ग्रह गोचर गणना के अनुसार 15 दिसम्बर 2026 के बाद छ्त्रभंग योग बनने से मध्यावधि चुनाव होने की प्रबल संभावनाएं बनेगी

आचार्य डॉ महेन्द्र शर्मा “महेश”………….. देवभूूमे पानीपत जनपदे

होना तो वही है जो ईश्वर/नियति / प्रारब्ध ने तय कर रखा है , यह तो हमारा अज्ञान है कि हम नियति को न मान कर दूसरों के पक्ष के केवल नकारात्मक छायाचित्र को देखते हैं। आज ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया उमा जयंती के पावनावसर यदि प्रधान मंत्री का शपथ समारोह मध्याह्न अभिजीत नक्षत्र में होता तो देश की राजनैतिक स्थितियां कुछ भिन्न होती , सूर्य दशम भाव के कारक होने पर दशम में ही होते, लेकिन आज रविवार, 9/6/2024 शाम 7/15 बजे वृश्चिक लग्न में शपथ समारोह हो रहा है। वैदिक नियमन के अनुसार शुक्ल पक्ष के समस्त कृत्य मध्याह्न काले संपन्न करते हैं। जब आज शाम को शपथ समारोह होना है तो उस समय से लग्नकुंडली के फलादेश पर विचार कर लेते हैं। यह विश्व का दुर्भाग्य है कि 2011 ईo से इस काल खंड में संवत्सर की रूद्रबीसी चल रही है जो कि समूचे विश्व के लिए हर दृष्टि से विनाशकारी है।

आज 9/6/2024 को सायं 19/15 पर लोकसभा चुनाव के बाद श्री नरेन्द्र मोदी पुनः भारत के प्रधान मंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे। उस समय की आकाशीय ग्रह स्थिति और उसके क्या प्रभाव और परिणाम होंगे, उस पर चिंतन करते हैं। उस समय क्षितिज में वृश्चिक लग्न चल रहा होगा, उस समय लग्नेश अल्प बल 6* पर स्वराशि गत हो कर षष्ठ भावस्थ होंगे। यद्यपि यहां मंगल स्वग्रही है, लाभ देंगे क्योंकि षष्ठ भाव शत्रुहंता भाव है लेकिन मंगल नवमांश कुंडली में शत्रु राशि है व शनि के साथ होने से बल में हीनता का भी व्याप्त रहेगी । सूर्य वृषभ (शत्रु राशि में) सप्तम भाव में होने दैनिक राजकीय निर्णय भी प्रभावित होंगे यहां कोई भी क्रूर या पापी ग्रह हों वह विघटन कारी होते हैं। चतुर्थ भाव (जनता का भाव) में शनि के विराजित होने आम जनमानस में प्रतिष्ठा तो बनी रहेगी लेकिन शनि के दृष्टि दोष के कारण इस भाव के स्वामी सूर्य है, राज्यकार्य संचालित करने में बहुत कठिनाई होगी। इस समय की राष्ट्रीय कुंडली में बृहस्पति की महादशा का अंतिम अंतरप्रत्यंतर राहू का चल रहा है जो अगले वर्ष 23 फरवरी तक चलेगा।

बृहस्पति शत्रुराशि गत हैं और राहु के डिस्पोसिटर है और स्वयं शत्रु राशि गत होने से निर्बल पड़ रहे हैं तदन्तर शनि की महादशा चलेगी तो पहले तीन वर्ष तो घोर संघर्ष रहने के योग हैं और शनि तीसरी दृष्टि षष्ठ भाव को देखेंगे तो शत्रु पक्ष से घोर अशांति रहेगी। दशम दृष्टि से राज्यकाज में और दशम दृष्टि तो स्वयं प्रधान मंत्री की राशि पर होने से शरीर साथ नहीं देगा, मान सम्मान में त्रुटि रहेगी और अथक परिश्रम के बाद आशानुरूप परिणाम नहीं मिलेंगे।नवमांश कुंडली में भी अंगारक योग बना हुआ है जिसमें मंगल( +6) शनि (+24) के साथ हैं। यद्यपि शनि के दोषों का शमन मंगल से करते हैं,क्रूर ग्रह यद्यपि षष्ठ भाव में जातक को शत्रु को पराजित करने की शक्ति देते है , लेकिन मंगल बलाबल में निर्बल हैं। जिससे भाग्य और धर्म मार्ग पर चलने में कठिनाई होगी, यश नहीं मिलेगा।

सप्तम भाव में सूर्य + गुरु के संग बुध और शुक्र (अस्त) युति है, इस के मिश्रित फल प्राप्त होंगे, लेन देन से समस्याओं का निदान होगा। स्वच्छंद निर्णय लेने की शक्ति नहीं रहेगी क्यों की द्वितीयेश +धन और कुटुंब) और तृतीयेश (पुरुषार्थ) भाव के स्वामी अस्त हैं। पंचम भाव में राहु शातिर बनाता है लेकिन आय भाव में बैठा केतु धन संपदा तो दिलवाता है और साथ में यह भी कहता है कि चाल बाजी से कुछ भी नहीं मिलने वाला, वह मनुष्य को विकारों से मुक्ति भी दिलवाता है कि बस अब बहुत हो गया। चंद्रमा रिक्ति को प्राप्त हैं क्योंकि इनके आगे पीछे कोई ग्रह नहीं है केमद्रुम योग व्याप्त होने से तो कोई भी हाल चाल पूछने वाला नहीं है , शरीर स्वास्थ्य नहीं रहेगा, अपयश मिलेगा और दुर्भाग्य के फल मिलेंगे। राजनीति क्षेत्र में अस्तित्व के लिए बुध और शुक्र की सरलता और अनुकूलता प्राप्ति के अपनी मुखाकृति से सदैव कुपित क्रोधी प्रतिशोध तेवर हटा कर मुस्कराहट व्यवहार में सरलता , वाणी पर नियंत्रण व शुचिता और पारस्परिक सहजता भी लानी होगी।

वर्तमान समय गोचरीय लग्नानुसार आगामी वर्ष शनि की महादशा प्रारम्भ होनी है। शनि को भगवान शिव ने धर्म को पुनःस्थापना के लिए नियुक्त कर ईश्वर की उपाधि से सम्मानित कर रखा है। यदि हम सब के जीवन के किसी भी क्षेत्र में धर्म पालन में त्रुटि रही तो इस का परिणाम इस धरा का इस धरा पर सब धरा रह जायेगा। जैसा कि इस चुनाव में राजनैतिक धर्मपालन की त्रुटि रहने से सत्ताधारियों पर ईश्वर ने कृपा नहीं की। यदि जो कहा और किया वह निस्वार्थ और पारदर्शी होता, और अक्षरश धर्म पालन किया होता तो ईश्वर स्वयं आ कर सीस पर मुकुट सजाने आते।

ग्रह गोचर गणना के अनुसार 15 दिसम्बर 2026 के बाद छ्त्रभंग योग बनने से मध्यावधि चुनाव होने की प्रबल संभावनाएं बनेगी। यद्यपि नवमांश कुंडली में सूर्य स्वग्रही सप्तम भावस्थ होकर केंद्र में शनि मित्र क्षेत्रीय होकर चतुर्थ भाव में होने से देश में राजनैतिक उथलपथल उठापटक चलती रहेगी, जिससे राष्ट्र का राजनैतिक स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित होगा , राष्ट्र में प्रजातंत्र वेंटीलेटर पर आ जाएगा यह ग्रह गोचर स्थिति तो शपथ समारोह के समय की गोचर कुंडली है जो जन्मकुंडली से अधिक प्रभाव शाली होगी। यदि इस काल खण्ड में वृद्धजनों का सम्मान न किया गया और भाइयों और सहयोगी (political parties) का किसी प्रकार से अपमान किया गया तो शनि कुपित होकर अपना रंग दिखा देंगे।

ईश्वर सत्य हैं और सत्य ही शिव कल्याणकारी हैं। किया अभिमान तो फिर मान नहीं पाएगा। होगा वही प्यारे जो श्रीराम जी को भायेगा ।

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