श्रीमती इन्दु महेश्वरी ने अपने 75 -वें जन्मोत्सव पर वानप्रस्थ को दिया सप्लिट ए. सी. का तोहफ़ा हिसार, 8 जून – आज वानप्रस्थ सीनियर सिटीज़न क्लब में श्रीमती इन्दु माहेश्वरी के 75-वें जन्मोत्सव पर एक भव्य मनोरंजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम का प्रारंभ डा: सुनी जन्मदिन पर एक पौधा भेंट किया । इस अवसर पर श्रीमती इन्दु ने इस वर्ष की भयंकर गर्मी को देखते हुए क्लब को एक दो टन का पैनासोनिक सप्लिट एस. सी. भेंट किया जिस का सब सदस्यों तालियों के साथ स्वागत किया। हाल पाँच मिण्ट तक तालियों से गूंजता रहा। इस अवसर पर उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि उन्हें पढ़ाई की बजाय खेल- कूद में अधिक रुचि थी। राज्यस्तर पर दौड़ ( रेसेज) में भाग लेती थी और कई इनाम प्राप्त किए। वह चंचल और मस्त रहती थी।कभी उनकी माँ पढ़ाई के लिए कहती तो वह कहती कि माँ फर्स्ट डिवीज़न तो आएगी नहीं , सेकण्ड डिवीज़न छोडुगी नहीं। परन्तु विवाह के बाद अपने बच्चों की शिक्षा का विशेष ध्यान रखा । उनका बेटा आशुतोष आई आई टी खड़गपुर का विद्यार्थी रहा है। आशुतोष महेश्वरी इस भव्य कार्यक्रम का गवाह बनने के लिए विशेष रूप से मुंबई से यहाँ आए। आशुतोष ने कहा कि जिस मुक़ाम पर वह आज हैं , उसका श्रेर्य उनकी माँ को जाता है। क्लब के पैट्रन एवं वरिष्ठ सदस्य डा: महेंद्र प्रताप गुप्ता ने क्लब के सब सदस्यों की ओर से इस तोहफ़े के लिए महेश्वरी परिवार का तहे – दिल से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि आपने वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा एवं आराम के लिए जो उपहार दिया है वह भविष्य में हमेशा याद किया जाएगा। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा डा : आर. के. सैनी के यादगार गाने। उन्होंने भारतीय फ़िल्म जगत के प्रसिद्ध गायक और गीतकारों के गीत अपनी मधुर एवं सधी आवाज़ में पेश किए। गानों का सिलसिला कुछ इस तरह से चलाउन्होंने सुमन कल्याणपुर का भजन“सीता के राम , राधा के श्याम …..” के साथ शुरू किया।इसके बाद एक से बढ़ कर गायक मुकेश की गानों की झड़ी लगा दी।“ मैं तो एक ख्वाब हूँ, इस ख्वाब से तू प्यार न करप्यार हो जाए तो, फिर प्यार का इज़हार न कर मैं तो एक ख्वाब हूँ …” सुनाया। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दिल ने पुकारा फ़िल्म का मशहूर गीत “ वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होतेहम भी ग़ैरों की तरह आप को पयारे होतेवक़्त करता जो वफ़ा …” “ ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आईबहार आने से पहले ख़्हिज़ाँ चली आई…..” “ ओ रात के मुसाफ़िर चन्दा ज़रा बता देमेरा क़ुसूर क्या है, तू फ़ैसला सुना दे “ -लता एवं रफ़ी “ ये दुनिया, ये महफ़िल, मेरे काम की नहींये दुनिया, ये महफ़िल, मेरे काम की नहीं” – रफ़ी डा: सैनी गीत सुनाते रहे और हाल तालियों से गूंजता रहा । अंतराल में डा : एस. के .माहेश्वरी ने वक्त की नज़ाकत को देखते हुए अपने हमसफ़र के लिए अपने समय का बहुचर्चित गीत “ चांद सी महबूबा हो मेरीकब ऐसा मैंने सोचा थाहां तुम बिलकुल वैसी होजैसा मैंने सोचा था…,,” श्री प्रेमकेडिया ने“ सौ बार जन्म लेंगे सौ बार फना होंगे ए जाने वफा फिर भी हम तुम ना जुदा होंगे” गाया। कार्यक्रम का आकर्षण रही डा: कृष्णा हुडा जिन्हो हरियाणवी लोकागीत “ हाय सासरै कोन्या जाऊ मैंबालम याणा सास लङाकी कोन्या जाऊ मैहाय सासरै कोन्या जाऊ मैछोट्टा सा बालम मेराबालकाँ मैं खेलता पावै रीमै तै उसनै बोलू ना वो माँ माँ करता पावै रीहाय सासरै कोन्या जाऊ मैं ……” गाकर सब को मन्त्र मुग्ध कर दिया। श्रीमती राज गर्ग ने गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की कविता इन्दु जी को समर्पित की… “ नहीं मांगती प्रभु, विपत्ति से मुझे बचाओ,विपदा में निर्भीक रहूं मैं,इतना हे भगवान करोनहीं मांगती दुःख हटाओ, व्यथित हृदय का ताप मिटाओदुखों को मैं आप जीत लूंऐसी शक्ति प्रदान करोविपदा में निर्भीक रहूं मैंऐसा हे भगवान करो…” इस अवसर पर महेश्वरी परिवार ने जलपान का विशेष प्रबंध किया । इस कार्यक्रम में लगभग 60 सदस्यों ने भाग लिया। Post navigation ये लिव इन, लिव इन क्या है ! पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक