*विपक्ष घुसपैठिया तो ग्रहमंत्री कार्यवाही करें उन्हें प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल कराने पर आमादा क्यों ? माईकल सैनी (आप) *वोट बैंक का सर्वाधिक डर गृहमंत्री अमित शाह को अन्यथा सभी धर्मो के प्रति समान दृष्टिकोण रखते ? माईकल सैनी (आप) गुरुग्राम 20/5/24 आम आदमी पार्टी माईकल सैनी ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव अमर्यादित भाषणशैली व आचरण का प्रतीक बन गया है – एक ओर जहां प्रधानमंत्री प्रमुख विपक्षी दल कोंग्रेस के नेता श्री राहुल गांधी को शहजादे की संज्ञा देकर उनके द्वारा उठाए गए सवालों को माओवादी भाषा बताने में जुटे हैं – अब पाठकगण तय कर बताएं कि आसमान छूती महंगाई जिसके कारण प्रत्येक गृहणी का रसोई खर्च कई गुना बढ़ गया हो, निजीकरण के कारण पिछड़े दलितों, आदिवासियों को मिलने वाला आरक्षण समाप्त होने से समानतावादी प्रयासों को ठेस पहुंची हो साथ ही नोकरियाँ खत्म होने से बेरोजगारी दर में बेतहाशा वृद्धि हुई जिसकारण देश का युवा नशाखोरी व अपराध की ओर जाने को मजबूर है, कर्मचारियों की पेंशन का सवाल भी एक बड़ा मुद्दा होने के साथ मध्यमवर्गीय व्यापारियों पर लादा गया गलत जीएसटी हो अथवा किसानों का उत्पीड़न व नारी न्याय के मुद्दे उठाना क्या माओवादी विचारधारा है ? उन्होंने कहा कि दूसरी ओर देश के गृह मंत्री अमित शाह कोंग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों को घुसपैठिए बता आरोप लगा रहे हैं कि वोटबैंक के डर से वह प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं हुए, अब यहां सवाल यह है कि जिस प्राण प्रतिष्ठा को चारों शंकराचार्यों ने ही उसे भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम करार दिया हो तो विपक्षी दल क्या करने पहुंचते और सवाल यह भी बहुत बड़ा है कि सभी विपक्षी घुसपैठिए हैं तो उन्हें क्यों शामिल करना चाहते थे और उनके नहीं आने पर इतने हताश क्यों हैं क्या घुसपैठियों के ना आने से तथाकथित प्राण प्रतिष्ठा अधूरी रह गई या फिर विपक्षियों को अपमानित करने का कोई मंसूबा विफल हुआ अथवा कोई राजनीतिक मसाला नहीं मिला ?ईकल सैनी का मानना है कि अटल बिहारी वाजपेयी जी की नियम सिद्धातों वाली भाजपा के विशाल संगठन में संघ परिवार की मूक सहमति के चलते गुजरात लॉबी द्वारा बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को किनारे लगा जब महत्वपूर्ण पदों पर आधिपत्य स्थापित कर लिया गया, अपने अधीनस्थ कर लिया गया असल घुसपैठ तो वही थी जिसे मोदी-शाह की जोड़ी ने ही अंजाम दिया था, तो क्यों नहीं इन दोनों को ही वास्तविक घुसपैठिया कहा जाए ? लोकमंगलार्थ एवं धर्म के रक्षार्थ होने की दुहाई देती आ रही मोदी-शाह की जोड़ी ने धर्म को ही अपनी राजनीति का आधार बनाया तथा उसी के इर्दगिर्द लोगों को अपने दोनों कार्यकालों में भृमित कर उलझाए रखा जो कोशिशें आजतल्क बदस्तूर जारी हैं मगर पर्दे के पीछे की हकीकत को समझनें का प्रयास करें तो ज्ञात होता है कि लोकहित की बजाय चंद पूंजीपति मित्रों को ही लाभ पहुंचाने का कार्य किया गया इनके द्वारा ! उन्होंने कहा कि विविधता के सौंदर्य, लोकलाज व लोकतांत्रिक मर्यादाओं को नष्ट-भृष्ट करते हुए कई लोकसभा सीटों पर एकतरफा चुनाव कराने की स्थितियां पैदा की जिसका जीवंत उदाहरण है सूरत संसदीय सीट है जहाँ सभी चुनोती देने वालों को येन,केन,प्रकरेण हटा दिया गया, अब सवाल यह है आखिर क्या उपलब्धियां हासिल है भाजपा प्रत्याशी को अथवा ऐसी कितनी लोकप्रियता रही के उनके विशाल जनाधार को देख किसी व्यक्ति की हिम्मत ही नहीं हुई उन्हें चुनोती देने की ? माईकल सैनी ने कहा कि देश की स्वतंत्र संस्थाओं में घुसपैठ करने वाले मोदी शाह के अन्याय काल’से समस्त देशवासी त्रस्त हैं, तमाम राज्य उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं बतौर उदाहरण लद्दाख, मणिपुर, दिल्ली, पंजाब, झारखंड इत्यादि.. Post navigation प्रेमी की हत्या के आरोप में प्रेमिका गिरफ्तार …….. जिलाधीश निशांत कुमार यादव ने सरकारी एवं निजी भूमि पर अनाधिकृत झुग्गी-झोपड़ियों के निर्माण पर रोक लगाने के दिए आदेश