नीलकंठ पाठशाला के द्वितीय वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्यातिथि बोधराज सीकरी ने की शिरकत

राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से करें अपने कर्तव्यों का पालन : बोधराज सीकरी

गुरुग्राम। नीलकंठ पाठशाला जोकि अंबेडकर नगर में स्थित है उसके आज द्वितीय वार्षिकोत्सव पर बोधराज सीकरी जो एन.जी.ओ.प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक है, को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। बता दें कि नीलकंठ पाठशाला डॉक्टर वीणा अरोड़ा द्वारा चलाई जा रही है। जिसमें अत्यंत गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ाई करते हैं और बच्चों से किसी प्रकार की फीस नहीं ली जाती। इस कार्यक्रम में श्री बोधराज सीकरी जी के पहुँचने पर बच्चों द्वारा देशभक्ति गीत, मर्यादा पुरुषोत्तम राम के भजन व पंजाबी गीतों की प्रस्तुति की गई। उसके पश्चात डॉ.वीना अरोड़ा जी ने अंबेडकर नगर के सम्माननीय लोगों से प्रार्थना की कि वह श्री बोधराज सीकरी जी को पगड़ी बांधकर उनका स्वागत व अभिनंदन करें व उनके द्वारा श्री बोधराज सीकरी को पगड़ी बांधी गई व फूल मालाओं से स्वागत किया गया। इसके पश्चात श्री ओम प्रकाश कथूरिया का भी पगड़ी बांधकर स्वागत किया गया। मंच पर अंबेडकर नगर के सम्मानित लोगों ने आए हुए तमाम सभी अतिथियों का स्वागत किया। उसके पश्चात डॉ. वीना अरोड़ा जी ने बोधराज सीकरी से प्रार्थना की कि वह हम सबका मार्गदर्शन करें व अपना संबोधन दें। साथ ही डॉ. वीना अरोड़ा ने कहा कि श्री बोधराज सीकरी जी की पहचान हमारे स्कूल के लिए गॉड-फादर के रूप में है। डॉ. वीना अरोड़ा ने मंच से कहा कि श्री बोधराज सीकरी एवं उनके परिवार द्वारा समय-समय पर बच्चों को चाहे वह बच्चों की गरम ड्रेस हो चाहे ठंडी, चाहे बच्चों की किताबें हों, हर प्रकार से समय-समय पर सहायता की जाती है और उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि श्री बोध राज सीकरी द्वारा की जा रही सहायता के बिना हम बिलकुल अधूरे पड़े हुए थे।

इसके पश्चात जब बोधराज सीकरी ने अपना संबोधन शुरू किया तो सर्वप्रथम श्री सीकरी जी ने जय श्री राम का घोष किया और प्रति उत्तर में बच्चों ने एक ही स्वर में जय श्री राम कहा। बोधराज सीकरी ने बताया कि वीना अरोड़ा जो इन बच्चों को संस्कार दे रही हैं उसके लिये वह साधुवाद की पात्र है। उन्होंने कंहा कि बच्चों को संस्कारवान बनाने में सर्वप्रथम मां, फिर पिता, फिर सखा एवं गुरु की अहम भूमिका होती है। श्री सीकरी जी ने कहा कि मेरे समक्ष जो प्रबुद्ध लोग बैठे हैं सभी संपन्न हैं और मैं उनसे प्रार्थना करता हूं कि वह भी जो उनसे बन पड़े नीलकंठ पाठशाला को बच्चों की सर्वांगीण उन्नति
के लिए कुछ ना कुछ आहुति रूप में सहायता देकर जाएं।

श्री बोधराज सीकरी ने बताया कि जब मैं स्कूल में प्रथम बार आया तो उस समय यहां बच्चों की संख्या 50-60 के करीब थी, आज स्कूल में 137 बच्चे पढ़ रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि मेरे परिवार ने संकल्प लिया है कि स्कूल को अपग्रेड कराएंगे और इसमें अपग्रेड करने के अतिरिक्त बच्चों को संतुलित आहार,अच्छी ड्रेस, अच्छी पुस्तकें और अच्छा वातावरण भी मिलना आवश्यक है और इसके लिए मैं कृतसंकल्पित हूं। श्री सीकरी जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम का उदाहरण देते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पास जब शूर्पणखा (रावण की बहन) शादी का प्रस्ताव लेकर गई तो मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने कहा कि “हे देवी हम खत्री हैं अपमान नहीं सह सकते हैं अपनी को छोड़ बाकियों को माता और बहन समझते हैं “यह है चरित्र की पराकाष्ठा।

इसके साथ-साथ उन्हों ने एक प्रसंग और सुनाया कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने लंका में रावण का वध कर दिया था तो उस समय रावण की पत्नी मंदोदरी ने विभीषण से कहा की मैं उस व्यक्ति के दर्शन करना चाहती हूं जिसने मेरे महाबली पति का वध किया है। विभीषण जब मंदोदरी को लेकर पहुंचे तो मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने उस समय केवल मंदोदरी की परछाई देखी और मंदोदरी को देखा तक नहीं था और परछाई को देखकर कह दिया की माता प्रणाम। मंदोदरी वहीं से ही वापस चली गई और कहा कि बस मुझे उत्तर मिल गया कि जो व्यक्ति परछाई को देखकर माता कह कर संबोधित करके प्रणाम कह सकता है यह है उस का चरित्र और एक मेरा पति जिसने मेरे साथ विवाह किया और मैं विश्व की पांच सुंदरियों में से एक थी उसके पश्चात भी एक बनवासी व्यक्ति की पत्नी को हर कर ले आए और उसको लंका में रखा। निश्चित रूप से चरित्र-हीनता ही उसके वध का कारण था। बोधराज सीकरी ने इस बात को पुनः दोहराया कि चरित्रवान बनने के लिए सर्व प्रथम माता का, फिर पिता का, फिर सखा का और फिर गुरु की विशेष भूमिका होती है। उन्होंने अपने संबोधन में इस बात पर भी जोर दिया कि हम सभी के लिए राष्ट्र सर्वोपरि है बच्चों से भी उन्होंने कहा कि आप हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखना। उन्होंने कहा कि हमारे जो भी ग्रंथ हैं पर सबसे बड़ा ग्रंथ राष्ट्र के लिए हमारा संविधान है। हमें संविधान में दिए गए कर्तव्यों का विशेष रूप से पालन करना चाहिए। बताया कि हमें अपने अधिकार तो पता हैं कि वो छह हैं पर जो हमारे कर्तव्य 11 हैं जिसकी दृढ़ता से पालना करनी चाहिए l अंत में उन्होंने कहा कि डॉक्टर वीना अरोड़ा बहुत ही अच्छा कार्य कर रही है और उसके लिए वह बधाई की पात्र हैं। श्री बोध राज सीकरी ने कहा कि बच्चों में बदलाव आ रहा है और सभी को मेरी ओर से बहुत-बहुत साधुवाद।

आज के कार्यक्रम में उनके साथ सर्व श्री ओम प्रकाश कथूरिया, अशोक आर्य, धर्मेंद्र बजाज, डॉक्टर परमेश्वर अरोड़ा, गजेंद्र गोसाई, लक्ष्मण पाहुजा, रमेश कामरा, द्वारकानाथ मक्कड़, किशोरी लाल डुडेजा, ओम प्रकाश कालड़ा, ओम प्रकाश चुटानी, श्रीमती ज्योत्सना बजाज, श्रीमती पूनम भटनागर, श्रीमती रचना बजाज, श्रीमती सुषमा आर्य, श्रीमती सिमरन बजाज उपस्थित रही।

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