भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। जैसा कि हमने पहले भी लिखा था कि 1 अप्रैल नए सत्र से प्ले स्कूल से सीनियर सैकेंडरी स्कूल तक गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद करने के आदेश हाईकोर्ट से आए हुए हैं। हमारे सूत्रों के अनुसार जानकारी यह मिली है कि शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी डीईओ को आदेश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में अपने अधिकारियों को आदेश दें कि जितने गैर मान्यता प्राप्त स्कूल हैं, उनकी सूची बनाकर भेजे ताकि उन्हें नोटिस भेजकर नए सत्र के लिए मना किया जाए। जिस पर कई जिलों में कार्यवाही हो भी रही है लेकिन हमारे गुरुग्राम में ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा।

मैं एक सप्ताह से लगातार डीईओ के कार्यालय में फोन कर रहा हंू और उनसे यह जानने का प्रयास कर रहा हूं कि गुरुग्राम की क्या स्थिति है लेकिन पहले तो पांच दिनों तक फोन उठाया ही नहीं, उसके बाद लोक संपर्क अधिकारी को फोन कर जानना चाहा कि मेरी जानकारी में है कि समाचार पत्रों में इस बारे में जानकारी प्रकाशित कराई गई जिससे आम जनता को समय रहते पता लग सके कि वह गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों में बच्चों का दाखिला नहीं करा सकेंगे। इस पर जिला लोक संपर्क अधिकारी ने कहा कि हमारे पास अभी तक कोई प्रेस विज्ञप्ति शिक्षा विभाग की ओर से नहीं आई है। मैं उनका नंबर देता हूं। इस पर मैंने कहा कि वे फोन उठाते नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं आपका नाम और नंबर बता दूंगा। इस पर उधर से फोन उठाया गया लेकिन उठाने वाले का कहना था कि मैं इस बारे में जवाब देने में सक्षम नहीं हूं। उन्होंने कोई और नंबर दिया, जिसका नाम मनीराम बताया। उसे फोन किया तो उसने फोन उठाया और कहा कि अभी मीटिंग में जाना है, बाद में बात करेंगे। मैंने कहा कि मेरे पास जो जानकारी है उसके अनुसार 158 स्कूलों को बंद कराने के आदेश आए हैं और की जानकारी लेनी है आपके विभाग को तो उनका कथन था कि आपकी जानकारी उचित है, हम कार्य कर रहे हैं। मैंने पूछा क्या तो उनका उत्तर था कि अभी डीसी साहब की मीटिंग में जाना है, शाम को उत्तर देंगे। फिर भी कोई उत्तर नहीं मिला। आज भी फोन किया तो जवाब मिला कि मैं मैडम के साथ मीटिंग में व्यस्त हूं अत: बात करने में अक्षम हूं और फोन काट दिया।

इसी प्रकार गुरुग्राम के जनप्रतिनिधि अर्थात विधायक सुधीर सिंगला जी से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन लगातार प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिली। कुछ उनकी टीम के साथियों को फोन किया तो वह भी टाल-मटोल कर गए। कोई उत्तर नहीं मिला। मेरा सोचना यह है कि विधायक होने के नाते भी उनकी जिम्मेदारी है और फिर वह भी स्कूल से जुड़े हुए हैं, इस नाते तो उनकी इसमें दिलचस्पी अवश्य होगी और दिलचस्पी न भी हो तो उनका कर्तव्य बनता ही है।

इस बारे में कुछ स्कूल वालों से बात की तो स्कूल वालों का कहना था कि आदेश तो आए हुए हैं लेकिन अभी चुनाव की घोषणा हो चुकी है। अत: सरकार हमारे स्कूल बंद करने का आत्मघाती कदम नहीं उठाएगी।

इसी प्रकार आम जनता में अनेक आदमियों से संपर्क कर पूछा कि आप इस बारे में कुछ जानते हैं तो आश्चर्य हुआ कि अधिकांश को तो यह पता ही नहीं है कि ऐसे कोई आदेश भी आए हैं, जबकि हाईकोर्ट के निर्देश पर शिक्षा निदेशालय के आदेशानुसार शिक्षा विभाग को इसका प्रचार पूरे जिले में करना चाहिए था।

अब यक्ष प्रश्न यह है कि यदि स्कूल बंद होते हैं तो अनुमान के अनुसार गुरूग्राम में स्कूलों की संख्या 800-1000 के आसपास तो होगी तो उन स्कूलों के विद्यार्थी कहां पढऩे जाएंगे? हरियाणा सरकार के विद्यालयों में भी इतनी जगह नहीं है, जो इतने बच्चों को समायोजित कर सके और मान्यता प्राप्त स्कूलों की फीस इतनी अधिक है कि वहां अनेक मां-बाप बच्चे को पढऩे में सक्षम नहीं हैं। ऐसी स्थिति में जिले के ये बच्चे क्या सडक़ों पर धूल फांकेंगे?

कुछ सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि शिक्षा में एक गठजोड़ बना हुआ है, जिसमें शिक्षा विभाग और मान्यता प्राप्त स्कूल शामिल हैं और ये सरकार के नियमों की रोज धज्जियां उड़ाते हैं।
क्रमश:

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