डा. जय भगवान सिंगला ने समर्थ भारत केंद्र की स्थापना आर्थिक कारणों से वंचित बच्चों को शिक्षित करने के लिए की थी।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 27 मई : नगर के विख्यात प्रेरणा वृद्धाश्रम के संस्थापक एवं साहित्यकार डा. जय भगवान सिंगला द्वारा समर्थ भारत केंद्र की स्थापना 2 वर्ष पूर्व आर्थिक कारणों से वंचित बच्चों को शिक्षित करने के लिए की गई थी। डा. जय भगवान सिंगला के अनुसार इस केंद्र को संचालित करने का एकमात्र उद्देश्य था कि ग्रामीण परिवेश में पढ़ रहे अनाथ एवं निर्धन बच्चों को निशुल्क शिक्षित करना और उन्हें भारतीय संस्कृति एवं संस्कार दे कर सभ्य नागरिक बनाना है। उन्होंने बताया कि समर्थ भारत केंद्र के संचालन में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) के प्रो. के.के. सिंह की धर्मपत्नी संगीता सिंह प्राचार्या के तौर पर अहम भूमिका अदा कर रही हैं। सैंकड़ों बच्चे इस केंद्र में निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर आगे बढ़ रहे हैं।

डा. जय भगवान सिंगला ने बताया कि सोमवार को विशेष तौर पर उन बच्चों को सम्मानित किया गया जिन्होंने विशेष उपलब्धि हासिल की है। इन बच्चों में सर्वोपरि रही एक निर्धन परिवार की होनहार बच्ची प्रीति थी जिसे कार्यक्रम में शाल डालकर और अंग वस्त्र पहनाया सम्मान दिया गया। इसी मौके पर डा. जय भगवान सिंगल द्वारा रचित खुशी अपनी मुट्ठी में नामक की पुस्तक भी भेंट की गई। डा. सिंगला ने बताया कि समर्थ भारत केंद्र की प्रीति ने ऑल इंडिया सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा और जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा पास कर ली है। इस अवसर पर वहां केंद्र में पढ़ने वाले सभी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की भी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में सम्मानित होने के उपरांत प्रीति ने कहा कि मैं बड़ी होकर सेना में अधिकारी बनना चाहती है। कार्यक्रम में केंद्र के बच्चों ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्वसन तंत्र (डी.आर.आई.पी.) सिस्टम, चंद्रयान, ग्लोबल, वार्मिंग वाटर, साइकिल इत्यादि कई मॉडल वर्किंग कंडीशन में प्रस्तुत किए। इन बच्चों के साथ राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एन.आई.टी.) की पी.एच.डी. स्कॉलर पूजा कुमारी, दिव्यांशी पांडे, अरपेश सिंह और अंकित शर्मा भी विशेष तौर पर मौजूद रहे।

कार्यक्रम में इस केंद्र के संस्थापक डा. जय भगवान सिंगला ने कहा कि हमारा एकमात्र उद्देश्य है कि निर्धन और अनाथ बच्चों को निशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवा कर उन्हें श्रेष्ठ नागरिक बनाना और जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का का हर अवसर प्रदान करना है। प्राचार्या संगीता सिंह की प्रशंसा की गई और बच्चों के माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे पढ़ाई के मामले में बहुत आगे बढ़ सकते हैं। संगीता सिंह ने कहा कि मेरे जीवन का उद्देश्य हर बच्चे को शिक्षित करना और उन्हें जीवन में सम्मानित नागरिक बनाना है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर आशा सिंगला के साथ विशिष्ट अतिथि डा. के.के. सिंह एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी करमजीत मिन्हास भी मौजूद रही।