पांच बार सांसद रहे राव इन्द्रजीत को भाजपा से तीसरी बार टिकट

राव इंद्रजीत बोले- लोग चाहते थे कि मैं सीएम का पद संभालूं, बेटी आरती को विस चुनाव लड़ाना चाहता हूं

अहीरवाल से सरकार को जितना प्रतिनिधित्व मिलता है उसके बदले उनका रिटर्न नहीं मिलता

अशोक कुमार कौशिक

पिछले लोकसभा चुनावों से पहले इनेलो में बिखराव के बाद जेजेपी अस्तित्व में आई। दोनों ही दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे। दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र में एक-एक प्रतिशत वोट भी नहीं मिल पाए थे। जेजेपी की तुलना में इस सीट पर इनेलो की स्थिति पूर्व में मजबूत रह चुकी है। ऐसे में गठबंधन टूटने का लोकसभा चुनावों में भाजपा को इस सीट पर कोई नुकसान होने की संभावना नहीं है। भाजपा के जिन तीन सांसदों का टिकट फाइनल हुआ है। उसमें राव इन्द्रजीत का नाम पहले सुर्खियों में रहा है।

हिसार में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि भाजपा ने जजपा को बाहर नहीं किया। करीब साढ़े चार साल तक सब ठीक चला था। भाजपा की ओर से उनको जो सीट ऑफर की शायद उनको वह मंजूर नहीं थी।

गाड़ी पटरी पर नहीं बैठी तो वह लोग अलग हो गए। हरियाणा में किया गया बदलाव लोकसभा सीट को लेकर था। भाजपा ने सभी 10 की 10 सीट जीतने के लक्ष्य के चलते यह फैसला लिया।

गुरुवार को हिसार में मीडिया से बातचीत करते हुए राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि लोगों के रोजाना के काम प्रदेश सरकार से अधिक जुड़े होते हैं। हमने दस साल पहले इंसाफ मंच का गठन किया था। कांग्रेस छोड़ने के बाद इस इंसाफ मंच के जरिये राजनीति में जाकर लोगों की सेवा करना चाहते थे। इस बीच नरेंद्र मोदी से बातचीत हुई तो उन्होंने ऑफर दिया कि भाजपा में आ जाओ। भाजपा ने मुझे तीसरी बार मैदान में उतारा है। इससे पहले दो बार कांग्रेस से सांसद रह चुका हूं।

मन की बात सामने रखी

उन्होंने कहा कि अहीरवाल से सरकार को जितना प्रतिनिधित्व मिलता है उसके बदले उनका रिटर्न नहीं मिलता। लोग चाहते थे कि मैं सीएम का पद संभालूं। लोगों के काम के लिए प्रदेश की राजनीति सबसे अहम होती है। उनके छोटे छोटे काम प्रदेश से जुड़े होते हैं। मैं अपनी बेटी आरती राव को विधानसभा लड़ाना चाहता हूं।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल तो मेरी प्राथमिकता लोकसभा चुनाव की है। अगर कोई नेता लंबी राजनीति करना चाहता है तो उसे राजनीति नीचे से शुरू करना चाहिए। लोकसभा में जाने के बाद आप लोगों से कुछ हद तक दूर हो जाते हैं।

पूर्व सीएम मनोहरलाल के साढ़े 9 साल के कार्यकाल पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने कहा कि चलो जैसा भी था ठीक ही था, अब क्या कहना।

2014 में इनेलो ने खेला था मुस्लिम कार्ड

2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ इनेलो ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए जाकिर हुसैन को मैदान में उतारा था। इनेलो का मेवात क्षेत्र में अच्छा जनाधार रहा है। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने इस क्षेत्र के लोगों को साथ जोड़ने के सफल प्रयास किए थे। मेवात क्षेत्र में उनका अच्छा प्रभाव रहा था। इसी प्रभाव के कारण जाकिर हुसैन लगभग 20 फीसदी मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस प्रत्याशी राव धर्मपाल महज 7.25 फीसदी मतों पर सिमटकर रह गए थे।

2009 में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे थे राव इंद्रजीत सिंह

2009 के लोकसभा चुनावों में राव इंद्रजीत कांग्रेस के प्रत्याशी रहे थे। उन्हें बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी ने 15.56 फीसदी मतों के साथ टक्कर देते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था। इनेलो इस चुनाव में महज 0.22 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई थी। गत विधानसभा चुनावों में इनेलो और जेजेपी दोनों ने इस सीट पर प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इनेलो के विरेंद्र राणा को 0.68 फीसदी और जेजेपी के महमूद खान को 0.62 फीसदी वोट ही मिल पाए थे। पूर्व के इन आंकड़ों से यह बात साफ हो रही है कि चौ. ओमप्रकाश चौटाला के पुराने गढ़ पर जेजेपी से ज्यादा इनेलो का दबदबा है। ऐसे में गठबंधन टूटने का इस लोकसभा सीट पर ज्यादा बड़ा असर होने की संभावना दूर तक नजर नहीं आ रही है।

कई विस हलकों में नहीं प्रभावी नेता

इनेलो से अलग होने के बाद जेजेपी ने भले ही गत विधानसभा चुनावों में जाटलैंड में भाजपा के विरोध पर 10 सीटें जीतने में सफलता पाई हो, परंतु अहीरवाल क्षेत्र में पार्टी के हाथ कुछ नहीं लगा। दुष्यंत चौटाला भले ही इनेलो के कुछ प्रभावशाली नेताओं को साथ जोड़ने में कामयाब रहे हों, परंतु दूसरे दलों से कोई भी बड़ा नेता उनके साथ खड़ा नहीं हुआ। संगठन स्तर पर भी पार्टी को विधानसभा चुनावों तक बड़ा बदलाव करना होगा।

कांग्रेस-भाजपा में असमंजस बरकरार

लोकसभा चुनावों की आचार संहिता भी लागू हो गई है। अभी तक कांग्रेस और भाजपा दोनों में गुरुग्राम से प्रत्याशी को लेकर तस्वीर साफ हो गई। राव इंद्रजीत सिंह को टिकट दे दी गई है । कांग्रेस में कैप्टन अजय यादव मैदान छोड़ने के बाद फिर टिकट का जुगाड़ बैठाने में लगे हुए हैं। उनके रहते दूसरे दावेदारों की उम्मीद टूट रही है। इस सीट से महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह ने अपने हाथ खींच लिए हैं।

वैसे ही सीट से राज बब्बर को भी चुनाव लड़ने की बातें सामने आ रही है। गुरुग्राम व रेवाड़ी में पंजाबी समुदाय के मत होने के कारण यह दाव खेला जा सकता है। कहा तो यहां तक जा रहा है की पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी पंजाबियों के बाल होते पर राव इंद्रजीत को शिकस्त देने के चक्कर में हैं।

राव इंद्रजीत सिंह यादव अभी भारत सरकार में राज्य मंत्री हैं । वह भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा के सदस्य भी हैं । वह तीन बार कांग्रेस व दो बार भाजपा के टिकट पर सांसद रहे हैं। छठीं बार संसद जाने के लिए चुनावी मैदान में हैं।

राव का जन्म तत्कालीन रेवाड़ी राज्य ( अहीरवाल ) के शाही परिवार में हुआ था और वह महाराजा राव बीरेंद्र सिंह के पुत्र हैं । जिन्होंने हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था। उन्होंने लॉरेंस स्कूल, सनावर और दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय में अध्ययन किया। जहां उन्होंने कानून की डिग्री ली। वह 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी राजा राव तुला राम के वंशज हैं ।

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