भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। कल शाम से जबसे 3 विधायक कांग्रेस में शामिल हुए हैं, तबसे ही हरियाणा में बड़ी चर्चा चल रही है कि हरियाणा सरकार बचेगी, राष्ट्रपति शासन लागू होगा या कोई और सरकार बनेगी। निर्णय कोई निकल नहीं पा रहा है। मेरी समझ में कारण यह है कि सभी राजनैतिक दल इस मुद्दे पर अपनी-अपनी रोटियां सेंक रहे हैं, कोई भी गंभीर नहीं है।
क्या कहते हैं नेता विपक्ष भूपेंद्र हुड्डा:
नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 3 विधायक मिला लिए और उनका कहना है कि सरकार अल्पमत में आ गई। कल शाम की बात है, आज उन बातों को 30 घंटे से अधिक तो हो चुके होंगे लेकिन सिवाय ब्यान के कोई कार्यवाही भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से होती नहीं देखी गई। कानून के जानकारों का कहना है कि ऐसे में नेता विपक्ष को फौरन राज्यपाल को पत्र लिखना चाहिए कि सरकार अल्पमत में है और हमें मौका दिया जाए लेकिन ऐसा कोई पत्र उनकी तरफ से गया नहीं।

आज ऐसा अवश्य सुना गया कि जब किसी पत्रकार ने उनसे पूछा कि दिग्विजय चौटाला और दुष्यंत चौटाला के जो ब्यान आए हैं कि हम सरकार गिराने में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हैं और वे इस सरकार को गिराएं, हम उनका साथ देंगे तो इस पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जवाब था कि जजपा तो भाजपा की बी टीम है। वह धोखा देगी और ऐसा ही है तो वह क्यों नहीं राज्यपाल को चिट्ठी लिख देते?
इधर कुछ ऐसा ही जजपा की ओर से कहा जा रहा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा के साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं। अत: वह राज्यपाल को पत्र नहीं देंगे, जबकि हमने तो कह दिया है कि हम समर्थन देंगे और कुछ इसी प्रकार की बात इनेलो के अभय चौटाला की तरफ से भी कही जाती रही हैं और भूपेंद्र सिंह हुड्डा इनको भाजपा की बी टीम बताते रहे हैं।
अब जनता पशोपेश में है कि ये पार्टियां अलग चुनाव लड़ रही हैं या भाजपा की बी टीम के रूप में कार्य कर रही हैं। अब ऐसे में जनता के मन में इन दलों के प्रति अविश्वास पैदा हो रहा है कि ये मिलकर राज्यपाल को चिट्ठी क्यों नहीं लिखते?
सरकार का है कहना:
मुख्यमंत्री नायब सैनी कहते हैं कि सरकार के पास पूर्ण बहुमत है। ये सब चुनावों में लाभ लेने के लिए किया जा रहा है लेकिन जनता मोदी के नाम पर विश्वास रखती है और हमें लोकसभा में 400+ सीटें दिलाएगी। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि हमारे पास पूर्ण बहुमत है, जब आवश्यकता होगी हम दिखा देंगे।
विधानसभा की स्थिति यह है कि 88 सदस्य हैं, जिनमें 40 भाजपा के, 10 जजपा के और 30 कांग्रेस के, 1 गोपाल कांडा, 1 अभय चौटाला और 6 निर्दलीय। 6 में से 3 निर्दलीय कांग्रेस के साथ आ गए तो कांग्रेस के हो गए 33। एक अभय चौटाला और बलराज कुंडू भी भाजपा से अलग हैं तो हो गए35 और 10 जजपा के तो मिलाकर 45। तो ऐसी अवस्था में भाजपा का बहुमत तो दिखाई दे नहीं रहा। इसमें भी बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद के बारे में कहा जाता है गुप्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वह भी कांग्रेस के साथ हैं।

कल सोशल मीडिया पर खूब चलता रहा कि राकेश दौलताबाद भी कांग्रेस में शामिल होंगे लेकिन वह हुए नहीं। उसके पश्चात मैं उनसे कल से आज तक 50 बार फोन पर संपर्क करने का प्रयास करता रहा लेकिन सफलता नहीं मिली। हां कुछ सूत्रों से दबी-छिपी बातें पता लगीं, जिनकी सच्चाई का दावा हम नहीं कर सकते, क्योंकि चर्चा है और चर्चा यह है कि उन्होंने अपने विधायक के समय में बहुत धन अर्जित किया है। यदि वह भाजपा का साथ छोड़ेंगे तो कहीं भाजपा उन पर किसी प्रकार की गाज न गिरा दे। अब सच्चाई क्या है यह तो राकेश ही जानें लेकिन जो वह संपर्क नहीं कर रहे, संपर्क के लिए उपलब्ध नहीं हो रहे, उससे संदेह तो उत्पन्न होता ही है।
कुल मिलाकर लगता ऐसा है कि सभी दल अपने-अपने स्वार्थ और भावनात्मक रूप से जनता को बहलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। जनता की चिंता किसी को नजर आती नहीं। खैर, अंत में एक ही बात कहना चाहूंगा अपने प्रदेश के वोटरों से कि राजनैतिक दलों के झूठे नारों के बहकावे में आकर भावनाओं में बहकर किसी को वोट न दें। आपको अपने जनप्रतिनिधि चुनना है तो यह देखें कि कौन व्यक्ति आपकी बात सुनकर उस पर ध्यान दे पाएगा। वैसे ऐसा मिलना तो मुश्किल है लेकिन फिर भी एक बात याद आती है कि रात को सब्जी लेने जाओ तो सब्जी वाले पर सब छंटी हुई खराब सब्जियां रह जाती हैं और हमें उन्हीं में से जो बेहतर हो, वह छांटकर लेनी पड़ती है। कुछ ऐसी ही स्थिति आज वोटर की है तो देखो जो उपलब्ध हैं, उनमें बेहतर का चुनाव करो।