स्वभाव (आदतों) के कारण शिकार और फाउल हुए अनिल विज।

राव इंद्रजीत सिंह को झटका विरोधी को बनाया मंत्री,पॉजिटिव अंदर, नेगेटिव बाहर

निर्दलीय विधायक ठगे से रह गए, गठबंधन टूटने के बाद दिया था समर्थन

पावरफुल हुए भाजयुमो के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष पानीपत ग्रामीण के विधायक महीपाल ढांडा

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा में नायब सैनी कैबिनेट का विस्तार हुआ है। नायब सैनी कैबिनेट का यह पहला विस्तार है। हरियाणा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए निर्वातमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने टांग न खिंचने वाले सक्षम और ऊर्जावान विधायकों को जिस तरह से मंत्रिमंडल में शामिल कराया है यह उनकी राजनीतिक चतुराई का प्रमाण है। ऐसा लगता है कि इस नए मंत्रिमंडल ने सरकार की सारी इनकंबेंसी समाप्त कर दी है।

कोई कुछ भी कहे सारे मामले में पर्दे के पीछे खड़े पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल एक रणनीतिकार के रूप में दिखाई दे रहे हैं। नए मंत्रिमंडल में कई चीजों का स्पष्ट संकेत है इसमें वह लोग भी हैं जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने का वह लोग विरोध करते थे जो खुद को दिग्गज मानते हैं ।

अहम बात है कि अनिल विज को मंत्री नहीं बनाया गया है। विधायक कमल गुप्ता को मंत्री बनाया गया है। कमल गुप्ता ने संस्कृत में पद और गोपनीयता की शपथ ली। मंगलवार शाम साढ़े चार बजे शपथ ग्रहण समारोह शुरू हुआ। सीएम नायब सैनी, राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय समारोह में पहुंचे और उन्होंने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

वह लोग भी हैं जिनके मंत्री बनने की चर्चा कोई करता ही नहीं था। यह भी कि किसी ने परफॉर्म नहीं किया तो हटा दिया। किसी में ऊर्जा नजर आई तो बना दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि आज जितने मंत्री बने हैं उनमें कोई निर्दलीय विधायक नहीं है ।अपने आप को मुख्यमंत्री का दावेदार मानने वाले अनिल विज कहीं नहीं है। केंद्रीय मंत्री और अहीरवाल के राजा राव इंद्रजीत सिंह की स्थिति यह है कि जो दो-दो नए मंत्री बनाने की मांग कर रहे थे उनका इस मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री नहीं रह गया है उल्टे जिनका विरोध कर रहे थे उसी डॉक्टर अभय सिंह यादव को मंत्री बना दिया गया है। नए मंत्रिमंडल में लगभग सभी प्रमुख वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है ।

सबसे पहले, डॉ. कमल गुप्ता मंत्री बनाए गए। वह हिसार से दूसरी बार लगातार विधायक बने हैं। वह मनोहर लाल सरकार में भी मंत्री थे। वैश्य समुदाय से आते हैं और पेशे से डॉक्टर हैं। इसके बाद सीमा त्रिखा को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया है। सीमा बड़खल विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक हैं और खुद ब्राह्मण परिवार से आती हैं। हालांकि, पंजाबी परिवार में उनकी शादी हुई है। वह मनोहर पार्ट-1 सरकार में सीपीएस भी रह चुकी हैं।

तीसरे नंबर पर महिपाल ढांडा ने मंत्रीपद की शपथ ली। ढांडा पानीपत ग्रामीण से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। बीजेपी किसान मोर्चा के प्रदेश के अध्यक्ष रह चुके हैं। एबीवीपी में भी लंबे समय तक काम करते हुए छात्र नेता रहे। जाट समाज का प्रमुख चेहरा ढांडा रहे हैं। 2019 में जब सभी बड़े जाट नेता और मंत्री चुनाव हार गए थे। तब दोबारा जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।

इसके बाद, अंबाला शहर से विधायक असीम गोयल ने मंत्रीपद की शपथ ली और उन्हें राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में शपथ दिलाई गई है। सैनी सरकार में चौथे मंत्री के तौर पर डॉ. अभय सिंह यादव ने भी शपथ ली है। उन्हें राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है।  डॉ. अभय यादव नांगल चौधरी से दूसरी बार विधायक बने हैं। 2014 में आईएएस से इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव चुनाव लड़ा था। वह पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं।

अंत में संजय सिंह ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। संजय सिंह सोहना विधानसभा में पहली बार चुनाव लड़कर जीते हैं। उनके पिता कंवर सूरजपाल बंसीलाल सरकार में मंत्री रह चुके है। संजय राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मंत्रिमंडल विस्तार में राव इंद्रजीत सिंह को झटका

आज के मंत्रिमंडल विस्तार में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को बड़ा झटका लगा है। मंगलवार को राव इंद्रजीत सिंह के किसी भी समर्थक विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया बल्कि उनके विरोधी गिने जाने वाले नांगल चौधरी से विधायक डॉक्टर अभय सिंह यादव को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। दो दिन पहले यह चर्चा बड़े जोरों पर थी कि मंत्रीमंडल के गठन में वह दो अहीर विधायकों को मंत्री बनाने की मांग कर रहे थे। जिसका उन्होंने इन्कार कर दिया। हालांकि बावल से विधायक डॉक्टर बनवारी लाल पहले से ही शपथ ले चुके हैं। उन्हें भी उनका समर्थक ही माना जाता है लेकिन मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद डॉक्टर बनवारी लाल को राव इंद्रजीत सिंह से ज्यादा पूर्व सीएम मनोहर लाल का खास माना जाता है।

इससे पहले मनोहर लाल की कैबिनेट में राव इंद्रजीत सिंह समर्थित नारनौल के विधायक ओम प्रकाश यादव शामिल थे। लेकिन नायब सैनी के मंत्रिमंडल में उन्हें जगह नहीं मिल पाई। बताया जा रहा है कि मनोहर लाल खट्टर पहले से ही नांगल चौधरी विधायक डॉ अभय सिंह यादव को पसंद करते थे। लेकिन राव इंद्रजीत सिंह के विरोध के कारण उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था।

निर्दलीय ठगे से रह गए, गठबंधन टूटने पर दिया था समर्थन

इस दूसरे विस्तार में सबसे अहम बात यह भी देखने को मिली कि एक भी निर्दलीय विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। जबकि भाजपा ने जजपा से गठबंधन तोड़कर 6 निर्दलीयों और एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा के समर्थन से सरकार बनाई। वहीं जूनियर महिला कोच सेक्सुअल हैरेसमेंट केस में फंसे संदीप सिंह की भी मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गई।

कुरुक्षेत्र के थानेसर विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक बने सुभाष सुधा को भी सैनी कैबिनेट में जगह दी गई है। उन्हें स्वतंत्र प्रभार के तहत मंत्री बनाया गया है। सुधा ने साल 2014 में उन्होंने बीजेपी पार्टी ज्वाइन की थी और विधायक बने। इससे पहले, कांग्रेस पार्टी में थे। साल 2003 से पहले इनेलो में रहे हैं। 2009 का विधानसभा चुनाव बतौर निर्दलीय लड़ा था। पंजाबी समुदाय से आते हैं। इसी तरह, विशंभर वाल्मीकि को मंत्री बनाया गया है और स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया है। वह बवानी खेड़ा विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं। कैबिनेट में बतौर दलित चेहरा शामिल किए गए हैं। बहुत ही गरीब परिवार से उठकर यहां तक पहुंचे।

अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल पर पार्टी की असीम कृपा, कैंट से चलकर कुर्सी आ गई शहर में

यदि कमलेश ढांडा को ड्रॉप किया गया है तो जाटों को प्रतिनिधित्व देते हुए पानीपत ग्रामीण से लगातार दो बार विधायक बने महिपाल ढांडा को राज्य मंत्री बनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री के विश्वास पात्र पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले सुभाष सुधा भी मंत्रिमंडल में आ गए हैं वह थानेसर का प्रतिनिधित्व करते हैं। हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय कंवर सूरजपाल के पुत्र संजय सिंह को मंत्री बनाया गया है वह राजपूत समाज से हैं सोहना के विधायक हैं। इससे दक्षिणी हरियाणा को भी प्रतिनिधित्व मिला है।

फरीदाबाद जिले से संबंधित दूसरी बार विधायक बनी सीमा त्रिखा भी राज्य मंत्री बनी है। वह जीटी रोड फरीदाबाद और पलवल जिलों का प्रतिनिधित्व करती नजर आएंगी। बेशक भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में टिकट बांटते हुए दलितों में रविदासी समाज को ही प्रतिनिधित्व दिया है परंतु मौजूदा मंत्रिमंडल में वाल्मीकि समुदाय को प्रतिनिधित्व देते हुए विशंभर वाल्मीकि को भी मंत्री बनाया है। एक तरह से भी अनूप धनक की कमी पूरी करेंगे।अंबाला कैंट के विधायक अनिल विज को बेशक छुट्टी दे दी गई हो लेकिन अंबाला शहर के विधायक असीम गोयल को मंत्री बनाकर जीटी रोड बेल्ट अंबाला जिला और अग्रवाल समाज को प्रतिनिधित्व दिया गया है।

संजय सिंह (सोहना) के पिता थे केबिनेट मंत्री बेटा बना राज्मंमत्री , करेगा गुरुग्राम जिले का प्रतिनिधित्व।

सीमा त्रिखा पहले विधायक फिर सीपीएस अब मंत्री करेंगी दक्षिणी हरियाणा, जीटी रोड बेल्ट और महिलाओं का प्रतिनिधित्व। मंत्रिमंडल में अकेली महिला।

आज स्टेटस पाने वाले सभी विधायक बेशक राज्य मंत्री बने हैं परंतु सबके पास स्वतंत्र प्रभार रहेगा और वह अपने विवेक से अपने काम को परफॉर्म कर पाएंगे। राजनीतिक विश्लेषण करने वाले लोगों का मानना है कि नया मंत्रिमंडल बहुत ही चतुराई और राजनीतिक कौशल का फल है। नए मुख्यमंत्री को जहां अनुभवी लोग मिले हैं वहीं नवागंतुकों की भी अच्छी टीम मिल गई है। अब नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल पर नजर डालें तो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के चहेते रणजीत सिंह सिरसा और फतेहाबाद जिलों में अकेले मंत्री हो गए हैं। वे निर्दलीय विधायकों का भी प्रतिनिधित्व करेंगे। बेशक गोपाल कांडा निराश हुए हो परंतु मौजूदा मंत्रिमंडल में जहां दो मंत्री अग्रवाल समाज के हैं वही हरियाणा विधानसभा के स्पीकर भी ज्ञानचंद गुप्ता भी अग्रवाल है। अहीरवाल में डा बनवारी लाल अकेले कैबिनेट मंत्री तथा डॉक्टर अभय सिंह राज्य मंत्री हैं। राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक विधायक ओमप्रकाश यादव की छुट्टी कर दी गई है ।

नेताओं ने मंत्रिमंडल के विस्तार से कई संदेश दे दिए हैं। एक बात पर पर हैरानी व्यक्त की जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी ने जिन निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करके सरकार बनाई थी उन में एक रणजीत सिंह को छोड़कर किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया। रणजीत सिंह पहले भी मंत्री थे। अब इन निर्दलीय विधायकों को यह लग रहा होगा कि यह क्या हुआ, ताकत उनकी सरकार भाजपा की।

कुछ दिन पहले दिल्ली में सीएम नायब सैनी, पूर्व सीएम मनोहर लाल को केंद्रीय मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा से मंथन के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की मंजूरी मिली थी। अब हरियाणा मंत्रिमंडल में 13 मंत्री हो गए हैं।

वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल विज शपथ समारोह में नहीं पहुंचे । उन्होंने कहा कि मुझे शपथ ग्रहण की कोई जानकारी नहीं है। चर्चा थी कि मुख्यमंत्री नायब सैनी अंबाला कैंट के दौरे के दौरान अनिल विज से मुलाकात कर सकते हैं लेकिन सीएम अनिल विज से बिना मुलाकात के ही वापस लौट गए।

इसे पूर्व 12 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ कंवर पाल गुर्जर, जेपी दलाल, मूलचंद शर्मा, डॉक्टर बनवारी लाल के अलावा निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला ने मंत्री पद की शपथ ली थी।

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