आखिर क्यों किया जा रहा है किरण को कांग्रेस छोडऩे पर मजबूर

बंसीलाल परिवार की सियासत की विरासत को बचाने के क्या करेगी किरण चौधरी

ऋषिप्रकाश कौशिक

सूर्य देव की किरण भले ही सीधी होकर जमीन को तपाने का काम कर रही है साथ ही कांग्रेस के कुछ नेताओं की चालबाजी के चलते भिवानी से कांग्रेस की कद्दावर नेता किरण चौधरी की राजनैतिक किरण उनकी बेटी श्रुति की टिकट कटवाने का काम तो कर चुके है लेकिन अब वो किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी को राजनैतिक की उस अंधकारमय दौर में पहुंचाना चाह रहे है जहां उजाले की कोई किरण नही दिखाई दे। वैसे तो कांग्रेस की इस गुटबाजी का खुला रूप सबको पता है लेकिन हर सीट पर इस गुटबाजी में एक चेहरा जो प्रमुख है वो भूपेंद्र सिंह हुड्डा। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के अंतिम दौर में भिवानी सीट पर कांग्रेस में गुटबाजी के बम ने एक बार फिर से धमाका कर दिया है।

बता दे कि भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से बेटी श्रुति चौधरी का टिकट कटने के बाद मायूस कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री किरण चौधरी को अब हुड्डा गुट की तरफ से खुलकर नजरअंदाज किया जा रहा है। किरण चौधरी के मुताबिक उन्हें लोकसभा क्षेत्र के किसी भी प्रोग्राम में नहीं बुलाया जा रहा है और न ही उन्हें सूचना दी जा रही है। ऐसे में अपनी पार्टी के नेताओं द्वारा अनदेखा किए जाने पर किरण का दर्द छलक पड़ा।

भिवानी स्थित अपने आवास पर किरण चौधरी न मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस नेताओं को यदि किसी कार्यक्रम को लेकर मैं फोन करती हूं तो फोन उठता ही है। इसके आगे उन्होंने कहा कि इलाके प्रदेशाध्यक्ष उदयभान और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा तक आ चुके हैं, लेकिन इस बात की सूचना न तो मुझे दी गई और न ही श्रुति को दी गई। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं पर बार-बार बेइज्जती करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हम गुटबाजी नहीं कर रहे हैं, पर इलाके में कोई प्रोग्राम होता है और सूचना तक नहीं दी जाती। ऐसे में कौन गुटबाजी कर रहा है यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

गौरतलब है कि हरियाणा एसआरके और हुड्डा गुट में बंटी कांग्रेस में लंबे समय से गुटबाजी चल रही है। लोकसभा टिकट के बंटवारे में 9 में 8 टिकट हुड्डा गुट के लोगों को मिली। एसआरके गुट के हिस्से में सिर्फ एक सीट आई। इसके साथ ही महेंद्रगढ़-भिवानी सीट पर किरण की बेटी श्रुति चौधरी का भी टिकट गया। इससे एसआरके और हुड्डा गुटे के बीच खाईं और बढ़ गई। अब लोकसभा चुनाव में किरण चौधरी अपनी ही पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रही हैं। जिसका खामियाजा रावदान सिंह को भुगतना पड़ सकता है। अपनी ही पार्टी में घोर उपेक्षा का शिकार बंसीलाल की सियायत को विरासत के रूप में आगे बढ़ाने वाली किरण चौधरी ने चुनाव के अंतिम समय में जिस प्रकार ब्यान देकर अपने समर्थकों में स्पष्ट संदेश देने का काम किया है कि वो कांग्रेस में हुड्डा के कारण असहज है और राव दान सिंह पर हुड्डा का पक्का टैग लगने से किरण चौधरी के समर्थकों में कांग्रेस की इस कारगुजारी के चलते रोष है। अब इस रोष के आवेग का पता चुनाव परिणामों में देखने का मिलेगा। यह बात तो लगभग तय हो चुकी है आने वाले समय में कांग्रेस की बागड़ोर यदि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में रहेगी तो किरण चौधरी अवश्य नपेगी।

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