अजीत सिंह हिसार । जून 13 – वरिष्ठ नागरिकों की संस्था वानप्रस्थ की बुधवारी बैठक में हरियाणवी लोकसंगीत की विभिन्न विधाओं की धूम रही। सांग, रागनी, बम्ब लहरी, आल्हा, भजन, वीररस और विरह गीतों सहित , सावन और फागण के गीतों की प्रस्तुति का यह कार्यक्रम डॉ सुरेंद्र गहलावत व डॉ इन्दु गहलावत की पोती के जन्मोत्सव के अवसर पर सीनियर सिटिजन क्लब में आयोजित किया गया था। नन्ही परी रोमिता को आशीर्वाद रूप में पुष्पा शर्मा ने एक गर्भवती स्त्री के मनोभाव टटीरी पक्षी के माध्यम से एक नए रंग के लोकगीत के रूप में प्रस्तुत किए *म्हारे ए मुँडेर पै बोलै ए टटीरी,घूँटी देउँ घूँटी देउँ बोलै ए टटीरी. जै मेरे छोरी होजा,ससुर मेरा खुश हो केतेरी सोने की चोंच घड़ा देगाम्हारे मंडेरे पे बोले ऐ टटीरी*… इसी रंग में प्रो रामकुमार सैनी ने लोकप्रिय गीत पेश किया,*मेरे घर आई एक नन्ही परी…* दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह ने हरियाणवी लोकसंगीत की विभिन्न विधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी और इसके साथ ही लोकगीतों का सिलसिला शुरू हो गया जो लगभग अढ़ाई घंटे चला।प्रो दीप पुनिया ने एक से बढ़कर एक सुंदर लोकगीत पेश किए।*हे कोये सूणती-गिणती हो त ,मत बणियों नार फौजी की !हे मैं रोज गली में देखूं ,कद ल्यावै डाकिया चिठ्ठी* ! *छूट्टी पूरी हो ली नार,तू दिल अपणै ने डाट लिये !दिल परदेसी डटता कोन्या,मत जाणै का नाम लिये .*… डा कृष्णा हुडा ने नए लोकगीतों के क्रम को आगे बढ़ाते हुए कई गीत पेश किए। *हे छुट्टी भी बंद होगी सरहद पै छिड़ी लड़ाई सै हे चाल्लें धड़ाधड़ तोप जड़े ननदी का भाई सै *….. कृष्णा हुडा का दूसरा गीत किसानों को समर्पित था। *कितनी करूं बड़ाई तेरी मैं हरियाणा के हाली हो,तेरे तै न्यारा के होगाइस मानवता का पाली हो.*.. बलवंत सिंह जांगड़ा ने नरसी का भात किस्से का गीत पेश किया। *सासु ताने मारै मत ना, मेरै ना माँ जाया बीर,भात मेरै कौन भरैगामेरे बाबुल होय री फ़क़ीर* नन्ही परी रोमिता की दादी डॉ इन्दु गहलावत ने भी एक लोकप्रिय गीत पेश किया। *बता मेरे यार सुदामा रै, भाई घने दिनों में आया.*.. कई सदस्यों ने पंडित लखमी चंद और फ़ौजी मेहरसिंह की रचनाएं पेश की। प्रेम केडिया ने पंडित लखमी चंद की लोकप्रिय रागनी पेश की। *लाख 84 खत्म हुई ना बीत कल्प युग चार गए नाक में दम आलिया करें क्या मरते मरते हार गए*। इसी रंग में करतार सिंह की प्रस्तुति थी, *कल कल करती दुनिया मरगी नहीं भरोसा कल का*… डा: अजीत कुण्डू की प्रस्तुति थी, *चौगर्दे नें बाग हराघनघोर घटा सामन की,छोरी गावें गीत सुरीले,झूल घली सामन की.*.. पूर्व सैनिक व पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी एस पी चौधरी ने भी फ़ौजी जीवन पर स्वरचित कविता पेश की। *भारत मां के वीर सपूतों अब ये फर्ज़ निभाना है.*… डॉ राजपाल सिंह खरब ने भी फ़ौजी की पत्नी के विरह जीवन पर एक रागनी पेश की। *करके घायल तड़पती छोड़ीजान क्यूँ ना काढ लेग्या,ओ परदेसी गैल मेरे बांध क्यूँ ना हाड लेग्या.*… कार्यक्रम में हल्की फुल्की नोक झोंक के गीत भी पेश किए गए। प्रो दीप पुनिया का गीत था, *मेरे बाबल ने करी सगाई, मेरी कोन्यां पार बसाई , बात का चाला सै। क्यूकर बैठूं बान बलम मेरा काला सै*…. इसी के प्रतिउत्तर में मंच संचालक अजीत सिंह ने गाया, *रै झाल डाट तू मैने बता, तने कौन कहे बहु काले की, मैं खाल खींच लयूं साले की।कदे छोरा मैं भी सुथरा था,तेरे बाप की नज़र त गुजरा था,रै जमींदारे ने सकल बदलदीआज तेरे घर आले की,तने कौन कहे बहु काले की,मैं खाल खींच लयूं साले की*… सुनीता सुनेजा ने हनुमान स्तुति पेश की तो संचालक अजीत सिंह ने शिव स्तुति की बम लहरी का नमूना पेश कर दिया। *हाथ जोड़ के बोली गवर्जामेरी एक सुनो अंतर्यामीमें तो दासी जनम जनम कीतुम्हे छोड़कर कहीं ना जाऊतुम्हे छोडू तो में मर जाऊबगड़ बम बबम बम बबम बम बम लहरीबगड़ बम बबम बम बबम बम बम लहरी* सन 1182 की जंग में पृथ्वीराज चौहान को हराने वाले बुंदेलखंड के वीर आल्हा ऊदल का किस्सा उन्होंने कुछ यूं पेश किया। *आल्हा -ऊदल बड़े लड़ैया, चम- चम चमक रही तलवार। मची खलबली रण में भारी, होने लगे वार पर वार।।जब- जब दुश्मन रण में आये,टूट पड़े ऊदल तत्काल।काट -काट सर धूल चटाते,कर रणभूमि रक्त से लाल।।महाबली ऊदल बलशाली,भीम सरीखे विपुल महान।सेना जब -जब आल्हा गाये,लड़ने जायें वीर जवान.*….. वानप्रस्थ के जनरल सेक्रेटरी डॉ जे के डांग ने नवागंतुक रोमिता के लिए आशीर्वाद रूप में अपनी कविता पेश की। *नन्हे – नन्हे कदमों सेसजा घर आंगन मेराजब से घर आई,मेरी नन्ही परी।।फूल भी खिल उठेतेरी मुस्कान के लिएपंछी डाले डेराघर आंगन में मेरेजब से घर आईमेरे नन्ही परी।*। डॉ श्याम सुंदर धवन ने एक हरियाणवी म्यूजिक वीडियो दिखायाऔर इंजीनियर योगेश सुनेजा ने लोकगीत पेश किया, *हमरी अटरिया पे आजा रे बलमवा,देखा देखी तनिक होई जाए*। वानप्रस्थ के प्रधान दयानद बेनीवाल ने कहा कि नन्ही परी रोमिता एक भाग्यशाली कन्या है जिसे आज लगभग 60 दादा दादियों का आशीर्वाद मिला और इसी बहाने आज का दिन हरियाणवी लोक संस्कृति की उत्तम प्रस्तुति के साथ युवा महोत्सव जैसा बन गया। Post navigation वाराणसी या अब वायनाड…? टी.बी. उन्मूलन अभियान में वानप्रस्थ का सहयोग निरंतर मिल रहा है- डा: सपना गहलावत, चीफ मेडिकल ऑफिसर