2019 में भव्य बिश्नोई, 2014 में संपत सिंह और 2011 उपचुनाव में जय प्रकाश नहीं बचा पाए ज़मानत राशि 

फरवरी, 1998 में हिसार लो.स. सीट से जय प्रकाश ने रणजीत सिंह को 98 हज़ार वोटों से था पछाड़ा  

तब जेपी निर्दलीय नहीं बल्कि समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) से लड़े थे  चुनाव, वहीं रणजीत थे कांग्रेस उम्मीदवार 

बेशक  दोनों  तब चुनाव हारे परन्तु 23.60 % वोट लेकर  जेपी तीसरे स्थान पर रहे और  ज़मानत बचाई परन्तु  रणजीत मात्र  10.10% वोट लेकर नहीं बचा पाए ज़मानत 

हिसार  – आज से तीन दिन बाद शनिवार 25 मई को 18वी लोकसभा आम  चुनाव के छठे चरण में   हरियाणा  में सभी 10 लोकसभा सीटों पर मतदान निर्धारित हैं जिसमें प्रदेश में हॉट सीट मानी जा रही  हिसार  संसदीय सीट भी शामिल है जिसमें   मतदाताओं की संख्या चुनाव आयोग द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार 17 लाख 99 हजार 539 है. 

हिसार लोकसभा सीट पर बेशक कुल 28 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं जिनमें 18 निर्दलीय हैं हालांकि  मुख्य मुकाबला भाजपा के रणजीत चौटाला और कांग्रेस के जय प्रकाश (जेपी) के बीच ही है. जजपा उम्मीदवार नैना सिंह चौटाला और इनेलो प्रत्याशी सुनैना चौटाला के मध्य तीसरे और चौथे स्थान प्राप्त करने के लिए ही दौड़ मानी जा रही है.  वहीँ बसपा, जो एक राष्ट्रीय दल है, के उम्मीदवार देश राज भी चुनावी मैदान में हैं.

हाल ही में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हिसार लोकसभा सीट के अंतर्गत पड़ने वाले बरवाला विधानसभा हलके में कांग्रेस प्रत्याशी जेपी के समर्थन में आयोजित  एक चुनावी जनसभा दौरान बयान दिया कि जो हिसार सीट जीतेगा, प्रदेश में आगामी सरकार उसी की बनेगी. 

इस विषय पर  पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट  हेमंत कुमार ने   बताया कि बेशक हुड्डा को इस सम्बन्ध में आत्मविश्वासी होने का पूरा  अधिकार है हालांकि बीते कुछ वर्षो में ऐसा हुआ कि हिसार लोकसभा  सीट जीतने वाले उम्मीदवार की पार्टी की हरियाणा में सरकार नहीं बना  पाई थी. यहाँ तक कि भूपेंद्र हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते जब तीन बार हिसार लोकसभा सीट पर चुनाव एवं  उपचुनाव हुआ, तो दो बार उनमें कांग्रेस के उम्मीदवारों की ज़मानत ही  जब्त हो गई थी. यहीं नहीं पांच वर्ष पूर्व मई, 2019 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार भव्य बिश्नोई (वर्तमान में आदमपुर से भाजपा विधायक )  न केवल हिसार लोकसभा  चुनाव हारे बल्कि इस सीट से अपनी ज़मानत राशी भी नहीं बचा पाए थे. 

 दस वर्ष पूर्व   मई,2014 में जब हरियाणा में हुड्डा के नेतृत्व में हरियाणा में कांग्रेस सरकार थी, उस समय 16वी लोकसभा आम चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने तब  इनेलो के उम्मीदवार के तौर पर   हिसार लोकसभा सीट जीती जिसमें उन्होंने कुलदीप बिश्नोई को पराजित किया जो तब हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजका) के प्रत्याशी थे और जिनका भाजपा से  गठबंधन था. उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी संपत सिंह ज़मानत नहीं बचा पाए थे. बहरहाल, उसके  5 महीने बाद  अक्टूबर,2014 में प्रदेश में इनेलो की नहीं बल्कि  मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा की  स्वयं उसके  बहुमत पर पहली सरकार बनी. 

हेमंत ने बताया कि 15 वर्ष पूर्व मई,2009 में जब 15वी लोकसभा आम चुनाव हुए, तब हिसार लोकसभा सीट से हजका प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल सांसद निर्वाचित हुए थे  और उन्होंने इनेलो के संपत सिंह और कांग्रेस के जय प्रकाश को पराजित किया. उसके 5 महीने बाद हजका की  नहीं बल्कि हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की दूसरी सरकार बनी. हालांकि यह बात और है कि भूपेंद्र हुड्डा ने सरकार बनाने के कुछ ही दिनों बाद हजका के जीते कुल 6 विधायेकों में से कुलदीप बिश्नोई को छोड़कर शेष पांच को अपने पाले में कर लिया था.

 उसके दो वर्ष बाद अक्टूबर,2011 में जब  भजन लाल के  निधन के कारण  हिसार लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ, तब भी सत्ता में होने बावजूद अर्थात मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र हुड्डा उस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश को नहीं जिता पाए थे एवं उस चुनाव में हजका से कुलदीप बिश्नोई ने इनेलो के अजय चौटाला को हराया था. यहाँ तक कि उस चुनाव में कांग्रेस के जय प्रकाश को केवल डेढ़ लाख वोट मिले एवं हिसार लोकसभा सीट से उनकी पहली बार जमानत जब्त हुई थी.

 फरवरी, 1998 में जब देश में 12वी लोकसभा के आम चुनाव हुए तब प्रदेश में बंसी लाल के नेतृत्व में हविपा-भाजपा सरकार थी, तब हिसार लोकसभा से हरियाणा लोकदल (राष्ट्रीय) ( देवी लाल-चौटाला की पार्टी इनेलो का तत्कालीन नाम हलोदरा था )

के सुरेंद्र सिंह बरवाला निर्वाचित होकर सांसद बने थे एवं उसमें उन्होंने हविपा के ओपी जिंदल को हराया था. हालंकि उसके करीब  डेढ़ वर्ष बाद जुलाई, 1999 में ओपी चौटाला ने भाजपा और हविपा के बागियों के साथ मिलकर बंसी लाल सरकार का तख्तापलट कर दिया था और स्वयं मुख्यमत्री बने. अक्टूबर, 1999 में सुरेंद्र बरवाला लगातार दूसरी बार हिसार से सांसद बने हालांकि तब उनकी पार्टी का नाम इनेलो हो गया था.  

इसी बीच हेमंत ने बताया कि फरवरी,1998 में हुए लोकसभा आम चुनाव में  जय प्रकाश, जो आज  हिसार से कांग्रेस प्रत्याशी हैं, ने तब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नहीं हीं बल्कि  समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) के टिकट पर  चुनाव लड़ा था जिसमें वह  हलोदरा (वर्तमान नाम इनेलो) के सुरेन्द्र सिंह बरवाला से चुनाव हार गए थे. उस चुनाव में जय प्रकाश तीसरे स्थान पर रहे थे जबकि दूसरे स्थान पर हविपा के ओम प्रकाश जिंदल रहे थे. उस चुनाव में जय प्रकाश को 1 लाख 71 हज़ार 129 वोट अर्थात   23.60 % वोट प्राप्त हुए थे जिस कारण वह अपनी ज़मानत बचा पाए थे. रोचक बात यह है कि उस चुनाव में हिसार लोकसभा सीट  से मोजूदा भाजपा उम्मीदवार रणजीत चौटाला  ने  तब कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था  और उन्हें केवल 73 हजार 251 वोट अर्थात  10.10 % प्रतिशत वोट ही मिले थे जिससे  उनकी ज़मानत राशि भी  जब्त हो गई थी.

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