आचार संहिता हटते ही एक्शन मोड में सैनी सरकार

अब परिवार पहचान पत्र ओर प्रॉपर्टी आईडी को किया जाएगा ऑफलाइन

अब किसानों को साधने की कोशिश, किसान एवं खेतीहर मजदूर योजना में आयु सीमा समाप्त

पांच करम के सभी रास्तों को पक्का किया जाएगा

‘मनोहर’ मुस्कान के पीछे हार का दर्द छुप गए खट्टर, दस बार धन्यवाद कहकर टाल गए जबाब

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में 2019 में क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा ने इस बार के चुनाव में पिछले दस साल में सबसे खराब प्रदर्शन किया है। अहंकार में डूबे प्रदेश नेतृत्व के कारण पांच सीटें गंवाने के साथ भाजपा का वोट शेयर 58 फीसदी से गिरकर 46.1 फीसदी तक पहुंच गया है। भाजपा ने इस चुनाव को जीतने के लिए जो दांव चला था, वह उलटा पड़ गया। भाजपा की हार में जितनी उसकी रणनीति जिम्मेदार है, उतनी ही भागीदारी हरियाणा सरकार की भी रही है। हर लिया गया फैसला सही है, इस अति आत्मविश्वास ने पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाया। आचार संहिता हटते ही हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने किसानों और श्रमिकों के हित में बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने किसानों और खेतीहर मजदूरों के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना में आयु सीमा को समाप्त कर दिया है।

जाटों की नाराजगी को पार्टी ने गंभीरता से नहीं लिया। उनसे जुड़ने के बजाय पार्टी उनसे दूर होती चली गई। जनता के बीच रहने वाले कार्यकर्ताओं की कहीं नहीं सुनी गई। न तो उनकी अधिकारियों ने सुनी और न ही टिकट बंटवारे के दौरान भाजपा ने। जमीन पर उतरे जरूर, मगर मन मारकर के। जब लगा कि बात काफी आगे बढ़ गई है तो सीएम को चुनाव के दौरान अधिकारियों पर लगाम लगाने की बात कहनी पड़ी। 

किसान व किसान नेता से संवाद करने के बजाय उलझी योजनाओं से साधने के समीकरण भी काम नहीं आए। भाजपा ने अब मंथन शुरू कर दिया है। संभव है कि हार का ठीकरा कुछ विधायकों, पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं पर फूटे। भाजपा व सरकार ने अपनी रणनीति व रवैये में बदलाव नहीं किया तो चार महीने बाद विधानसभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

भाजपा के खराब प्रदर्शन के कारण

1. जाट ने खींचे हाथ : हरियाणा की आबादी में जाटों की हिस्सेदारी करीब 27 फीसदी है। कम से कम 40 विधानसभा क्षेत्र में इस बिरादरी की अहमियत है। भाजपा की रणनीति थी कि वह गैर जाट वोटों की गोलबंदी से वह सभी सीटों पर जीत हासिल कर लेगी, मगर उसकी रणनीति फेल हो गई। जाट मतदाताओं ने भाजपा से दूरी तो बनाई। साथ ही दलित वोट भी पार्टी से खिसक गया। इससे पार्टी को अंबाला, सोनीपत, रोहतक, हिसार और और सिरसा सीट से हाथ धोना पड़ा।

2. किसानों की नाराजगी : किसान आंदोलन की वजह से भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। 2019 से लेकर इस चुनाव तक दो किसान आंदोलन हुए। इसे लेकर किसानों के एक वर्ग में जबरदस्त गुस्सा देखा गया। वहीं, मुआवजे व अन्य योजनाओं में ऑनलाइन की प्रक्रिया से किसान काफी परेशान हुए। योजनाओं के लाभ को लोगों तक पहुंचाने की प्रक्रिया को सरल करने के बजाय सरकार अपनी योजनाओं को बेस्ट बताने में जुटी रही।

3. सरकार का अड़यिल रवैया : पिछले दो सालों के दौरान राज्य के सरपंच, डॉक्टर और कर्मचारी भी सरकार की नीतियों से परेशान दिखे। सरपंचों की शक्तियां छीन ली गई। एमबीबीएस दाखिला के लिए बॉंड पालिसी और कर्मचारियों की विभिन्न मांगों को लेकर सरकार झुकी नहीं। यहां तक सरकार ने बातचीत करने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। इससे सरकार के खिलाफ लोगों में गलत संदेश गया।

4. टिकटों का बंटवारा : उम्मीदवारों के चयन के स्तर पर पार्टी की सबसे बड़ी चूक हुई। चुनाव के दौरान कुछ ऐसे लोगों को टिकटें दी गई, जिसे स्थानीय कार्यकर्ता स्वीकार नहीं कर सके। हिसार, सिरसा और रोहतक के उम्मीदवारों को लेकर अंदरखाते ज्यादा विरोध था। मगर हरियाणा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस विरोध को दरकिनार कर दिया। उलटा उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को विश्वास जता दिया कि वह चुनाव जीत रहे। सिरसा और रोहतक में सबसे बड़े मार्जिन से पार्टी की हार हुई है।

5.प्रदेश अध्यक्ष की कमी : तीन साल से हरियाणा में काम कर रहे ओम प्रकाश धनखड़ को हटाकर पार्टी ने नायब सिंह सैनी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। धनखड़ ने गांव-गांव जाकर बूथ मैनेजमेंट पर काफी फोकस होकर काम किया था। नए कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज तैयार की थी। मगर शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें हटाकर दिल्ली की जिम्मेदारी सौंप दी। वहीं, सैनी जब तक कुछ समझ पाते, पार्टी ने उन्हें सीएम बना दिया। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सीएम नायब सिंह सैनी के पास थी। जबकि वह खुद चुनाव लड़ रहे थे। यदि चुनाव के बाद धनखड़ को हटाते तो शायद इतना नुकसान नहीं होता।

6.फैमिली व प्रॉपर्टी आईडी : चुनाव में सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी 

उसकी महत्वाकांक्षी योजना फैमिली व प्रॉपर्टी आईडी बनी। लोग इससे काफी परेशान थे। फैमिली आईडी की वजह से कई लोगों के राशन कार्ड कट गए। पेंशन बंद हो गई। आयुष्यमान कार्ड कट गए। सरकार ने इन योजनाओं को बिना किसी तैयारी के ही लागू कर दी थी। इसका खामियाजा भी भाजपा को चुनाव में उठाना पड़ा। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री बनवारी लाल ने बयान दिया है कि फैमिली आईडी और परिवार पहचान पत्र को ऑफलाइन किया जाएगा।

7.अग्निवीर योजना : अग्निवीर योजना से पूरे देश में गुस्सा देखा गया। इससे हरियाणा भी अछूता नहीं रहा। हरियाणा के ग्रामीण इलाकों से काफी संख्या में युवक फौज में शामिल होते हैं। इस योजना से ग्रामीण युवाओं में काफी नाराजगी देखी गई। विपक्ष ने भी इन इलाकों में मजबूती से मुद्दा बनाए रखा।

मुख्यमंत्री ने किसानों और खेतीहर मजदूरों के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री किसान एवं खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना में आयु सीमा को समाप्त कर दिया है। अब 10 वर्ष से कम आयु के बच्चे और 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों को भी इस योजना के तहत लाभ मिल सकेगा। इस योजना के अंतर्गत किसानों, खेतिहर मजदूरों, मार्केट यार्ड में काम करने वाले मजदूरों को कृषि मशीनरी पर कार्य करने के दौरान मृत्यु या अंगहानि होने पर 37,500 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

नायब सिंह ने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि सभी परियोजनाओं को तय समयावधि में पूरा किया जाए। किसी भी स्तर पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके साथ ही आगामी 15 जुलाई से कालका में सेब मंडी में भी कार्य शुरू किया जाए। बैठक में बताया गया हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा प्रदेश की 40 मंडियों में अटल मजदूर कैंटीन चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि कई परियोजनाएं जमीन की उपलब्धता न होने या अन्य विभाग से मंजूरी न मिलने के कारण देरी से क्रियान्वित होती हैं। ऐसे सभी मामलों के समाधान के लिए पीएम गति शक्ति की तर्ज पर प्रदेश में भी हरियाणा गति शक्ति बनाया जाए।

5 करम के सभी रास्तों को एक साथ किया जाए पक्का

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में खेतों को जाने वाले 5 करम के अधिकतर रास्तों को पक्का किया जा चुका है। जहां 5 करम के रास्तों की चौड़ाई बीच-बीच में कम है, ऐसे लगभग 490 किलोमीटर लंबाई के रास्ते शेष हैं, जिन्हें पक्का किया जाना है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एक प्रोजेक्ट बनाकर ऐसे बचे हुए सभी 5 करम के रास्तों को पक्का किया जाए। इसके अलावा, मंडी बोर्ड की जो भी सड़कें खराब हैं, उनकी विशेष मरम्मत कराई जाए। 10 दिनों में समुचित प्लानिंग करके टेंडर प्रक्रिया पूरी की जाए।

उधर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर गुरुवार को राज्य की राजधानी चंडीगढ़ पहुंचे। यहां एयरपोर्ट पर फ्लाइट से उतरने के बाद बाहर निकलते समय मीडिया कर्मियों ने उन्हें घेर लिया और सवाल दागने शुरू कर दिए। लेकिन, चेहरे पर मुस्कान लिए मनोहर लाल खट्टर ने हर सवाल का जवाब केवल एक शब्द से दिया। बता दें कि हाल ही में आए लोकसभा चुनाव में भाजपा को हरियाणा में भी बड़ा झटका लगा है। पिछले चुनाव में राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा के खाते में इस बार केवल 5 सीटें आई हैं। बाकी पांचों पर कांग्रेस को जीत मिली है। करनाल से चुनाव लड़ने वाले खट्टर खुद को जीते हैं लेकिन पार्टी का प्रदर्शन निराश करने वाला रहा है।

एयरपोर्ट पर मनोहर लाल खट्टर ने मीडिया ने जैसे ही सवाल पूछने की कोशिश की उन्होंने धन्यवाद कहते हुए हर सवाल को अलग ही अंदाज में टाल दिया। मीडिया कर्मियों ने सवाल पूछने की कोशिश करते रहे और खट्टर धन्यवाद-धन्यवाद कह कर आगे बढ़ते रहे। इस दौरान उन्होंने करीब 10 बार धन्यवाद कह दिया।

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