सरसों की सरकारी खरीद घोषणा से पूर्व सभी पुख्ता प्रबंध व किन गांवों की सरसों खरीदी जायेगी, इसका शैडयूल पहले क्यों नही बनाया? विद्रोही

1 अप्रैल से गेंहू की 2275 रूपये प्रति क्विंटल से सरकारी खरीद करने से पहले भाजपा सरकार व प्रशासन पुख्ता प्रबंध करे ताकि किसानों को व्यर्थ की परेशानी न हो : विद्रोही

लोकसभा चुनावों में किसान मतदाताओं की वोट हडपने सरसों की सरकारी खरीद 26 मार्च से व गेंहू की सरकारी खरीद 1 अपैल से करने की घोषणा के बाद भी जमीन पर पर्याप्त प्रबंध नही हैं : विद्रोही

28 मार्च 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि दक्षिणी हरियाणा में भाजपा सरकार के दावों के बावजूद 5650 रूपये प्रति क्विंटल भाव से सरसों की सरकारी खरीद सूचारू रूप से शुरू नही हुई है। विद्रोही ने कहा कि 26 मार्च से हैफेड द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों की सरकारी खरीद का भाजपा सरकार के फरमान तो जारी कर दिया, लेकिन जमीन पर अभी तक सरकारी खरीद के पुख्ता प्रबंध नही किये है। लोकसभा चुनावों में किसान मतदाताओं की वोट हडपने सरसों की सरकारी खरीद 26 मार्च से व गेंहू की सरकारी खरीद 1 अपैल से करने की घोषणा के बाद भी जमीन पर पर्याप्त प्रबंध नही हैं। दक्षिणी हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र मेें 15 मार्च से ही सरसों बिकने के लिए मंडियों में आ रही है और किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 5650 रूपये प्रति क्विंटल से कहीं कम भाव 4500 से 5100 रूपये प्रति क्विंटल पर अपनी सरसों बेची है। सरकारी खरीद घोषणा के बाद भी किसानों की सरसों खरीदी नही जा रही। 

विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल की मंडियों के बाहर किसानों के ट्रैक्टर-ट्राली सरसों से भरे खडे है, लेकिन जिस तादाद में किसान सरसों बेचने आ रहे है, उस अनुपात में खरीद व्यवस्था नही है। अधिकांश किसानों की सरसों को 8 प्रतिशत से ज्यादा नमी होने का बहाना करके रिजेक्ट किया जा रहा है जिसके चलते किसान अपनी सरसों 5000 रूपये प्रति क्विंटल में व्यापारियों को बेचने को मजबूर है। अब प्रशासन कह रहा है कि गांवों के आधार पर शैडयूल बनाकर सरसों खरीदी जायेगी। विद्रोही ने सवाल किया कि सरसों की सरकारी खरीद घोषणा से पूर्व सभी पुख्ता प्रबंध व किन गांवों की सरसों खरीदी जायेगी, इसका शैडयूल पहले क्यों नही बनाया? वहीं सबसे बडा सवाल यह है कि अहीरवाल में सबसे ज्यादा सरसों उत्पादन होने पर भी सरसों खरीद केन्द्र की संख्या क्यों नही बढाई ताकि किसान सुगमता से से अपनी सरसों एमएसपी पर बेच सके। 

विद्रोही ने कहा कि 1 अप्रैल से गेंहू की 2275 रूपये प्रति क्विंटल से सरकारी खरीद करने से पहले भाजपा सरकार व प्रशासन पुख्ता प्रबंध करे ताकि किसानों को व्यर्थ की परेशानी न हो। वहीं मंडियों गेंहू, सरसों बेचने वाले किसानों की सुविधाओं के लिए न तो पानी का उचित प्रबंध है और न ही छाया की व्यवस्था। अनाज मंडी में खोली गई कथित सस्ते भोजन की व्यवस्था भी नाममात्र की है।

विद्रोही ने मांग की कि मंडियों में सरसों व गेंहुू बेचने वाले किसानों की सुविधा, पानी, छाया, भोजन आदि का पुख्ता प्रबंध हो। वहीं किसान सहजता से एमएसपी पर सरसों व गेंहू फसल को बेच सके, इसका पुख्ता प्रबंध किया जाये और किसानों की सरसों व गेंहू का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदा जायेगा, ऐसा जुमला उछालकर किसानों को भाजपा ठगने की बजाय वास्तव में उनकी फसल का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदे।

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