एक किसान से केवल 25 क्विंटल सरसों ही खरीदी जा रही है। सवाल उठता है कि जिन किसानों के खेतों में 25 क्विंटल से ज्यादा सरसों उत्पादन हुआ है, उन्हे एमएसपी देने से वंचित क्यों किया जा रहा है? विद्रोही

जो किसान अनाज मंडी में 20 से 24 घंटे सरसों बेचने के लिए खडा हो और उनमें से लगभग आधे किसानों की सरसों ज्यादा नमी के नाम पर रिजेक्ट कर दी जाये तो यह खरीद के नाम पर नौटंकी नही तो क्या है? विद्रोही

2 अप्रैल 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि किसानों को भावनात्मक रूप से ठगने 26 मार्च से सरसों व 1 अप्रैल से गेंहू की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की घोषणा तो कर दी, लेकिन धरातल पर सरसों, गेंहू के खरीद के पुख्ता प्रबंधों का भारी अभाव है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल में हालात यह हे कि न तो सरसों की एमएसपी 5650 रूपये प्रति क्विंटल और न ही गेंहू 2275 रूपये प्रति क्विंटल भाव से खरीदने के पुख्ता प्रबंध है। एक अप्रैल को गेंहूू की सरकारी खरीद एमएसपी पर करने की घोषणा के बाद भी सरकारी खरीद प्रारंभ नही हुई है। वहीं सरसों की फसल 5650 रूपये प्रति क्विंटल खरीद की नौटंकी तो हो रही है, पर किसानों की पूरी सरसों नही खरीदी जा रही है और टोकन मिलने पर भी 40 से 50 प्रतिशत किसानों की सरसों नमी ज्यादा होने का बहाना बनाकर खरीदी नही जा रही है।  

विद्रोही ने कहा कि एक किसान से केवल 25 क्विंटल सरसों ही खरीदी जा रही है। सवाल उठता है कि जिन किसानों के खेतों में 25 क्विंटल से ज्यादा सरसों उत्पादन हुआ है, उन्हे एमएसपी देने से वंचित क्यों किया जा रहा है? वहीं अहीरवाल की मंडियों में किसानों की सरसों बेचने के लिए ट्रेक्टर-ट्रालियों की लम्बी-लम्बी लाईने लगी है। किसानों को टोकन लेने में ही 8 से 10 घंटे लग रहे है। फिर 6-7 घंटा सरसों में कितनी नमी है, इसके इंतजार में खडा रहना पडता है। इस तरह एक किसान की सरसों खरीद का नम्बर 15 से 20 घंटे की मशक्कत के बाद आता है। 15 से 20 घंटे इंतजार करने के बाद 40 से 50 प्रतिशत सरसों उत्पादक किसानों को कहा जाता है कि उनकी सरसों में 8.5 प्रतिशत से ज्यादा नमी है, इसलिए एमएसपी पर सरकार उनकी सरसों नही खरीदेगी। सवाल उठता है कि जो किसान अनाज मंडी में 20 से 24 घंटे सरसों बेचने के लिए खडा हो और उनमें से लगभग आधे किसानों की सरसों ज्यादा नमी के नाम पर रिजेक्ट कर दी जाये तो यह खरीद के नाम पर नौटंकी नही तो क्या है?  

विद्रोही ने कहा कि जो किसान अपने घर से सरसों बेचने के लिए मंडी में आ चुका और 20 से 24 घंटे बाद उसे कहा जाये कि उसकी सरसों ज्यादा नमी के कारण रिजेक्ट हो गई, ऐसा किसान क्या अपनी सरसों को वापिस घर ले जायेगा? जावब है नहीे क्योंकि वह ट्रेक्टर का किराया यदि दो बार देगा और दो दिन तक फिर लाईन में लगेगा तो उसे परेशानी के सिवाय कुछ नही मिलने वाला। ऐसी सूरत में अहीरवाल की मंडियों में सरसों बेचने वाले लगभग आधे किसान सरसों रिजेक्ट होने के कारण मजबूरी में अपनी सरसों 5650 रूपये प्रति क्विंटल की बजाय लगभग 5 हजार भाव पर व्यापारियों को बेचने को मजबूर हो रहे है और आधे किसान को सरसों की एमएसपी नही मिल रही। विद्रोही ने कहा कि ज्यादा नमी के नाम पर सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के नेता व व्यापारी मिलकर किसान की सरसों को एमएसपी देने से वंचित करके उसे लूट रहे है।  

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