हरियाणा कांग्रेस नेताओं से सार्वजनिक सवाल किया कि गुरूग्राम, फरीदाबाद, भिवानी-महेन्द्रगढ़ व करनाल लोकसभा सीटों से हारे कांग्रेसी उम्मीदवारों की तुलना में ऐसे कौनसे उम्मीदवार थे, जिन्हे यदि कांग्रेस नेतृत्व टिकट देता तो चुनाव जीत जाते : विद्रोही उन कथित मजबूत उम्मीदवारों की गुरूग्राम, फरीदाबाद, भिवानी-महेन्द्रगढ़ व करनाल लोकसभा क्षेत्र में चुनाव के समय क्या भूमिका रही? विद्रोही 17 जून 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने लोकसभा चुनावों में टिकट बटवारे पर सवाल उठाने वाले हरियाणा कांग्रेस नेताओं से सार्वजनिक सवाल किया कि गुरूग्राम, फरीदाबाद, भिवानी-महेन्द्रगढ़ व करनाल लोकसभा सीटों से हारे कांग्रेसी उम्मीदवारों की तुलना में ऐसे कौनसे उम्मीदवार थे, जिन्हे यदि कांग्रेस नेतृत्व टिकट देता तो चुनाव जीत जाते। विद्रोही ने कहा कि लोकसभा चुनाव टिकट बटवारे पर सवाल उठाने वाले नेताओं को यह भी बताना चाहिए कि जिन चार लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव हारे, उन क्षेत्रों में जिन नेताओं को कांग्रेस द्वारा दी गई टिकट से ज्यादा योग्य व जिताऊ उम्मीदवार बताया जा रहा है, उन कथित मजबूत उम्मीदवारों की गुरूग्राम, फरीदाबाद, भिवानी-महेन्द्रगढ़ व करनाल लोकसभा क्षेत्र में चुनाव के समय क्या भूमिका रही? ऐसे कथित मजबूत उम्मीदवारों ने कौन-कौन से विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस से चुनाव लडने वाले उम्मीदवारों को विजय दिलवाई? विद्रोही ने कहा कि जो कथित मजबूत उम्मीदवार अपने-अपने कथित प्रभाव वाले क्षेत्रों में जब कांग्रेस के पक्ष में अपेक्षित वोट भी नही डलवा सके, तो सहज अनुमान लगा ले कि वे कितने मजबूत उम्मीदवार होते? राजनीति का कटु सत्य यही है कि चुनाव लडने का इच्छुक हर नेता अपने आपको ही सबसे मजबूत उम्मीदवार समझता है जो राजनीति में स्वभाविक है। वास्तव में कौन उम्मीदवार जिताऊ व मजबूत है, यह टिकट मांगने वाले नेता के दावे मात्र से किसी भी दल का नेतृत्व नही मान सकता। कौन उम्मीदवार मजबूत है और किसे टिकट मिलनी चाहिए, यह चुनाव लडने का इच्छुक व्यक्ति तय नही कर सकता, यह कांग्रेस नेतृत्व सभी पक्षों से विचार-विमर्श करके तय करता है। विद्रोही ने कहा कि चुनावी टिकट न मिलने से किसी भी नेता में निराशा का भाव होना स्वभाविक है, पर अब जनादेश आ चुका है। जनादेश के बाद अपने को मजबूत साबित करने के अहंकार में पार्टी को कमजोर करने का कुप्रयास में जुटे नेता कांग्रेस हितैषी नही हो सकते। अपनी महत्वकांक्षा पूरी न होने पर लगातार पार्टी को कटघरे में खड़े करने वाले नेताओं पर अब अंकुश लगाने का समय आ गया है। कोई नेता एकबार अपनी बात सामने रख सकता है, यह तो समझ में आता है लेकिन बार-बार उसी बात को रोज अलापना न केवल पार्टी विरोधी है अपितु ऐसे नेता की पार्टी के प्रति वफादारी पर भी सवाल उठना स्वभाविक है। हरियाणा में जनता कांग्रेस को सत्ता देना चाहती है, पर कुछ नेता निजी स्वार्थो के चलते कांग्रेस की जीत में रोड़ा अटकाना चाहते है, जिनसे अब कांग्रेस नेतृत्व को कडाई से निपटना होगा। Post navigation भाजपा ने हरियाणा में धर्मेंद्र प्रधान को प्रभारी विपुल कुमार देव को सह प्रभारी बनाया मुख्यमंत्री ने तीर्थ यात्रा योजना के अंतर्गत रामलला के दर्शन के लिए बस को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना