भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज 3 निर्दलीय विधायक भूपेंद्र हुड्डा ने अपनी तरफ कर लिए, जिससे उनका नारा बना कि सरकार अल्पमत में आ गई है। नायब सैनी को इस्तीफा देना चाहिए। साथ ही कुमारी शैलजा की ओर से भी विज्ञप्ति आ गई कि सरकार बहुमत में नहीं है। हरियाणा विधानसभा में 90 सदस्य हैं, बहुमत के लिए 46 चाहिए और भाजपा के पास 42 हैं।

जवाहर यादव का ब्यान:

भाजपा के मीडिया प्रभारी जवाहर यादव ब्यान देते हैं कि अभी 13 मार्च को तो सदन में बहुमत सिद्ध किया था। नियमानुसार 6 माह तो ये बहुमत की बात कर ही नहीं सकते लेकिन हमारे पास अभी भी पूर्ण बहुमत है। बहुमत का फैसला विधानसभा में होता है। ये 3 विधायक जो गए हैं, इनका भी पता नहीं कि वे झूठ कह रहे हैं या सच।

हमारी समझ में :

हमारी समझ में यह सब चुनावों को देखते हुए इसका लाभ उठाने के लिए ब्यानबाजी हो रही है। वास्तव में कुमारी शैलजा ने कहा कि विधानसभा में 90 सदस्य हैं लेकिन वर्तमान विधानसभा में 90 नहीं 88 सदस्य हैं और बहुमत के लिए 45 की आवश्यकता होगी। कुमारी शैलजा कह रही हैं कि भाजपा के 42 है लेकिन भाजपा 40 हैं और 1 निर्दलीय गोपाल कांडा है। इनके अतिरिक्त और भी 4 निर्दलीय हैं, जो भाजपा के साथ हैं। साथ हैं या साथ रहना उनकी मजबूरी है। और फिर जजपा से नाराज विधायक भी भाजपा के साथ हैं। ऐसे में सरकार को तो खतरे वाली बात नजर आती नहीं।

अब सुबह बादशाहपुर के विधायक राकेश दौलताबाद का नाम भी लिया जा रहा था कांग्रेस में जाने वालों में लेकिन शाम होते-होते वह नाम हट गया। मैंने राकेश दौलताबाद से फोन पर बात करने की चेष्टा की लेकिन सफल नहीं हो पाया। उनके सचिव से अवश्य बात हुई और सचिव का कहना था कि वह अभी व्यस्त हैं, कल मैं आपकी बात करा दूंगा। देखिए कल बात होकर क्या परिणाम निकलते हैं?

विधायकों का जाना मोदी की लोकप्रियता की कमी दर्शाता है:

जिस प्रकार ये विधायक कांग्रेस में गए, यह अपने आपमें यह दर्शाता है कि इन्हें यह लगा है कि तीन चरण के चुनाव के पश्चात जब 284 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है तो ऐसे अनुमान लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार जा रही है और ये कुछ ऐसा ही है जैसे एक कहावत है— डूबते जहाज से सबसे पहले चूहे भागते हैं।

यह तो अन्य दलों के विधायकों की बात हुई। भाजपा के अपने परिवार के विधायक या पदाधिकारी भी ऐसी स्थिति में नजर आते हैं कि उन्हें अब यह विश्वास नहीं है कि मोदी के नाम से नैया पार हो जाएगी। जैसे पूर्व गृहमंत्री अनिल विज जब गृह मंत्री थे तब भी उनका कार्य क्षेत्र प्रदेश की बजाय अंबाला में ही सिमटकर रह गया था। उसी प्रकार वर्तमान में स्वास्थ मंत्री और पहले निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता का ध्यान भी केवल अपने क्षेत्र पर ही है। प्रदेश की उन्हें कोई चिंता नहीं है। मैंने स्वयं उनके सचिव को जब वह निकाय मंत्री थे तो निगम के भ्रष्टाचार के समाचार दिए थे और वर्तमान में भी गुरूग्राम में स्वास्थ विभाग में कुछ अस्पतालों के नाम पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जिसके पीछे संभवत: बीजेपी के ही लोग हैं लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब या कार्यवाही नहीं। सोने पर सुहागा यह हो गया कि उनके क्षेत्र से अब रणजीत चौटाला सांसद का चुनाव लड़ रहे हैं। अत: इस बहाने वह अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के पास लगातार भ्रमण कर अपनी याद दिलाते हैं और मोदी के नाम पर रणजीत चौटाला को वोट देने का निवेदन करते हैं। इसी प्रकार राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ का कार्यक्षेत्र भी सिमटकर अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही रह गया है। ऐसे में यह तो कहा ही जा सकता है कि भाजपा के 400 पार के नारे पर भाजपाईयों को भी विश्वास नहीं है।

जनता को इस समय समझना चाहिए कि सभी राजनैतिक दल अपना लाभ लेने के लिए जनता से भावनात्मक रूप से भरमाने के प्रयास में हैं। अत: मैं तो जनता से अनुरोध करूंगा कि अपने विवेक से और अपने विश्वस्त लोगों से बातचीत कर अपने वोट का प्रयोग करें न कि भावनाओं में बहकर।

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