गुडग़ांव, 5 अप्रैल (अशोक): बिजली चोरी के मामले में बिजली निगम द्वारा निचली अदालत के फैसले को जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी। बिजली निगम की अपील पर सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायाधीश सूर्यप्रताप सिंह की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए बिजली निगम की अपील को खारिज कर दिया है और बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान 12 प्रतिशत ब्याज दर से किया जाए।

हंस एंक्लेव के उपभोक्ता सत्यपाल के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार जुलाई 2016 में बिजली निगम ने उपभोक्ता के बिजली के बिल में 26 हजार 761 रुपए की अतिरिक्त धनराशि जोडक़र भेजी थी, लेकिन बिल में इस जोड़ी गई धनराशि का कोई विवरण भी नहीं था। जब उपभोक्ता ने बिजली निगम के कार्यालय से जानकारी प्राप्त की तो उसे बताया गया कि बिजली निगम ने उसका बिजली का मीटर उतारकर लैबोरेट्री में चैक कराया था। जिसमें मीटर टैम्पर्ड पाया गया था। उस पर आरोप लगाया गया कि वह मीटर टैम्पर्ड कर बिजली की चोरी कर रहा था। अधिवक्ता का कहना है कि उपभोक्ता को यह भी नहीं मालूम था कि उसका मीटर कब उतारा गया और कब लैबोरेट्री में चैक किया गया। क्योंकि उसे कभी भी लैबोरेट्री में मीटर चैकिंग के दौरान बुलाया भी नहीं गया था।

उपभोक्ता ने बिजली निगम से काफी आग्रह किया कि उसने कोई चोरी नहीं की है। लेकिन बिजली निगम ने उसकी एक भी नहीं मानी। जिस पर उसे अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। वर्ष 2022 की 24 फरवरी को तत्कालीन सिविल जज मानसी गौड़ की अदालत ने उपभोक्ता के हक में फैसला सुनाते हुए बिजली निगम को आदेश दिए कि बिजली चोरी का मामला गलत है। इसलिए उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई धनराशि का भुगतान 12 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को किया जाए। पभोक्ता का कहना है कि 7 अप्रैल 2022 को बिजली निगम ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर कर दी थी। जिस पर अब जिला एवं सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए अपना फैसला सुना दिया है।

अधिवक्ता का कहना है कि अब उपभोक्ता ने निचली अदालत में एग्जिक्यूशन पिटीशन भी फाइल कर दी है कि बिजली निगम का बैंक अकाउंट अटैच कर उपभोक्ता को ब्याज सहित जुर्माना राशि दिलाई जाए। अधिवक्ता का कहना है कि जितनी धनराशि का यह मामला है, उससे कहीं अधिक धनराशि बिजली निगम केस लडऩे के लिए अपने वकीलों को दे चुका है। उनका कहना है कि अब उपभोक्ता ने इस मामले में संलिप्त कर्मचारियों के खिलाफ अदालत में केस दायर करने का मन बना लिया है कि उसके ऊपर नाहक ही बिजली चोरी का झूठा केस बनाया गया। जिससे उसकी समाज में मानहानि भी हुई है।

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