*जलभराव समस्या ईश्वरीय प्रकोप तो करें आवाह्न श्रीराम का जिन्हें पांच सौ साल बाद लेकर आई भाजपा ? माईकल सैनी (आप)

*शासन-प्रशासन के आपस में पीठ खुजलाने के सिद्धांत की देन है कचराग्राम शहर और जलभराव : माईकल सैनी (आप)

गुरुग्राम 29 जून 2024 आम आदमी पार्टी नेता माईकल सैनी ने कहा जल भराव क्षेत्र का मुकद्दर तो शहर कचरे का गढ़ बन गया जबकि निगरानी बतौर कष्ट निवारण समिति अध्यक्ष और सूबे के मुख्यमंत्री स्वम् कर रहे हैं, एमसीजी जिला उपायुक्त को सौंपे जाने, यहां प्रदेश सचिव द्वारा बैठकें कर अधिकारियों को निर्देश देने तथा निकाय मंत्री के प्रयासों उपरांत भी हालात खराब हैं क्योंकि स्थानीय जनप्रतिनिधि कहीं नजर नहीं आए और ना ही उनके बयान आ रहे हैं हालांकि सांसद राव इंद्रजीत सिंह ने निगम कार्यालय जाकर बैठक ली मगर रेवाड़ी बारिश से बिगड़े हालात देखकर जो उनके राजनैतिक वारिस के लिए दिक्कतें पेश करने के लिए पर्याप्त है शायद इसलिए सक्रियता दिखाई ?

माईकल सैनी साइबर सिटी की दुर्दशा के लिए स्थानीय सांसद को ही जिम्मेदार ठहराते हैं चूँकि लगातार पिछले बीस वर्षों से वही नेतृत्व कर रहे हैं यहाँ और यह समस्या भी एक दिन में तो उपजी नहीं और ना ही कोई ईश्वरीय प्रकोप है यदि है भी तो प्रभु श्री राम को साधने वाली पार्टी भाजपा के लिए कौनसा कठिन कार्य है उन्हें बुलाना, भाजपा नेताओं की कथनी मानें तो पांच सौ वर्षों बाद यही श्रीराम को लेकर आए हैं तो निश्चिंत हो भजन-कीर्तन, हवन-यज्ञ, पूजा,अनुष्ठान करना आरंभ करना चाहिए और जब वह प्रकट हो जाएं तो उन्हीं से करा लीजिए दिनोदिन विकराल रूप धारण करती सभी समस्याओं का समाधान फिर क्यों हजारों करोड़ बर्बाद कर रहे हैं नाकारा निकम्में अधिकारियों पर ?

उन्होंने कहा कि नगर परिषद से लेकर नगर निगम राव इंद्रजीत के लोगों के ही प्रभाव में रहा है तो क्या उनके लोगों ने उन्हें बताया नहीं के इकोग्रीन कंपनी जो शुरू से विवादों में रही है उसका कार्य ठीक नहीं, अब हालात बेकाबू होने पर करार खत्म करने वाले बयान सामने आ रहे हैं तो क्या उससे पहले विकल्प की तलाश नहीं कर लेनी चाहिए थी ? ठेकेदारों का संज्ञान क्यों नहीं लिया, गत वर्षों से सफाई कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरना करते रहे उनकी सुध लेना भी जरूरी क्यों नहीं समझा गया, अब यह तर्क दिया जाए कि एमसीजी अधिकारियों के भृष्टाचारों बारे जानकारी नहीं हुई तो यह बात तो जनता के गले से उतरने से रही क्योंकि यह हालात शासन की लापरवाही बनाम प्रशासनिक अधिकारियों के भृस्टाचारों की देन है और यही लोगों की मानें तो एक दूसरे की पीठ खुजाने का सिद्धांत चल रहा है ।

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