राजा बना प्यादा, भाजपा की चौसर पर सता रहा बगावत का डर लोकसभा चुनाव में राव से असंतुष्ट भाजपा नेता राव इंद्रजीत के मंच पर नज़र नहीं आये ‘राव राजा’ पर मंडरा रहा इस बार हार का खतरा मेव- जाट वोटो के साथ पंजाबी वोट भी छिटकने का खतरा 2019 के विधानसभा चुनाव में सुनील मूसेपुर की हार के, अभी नहीं भरे राव इंद्रजीत के जख्म रुष्ट भाजपा नेताओं ने खामोश रहकर यह दिखा दिया कि वे राव इंद्रजीत को चुनाव जिताने के पक्ष में नहीं अब यह देखना है कि असंतुष्ट भाजपा नेता राव के मंच पर आते हैं या नहीं या फिर राव उनको अपने चुनावी मंच पर बुला पाते हैं या नहीं….? अशोक कुमार कौशिक हरियाणा में लोकसभा चुनाव को लगभग डेढ़ माह का समय शेष रह गया है I राव इंद्रजीत भाजपा की टिकट पर गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और अभी तक कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार भी मैदान नहीं उतारा। एक समय था जब रामपुर हाउस के ‘राव राजा’ की तूती बोलती थी। अहीरवाल की अनेक सीटों पर उलट फेर की क्षमता रखने वाला रामपुरा हाउस अब मोदी परिवार तक सिमट गया। ‘राव राजा’ पहली बार अपने पूर्वज ‘राव तुलाराम’ के बजाए ‘मोदी’ के नाम पर वोट मांग रहे हैं। 2014 के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले राव राजा को आज तक भाजपा के छोटे कार्यकर्ताओं ने मन से स्वीकार नहीं किया है। स्थानीय नेता उनको अनदेखा कर रहे हैं। दिक्कत तो यह भी सामने आ रही है कि प्रदेश नेतृत्व भी उनको भाव नहीं दे रहा। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की दो जनसभाओं में राव इंद्रजीत सिंह का ना होना इस और संकेत करता है। मनोहर लाल खट्टर उनको टिकट दिए जाने से नाखुश है। भाजपा के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि इस बार मनोहर लाल खट्टर राव इंद्रजीत सिंह के लिए सबसे बड़ा खतरा है। अगर खट्टर के इशारे पर पंजाबी समुदाय राव राजा से छिटक गया तो उनकी पराजय निश्चित है। यदि कांग्रेस का उम्मीदवार राज बब्बर के रूप में सामने आता है तो निश्चित है पंजाबी समुदाय उधर खिसक सकता है। उधर मेव मतदाता पहले से ही भाजपा से ‘खफा’ है। पहली बार राव इंद्रजीत सिंह भाजपा की चौसर का शिकार होते दिखाई दे रहे हैं। उनके ऊपर बगावत का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है। 2019 के विधानसभा चुनाव में सुनील मूसेपुर की हार भुलाये नहीं भूली जा रही है। एक तरह राव के जख्म अब भी हरे हैं। रह रहकर उनका यह दर्द जुबान पर आ ही जाता है। इस बार उन्होंने रेवाड़ी आगमन पर इसे पत्रकारों के सामने बयां किया। दूसरी तरफ पूर्व रेवाड़ी विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास,भाजपा नेता डॉक्टर अरविंद यादव, पूर्व जिला प्रमुख सतीश प्रधान सहित अन्य राव इंद्रजीत से रुष्ट भाजपा नेताओं ने खामोश रहकर यह दिखा दिया कि वे राव इंद्रजीत को चुनाव जिताने के पक्ष में नहीं है। रेवाड़ी विधानसभा में अभी जीत के बारे में कुछ कहा नही जा सकता। राव नरवीर का उनसे पहले ही छत्तीस का आंकड़ा है। इसलिए बहुत कम संभावना है कि दोनों तरफ के नेता एक दूसरे के सामने झुके I बेशक राव इंद्रजीत लोकसभा चुनाव जीत जाये पर जनता उनकी कार्यशैली से खुश नहीं हैं,मगर राव इंद्रजीत को जिताना उनकी मजबूरी होगी। पूर्व जिला परिषद् चुनाव में उनके समर्थको में आपसी टकराव के कारण राव इंद्रजीत का एक का पक्ष लेने से नाराज़ भी हैं। अब यह देखना है कि असंतुष्ट भाजपा नेता राव इंद्रजीत के मंच पर आते हैं या नहीं या फिर राव इंद्रजीत उनको अपने चुनावी मंच पर बुला पाते हैं या नहीं । अगर इनकी नाराजगी इसी कद्र आगे बढ़ती गई तो हो सकता है राव इंद्रजीत गुरुग्राम लोकसभा चुनाव, रेवाड़ी विधानसभा चुनाव भी हार जायें I ऐसी संभावनाएं हैं कि लोकसभा चुनाव में राव इंद्रजीत से असंतुष्ट भाजपा नेता राव इंद्रजीत के मंच पर नज़र नहीं आये। 2024 के लोकसभा चुनाव में राव इंद्रजीत की जीत तो पक्की नही समझी जा रही, उसे पर खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है। मेव, जाट और पंजाबी समुदाय उनको लपेट सकता है। Post navigation हरियाणा में सियासी उथल-पुथल का दौर, अनिल विज के भाजपा छोड़ने के कयास ……. सैनी स्कूल से नीरपुर बाईपास तक रेवाड़ी रोड को फोर लेन किया जाए : राव सुखबिन्द्र सिंह