दल-बदल विरोधी कानून में राजनीतिक दल में शामिल होने से निर्दलीय विधायक की समाप्त हो जाती है सदस्यता — एडवोकेट हेमंत कानूनन बडोली को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विधायक पद से त्यागपत्र देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह निर्दलीय नहीं बल्कि भाजपा पार्टी से ही विधायक है. — एडवोकेट हेमंत चंडीगढ़ – आगामी अप्रैल-मई 2024 में निर्धारित 18वीं लोकसभा आम चुनाव के लिए भाजपा द्वारा उम्मीदवारों की जारी पांचवीं लिस्ट में हरियाणा में इसी माह नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में गठित भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाये गए रणजीत सिंह चौटाला का भी नाम है. रणजीत अक्टूबर, 2019 में सिरसा ज़िले की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए थे. रविवार 24 मार्च की देर शाम ही वह औपचारिक तौर पर भाजपा में शामिल हुए है. वह नवंबर, 2019 में बनी मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में भी कैबिनेट मंत्री बनाये गए थे. उन्हें दोनों बार ऊर्जा (पूर्ववत नाम बिजली) और जेल (कारागार) विभाग आबंटित किये गए. इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस विषय पर एक रोचक परंतु महत्वपूर्ण कानूनी प्वाइंट उठाया है. उन्होंने बताया कि हमारे देश के संविधान की दसवीं अनुसूची, जिसमें दल बदल विरोधी प्रावधान हैं, के अनुसार सदन का कोई निर्वाचित सदस्य, जो किसी राजनीतिक दल द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार /प्रत्याशी से भिन्न रूप में सदस्य निर्वाचित हुआ है अर्थात उसका सदन में दर्जा निर्दलीय सदस्य का है, वह उस सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा यदि वह ऐसे निर्वाचन के पश्चात किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाता है. दूसरे शब्दों में हर निर्दलीय के तौर पर निर्वाचित विधायक उसके कार्यकाल के दौरान कोई राजनीतिक पार्टी नही ज्वाइन कर सकता और अगर वह ऐसा करता है, तो उसे सदन की सदस्यता से हाथ धोना पड़ेगा. इसी आधार पर हेमंत ने बताया कि अब यह देखने लायक होगा कि क्या मौजूदा 14वीं विधानसभा में निर्दलीय तौर पर निर्वाहित विधायक रणजीत चौटाला ने रविवार शाम भाजपा में शामिल होने से पूर्व उनका रानियां सीट के विधायक पद से त्यागपत्र विधानसभा स्पीकर (अध्यक्ष) को सौंप दिया था अथवा नहीं. अगर नहीं, तो दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान के अंतर्गत उनके विरूद्ध उन्हें विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की याचिका स्पीकर के समक्ष दायर की जा सकती है. वर्ष 2013 सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद न केवल सदन का सदस्य (विधायक) बल्कि सामान्य व्यक्ति भी ऐसी याचिका दायर कर सकता है. हेमंत ने यह भी बताया कि भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची में दल-बदल विरोधी प्रावधानों के अनुसार निर्दलीय के तौर पर विधानसभा में निर्वाचित हुए विधायक किसी भी राजनीतिक दल में औपचारिक रूप से शामिल तो नहीं हो सकते है हालांकि वो सत्तारूढ़ सरकार को समर्थन देते हुए उसके मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते है जैसे रणजीत चौटाला पूर्ववत मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा सरकार में और फिर गत 12 मार्च से नायब सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में उर्जा और जेल विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे. बहरहाल, यह पूछे जाने पर कि क्या रानियां के विधायक पद से त्यागपत्र देने के साथ साथ रणजीत चौटाला को मौजूदा नायब सैनी सरकार के कैबिनेट मंत्री पद से भी त्यागपत्र देना पड़ेगा, हेमंत ने बताया कि चूँकि इस माह 12 मार्च को मंत्रीपद की शपथ लेते समय रणजीत विधायक थे, इसलिए उनका मंत्रिमंडल से भी त्यागपत्र देना बनता है जो मुख्यमंत्री के मार्फत प्रदेश के राज्यपाल को सौंपा जाएगा. हालांकि विधायक न होते हुए भी कोई व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री नियुक्त हो सकता है बशर्तें उस नियुक्ति के 6 महीने के भीतर वह व्यक्ति विधानसभा का सदस्य अर्थात विधायक बन जाए जैसे वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी भी मौजूदा विधानसभा के सदस्य नहीं हैं. परन्तु रणजीत चौटाला पर यह लागू नहीं होगा. वैसे भी चूँकि रणजीत को हिसार से भाजपा का लोकसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है, इसलिए उनका प्रदेश मंत्रिमंडल में रहने का औचित्य नहीं बनता. जहाँ तक हरियाणा विधानसभा में सोनीपत ज़िले की राई सीट से विधायक मोहन लाल बडोली को सोनीपत लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी घोषित किये जाने का विषय है, हेमंत ने बताया कि कानूनन बडोली को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए विधायक पद से त्यागपत्र देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह निर्दलीय नहीं बल्कि भाजपा पार्टी से ही विधायक है. Post navigation भाजपा ने हरियाणा की शेष 4 सीट पर प्रत्याशी घोषित किए बोमन ईरानी चंडीगढ़ में पांच दिवसीय सिनेवेस्टर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन करेंगे