी।

खट्टर के फैसलों को भी कर रहे हैं कार्यान्वित 

हरियाणा के हिसार कॉलेज का नाम बदल दिया गया है। प्रदेश की नायब सिंह सैनी सरकार ने राजकीय महाविद्यालय महाविद्यालय हिसार का नाम बदलकर गुरु गोरक्षक जी राजकीय महाविद्यालय हिसार कर दिया गया है। वीरवार को इस विषय में हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट की तरफ से आधिकारिक पत्र भी जारी कर दिया गया है।

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