हरियाणा में सियासी उथल-पुथल का दौर, अनिल विज के भाजपा छोड़ने के कयास …….

कुछ भाजपा विधायकों के पाला बदलने बात जोरो पर

चौधरी वीरेंद्र सिंह डूंमरखां कल करेंगे कांग्रेस ज्वाइन

जेजेपी में बड़ी टूट, हरियाणा प्रमुख व राष्ट्रीय महासचिव ने दिया इस्तीफा, कांग्रेस में शामिल होने की संभावना

अशोक कुमार कौशिक

दल बदल के लिए विख्यात रहे हरियाणा में एक बार फिर दल बदले जा रहे हैं। अशोक तंवर, नवीन जिंदल, हिसार से भाजपा के सांसद विजेंद्र सिंह के पाला बदल चुकें हैं। चौधरी वीरेंद्र सिंह भी पाला बदल रहे हैं। हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) को बड़ा झटका देते हुए इसके प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने सोमवार को पार्टी छोड़ दी। कयास लगाए जा रहे हैं कि जेजेपी के कई विधायक भी उनके साथ जाएंगे। निशान सिंह के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है।

जजपा को दुसरा बड़ा झटका आज पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव व नगर परिषद नारनौल की चेयरपर्सन कमलेश सैनी ने भी पार्टी से इस्तीफा देकर दिया। वह भाजपा में शामिल होगी। फतेहाबाद और रतिया से भी जजपा के लोगों ने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है।

2018 में जेजेपी के गठन के बाद निशान सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी

हरियाणा में भाजपा के साथ साढ़े चार साल का गठबंधन तोड़ने के बाद, अजय चौटाला के नेतृत्व वाली जेजेपी ने पिछले महीने घोषणा की थी कि वह राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।

हरियाणा की सभी 10 सीटों पर लोकसभा चुनाव 25 मई को होंगे। भाजपा ने पहले ही सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

जननायक जनता पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव एवं नारनौल नगर परिषद की चेयरपर्सन श्रीमती कमलेश सैनी ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। वह भाजपा में शामिल होंगी। उनके भाजपा में जाने को लेकर काफी दिनों से प्रयास लगाए जा रहे थे। हरियाणा के मुख्यमंत्री बदलने के साथ यह चर्चा जोरों पर थी। नारनौल नगर परिषद की चेयरपर्सन कमलेश सैनी ने जननायक जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा ईमेल के माध्यम से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला के नाम प्रेषित किया है। आपको बता दे कि वह इनेलो और जेजेपी पार्टी से दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी है। इसे पूर्व उनके ससुर भानाराम सैनी भी चौटाला पार्टी इनेलो की तरफ से चुनाव लड़ चुके हैं। वह एक बार महेंद्रगढ़ तथा एक बार नारनौल से चुनाव लड़ चुके हैं।

जेजेपी की प्रदेश महासचिव रेखा शाक्य फतेहाबाद ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है। फतेहाबाद जेजेपी को एक और लगा बड़ा झटका। रतिया हल्के से जेजेपी पार्टी की प्रदेश महिला सचिव ममता कटारिया ने पार्टी को अलविदा कह दिया। ममता कटारिया ने जेजेपी छोड़ने की पुष्टि की है। जल्दी ही जेजेपी पार्टी को अपना इस्तीफा देगी ममता कटारिया।

किस पार्टी में जाऊंगा यह फैसला अभी नहीं लिया, जल्दी ही लूंगी फैसला : ममता कटारिया

उधर भाजपा के नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह डूंमरखां ने कल अपने साथियों सहित कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की घोषणा की है। चौधरी वीरेंद्र सिंह का दावा है कि उनके साथ भाजपा के कुछ विधायक पूर्व विधायक एवं जजपा के लोग कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं। यहां यह बता दें कि हिसार से सांसद उनके पुत्र बिजेंद्र सिंह पहले ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

अनिल विज के भाजपा छोड़े जाने की अफवाहों को लेकर आज उन्होंने अपना स्पष्टीकरण जारी किया है कि सब को पता है की मैं अब एक्स हो गया हूं और सभी जगह पर मुझे एक्स लिखना चाहिए । परंतु जब मैं X पर अपनी प्रोफाइल में एक्स लिखने लगा तो नाम में लिखे जाने वाले अक्षरों को संख्या निश्चित संख्या से ज्यादा हो गई तो उस में से ( मोदी का परिवार ) जो कि मैं हूं ही वह ऊपर से हटाकर नीचे लगाना पड़ा जिससे कुछ लोगों को खेलने का अवसर मिल गया । कृपया इसे अब ठीक कर लें । में भाजपा का अनन्य भगत हूं । इस पर खेलने से पहले अगर मेरे से बात कर ली होती तो आपकी मधुर वाणी सुनने का मौका भी मिलता और यह होता भी नहीं।
अनिल विज पूर्व गृह और स्वास्थ्य मंत्री ।

जेजेपी प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह ने छोड़ी पार्टी : बोले मौखिक तौर पर पार्टी को दे दी जानकारी, जल्द भेजेंगे इस्तीफा

लोकसभा चुनाव से पहले जननायक जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है। जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष निशान सिंह ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। निशान सिंह ने बताया कि वे पार्टी को छोड़ चुके हैं और मौखिक तौर पर पार्टी आलाकमान को सूचित कर चुके हैं। जल्द ही वे लिखित में अपना इस्तीफा पार्टी को भेज देंगे। कांग्रेस में जाने की अटकलों पर उन्होंने बताया कि आगे किसी पार्टी में जाना है या नहीं इस पर अभी विचार नहीं किया है। उन्होंने बताया कि आजकल में वे अपने वर्करों की मीटिंग बुलाएंगे और मीटिंग में उनसे रायशुमारी करेंगे। मीटिंग में जो निर्णय लिया जाएगा, आगे उसी निर्णय के आधार पर फैसला लिया जाएगा।

निशान सिंह ने कहा कि मैं उस फिजा का हिस्सा नहीं हूं, मैं इधर जाने, उधर जाने की फिजा का हिस्सा नहीं हूं, 23 मार्च 1994 को इनेलो ज्वाइन किया था, 30 वर्षों के बाद मन बदल गया है। कुछ कारण होते हैं, उन कारणों को लेकर मन बदल गया है। अभी वर्बली रिजाइन कर दिया है, बाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष को घर जाकर रिजाइन देकर आऊंगा। सारे साथी पारिवारक मेंबर होते हैं, उनसे राय लेकर आगे निर्णय लूंगा।

क्या बोले निशान सिंह

निशान सिंह ने कहा कि पार्टी को अलविदा कह दिया है। पार्टी निर्णय बारे कहा कि अभी तो मौखिक तौर पर कहा है, लिखित में बाद में रिजाइन दूंगा, आगे का निर्णय भाईचारे के साथ बैठकर लूंगा। कई बार आप जिन आशाओं को लेकर आगे बढ़ जाते हैं, कहीं न कहीं बीच में रुकावटें और ब्रेकर आ जाते हैं, जिसकारण आज यह दुखद निर्णय करना पड़ा। यह मुझे भी अच्छा नहीं लगा रहा, लेकिन यह एक मजबूरी होती है। कहीं आपको लगे कि मेरी भावनाओं का हनन हो रहा है तो ऐसे निर्णय लेने पड़ते हैं। मुझे लगता है कि हम सही दिशा में नहीं जा रहे, इससे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा, क्योंकि अभी तक तो रेजिगनेशन भी अधूरा सा है। हमारा जो सिद्धांत सबसे बड़ा धर्म होता है, मेरा धर्म यह कहता है कि हम नहीं चंगे तो बुरा नहीं कोये। मैं वो पॉलिटीशन की तरह जल्दबाजी वाला नहीं हूं जो पार्टी छोडऩे पर बुरा भला कहकर सहानुभूति ले। कहा जाता है मित्र को जब छोडऩा है, मित्रता के भाव से ही छोडि़ए, ताकि मिलें तो शर्मिंदा न हों।

हाल ही के समय में जेजेपी का ग्राफ लगातार नीचे की तरफ गया है। पार्टी बिखराव केे दौर से गुजर रही है। पहले गठबंधन टूटने से सत्ता गई, फिर पार्टी के कई विधायक जेजेपी से खफा नजर आ रहे हैं। अब निशान सिंह पार्टी छोड़ गए हैं। निशान सिंह पार्टी की नीतियों से भी खफा बताए जा रहे हैं।

बता दें कि कल शाम से ही निशान सिंह के पार्टी को छोडऩे की अटकलें तेज हो गई थी। निशान सिंह 1999 में इनेलो पार्टी से टोहाना से विधायक चुने गए थे। इसके बाद वे इनेलो में ही रहे, लेकिन जब इनेलो से टूट कर जेजेपी बनी तो वे इनेलो छोड़कर दुष्यंत चौटाला के साथ जेजेपी में आ गए थे। पार्टी द्वारा उन्हें जेजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। वर्ष 2019 में जेजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए देवेंद्र बबली को टोहाना से टिकट थमा दी थी, जिस कारण निशान सिंह टोहाना से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाए थे।

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