इसी माह के अंत में वर्तमान सचिव आर.के.नांदल की है सेवानिवृत्ति विधानसभा सचिवालय सेवा नियमानुसार प्रदेश सरकार द्वारा स्पीकर से परामर्श कर होती है सचिव पद पर नियुक्ति — एडवोकेट चंडीगढ़ – हरियाणा विधानसभा के वर्तमान सचिव राजेंद्र कुमार नांदल की सेवानिवृत्ति इसी माह मार्च के अंत में निर्धारित है. विधानसभा सचिवालय में विभिन्न वरिष्ठ पदों पर सत्तरह वर्ष से ऊपर की सेवा करने वाले नांदल नवम्बर, 2006 में अर्थात भूपेन्द्र हुड्डा की सरकार दौरान एवं जब झज्जर जिले के बेरी विधानसभा हलके से कांग्रेस विधायक डॉ. रघुबीर सिंह कादयान तत्कालीन 11वीं विधानसभा के स्पीकर (अध्यक्ष) थे, तब नांदल की विधानसभा सचिवालय में सीधे उप सचिव के पद पर नियुक्ति हुई थी जिसके बाद जनवरी, 2010 में वह संयुक्त सचिव, तत्पश्चात फरवरी,2012 में अतिरिक्त सचिव और अगस्त, 2014 में वह सचिव के तौर पर पदोन्नत हुए. बहरहाल, इस सबसे बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि जब नांदल अगस्त, 2014 में विधानसभा सचिव बने, तो उस दौरान सचिव पद पर 25 वर्ष से ऊपर का कार्यकाल पूरा कर चुके सुमित कुमार भी सेवारत थे एवं उनकी तब अढ़ाई वर्ष की सेवा शेष थी. बहरहाल, नांदल के सचिव बनने पर सुमित को प्रधान सचिव के तौर पर पदांकित कर दिया गया एवं वह 31 जनवरी,2017 तक उस पद पर रहे थे. सुमित अप्रैल, 1989 में ताऊ देवी लाल की सरकार दौरान एवं जब हरमोहिंदर सिंह चट्ठा तत्कालीन 6वीं विधानसभा के स्पीकर थे, तब सीधे विधानसभा सचिव नियुक्त हुए थे एवं इस पद पर वह लगातार 28 वर्ष तक पदासीन रहे जो अपने आप से एक रिकॉर्ड है. बहरहाल, नांदल की विधानसभा सचिव पद से सेवानिवृत्ति से पूर्व ही क्या उनके उत्तराधिकारी का चयन एवं नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है या नहीं, यह देखने लायक होगा. चूँकि भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा 18 वीं लोकसभा आम चुनाव की घोषणा इस माह के मध्य से पूर्व कभी भी हो सकती है एवं जिस घोषणा के साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी एवं उसके बाद विधानसभा सचिव पद पर नियमित नियुक्ति मई माह के अंत तक अर्थात लोकसभा चुनाव प्रक्रिया पूरी होने का लटक सकती है. हेमंत ने बताया कि हरियाणा विधानसभा सचिवालय सेवा नियम, 1981 अनुसार हालांकि विधानसभा के सभी पदों की नियुक्ति स्पीकर द्वारा की जा सकती है परन्तु जहाँ तक विधानसभा सचिव के पद का प्रश्न है, तो इस पद पर प्रदेश सरकार द्वारा स्पीकर से परामर्श कर सचिव की नियुक्ति की जाती है. जहाँ तक विधानसभा सचिव के लिए निर्धारित योग्यता एवं अनुभव का विषय है, हेमंत ने बताया कि इस पद के लिए सीधी भर्ती द्वारा, प्रमोशन द्वारा, ट्रांसफर द्वारा और डेपुटेशन (प्रतिनियुक्ति) द्वारा नियुक्ति की जा सकती है. जहाँ तक सीधी भर्ती का विषय है, तो इसके लिए विधि स्नातक अर्थात लॉ डिग्री (प्रोफेशनल ) के साथ साथ या तो सचिवालय प्रशासन, संसदीय प्रक्रिया और विधानसभा के नियमों के व्यवहारिक ज्ञान और पर्यवेक्षीय क्षमता के तौर पर आठ वर्ष का अनुभव अथवा अधीनस्थ न्यायालय में वकील के तौर पर 10 वर्षो की प्रैक्टिस या हाई कोर्ट में वकील के तौर पर 5 वर्ष की प्रैक्टिस होनी चाहिए. जहाँ तक प्रमोशन से विधानसभा सचिव पद पर नियुक्ति का विषय है, तो विधानसभा सचिवालय में एक वर्ष के अनुभव वाला अतिरिक्त सचिव इस पद के लिए योग्य है. इसके अतिरिक्त उपयुक्त ग्रेड का प्रदेश कैडर का आईएएस अधिकारी एवं प्रदेश के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) कार्यालय में तैनात सहायक महाधिवक्ता, उप -महाधिवक्ता और वरिष्ठ उप महाधिवक्ता, जो पब्लिक प्रासीक्यूटर नियुक्त होने के योग्य हो, वह भी ट्रान्सफर आधार पर विधानसभा सचिव बन सकता है. इसी प्रकार प्रदेश के वरिष्ठ जुडिशल सेवा कैडर अर्थात अतिरिक्त डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज रैंक का न्यायिक अधिकारी भी प्रतिनियुक्ति पर विधानसभा सचिव बन सकता है. Post navigation मोदी सरकार के कड़े फैसलों से देश सुरक्षित और मजबूत हुआ : नायब सैनी चंडीगढ़ निगम चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन को झटका, दोनों सीटों पर भाजपा की जीत