प्रदेश में पारदर्शी तरीके से नौकरी मिलती तो बाहर नहीं जाते युवा विदेश जाने के लिए जमीन-जायदाद बेच रहे, फिर शव लाना भी बनता चुनौती चंडीगढ़, 28 फरवरी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में पनपे पेपर लीक माफिया के कारण प्रदेश के युवा विदेशों में जान गंवाने को मजबूर हो रहे हैं। अपने परिवार की जमीन-जायदाद बेच कर ये किसी तरह विदेश तो चले जाते हैं, लेकिन वहां जान गंवाने के बाद शव को वापस लाना परिवार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। प्रदेश में पेपर लीक न होते, समय से पारदर्शी तरीके से सरकारी नौकरी दी जाती तो युवा विदेशों का रूख न करते। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि एक महीना पहले ही कैथल जिले के गांव चंदलाना से जमीन बेचकर कनाडा गए 28 वर्षीय देवीदयाल की वहां पर मौत हो गई है। यहां उसकी पत्नी, दो छोटे-छोटे बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य हैं, लेकिन उसके शव को वापस लाने में ही 25 लाख रुपये का खर्चा आ रहा है। इससे बेटे के साथ अपना सबकुछ गंवा चुके परिवार पर विपदा का बड़ा पहाड़ सा टूट गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह कोई पहला मामला नहीं है, जब इस तरह से विदेश में मौत के बाद परिवार के सामने दिक्कत खड़ी हुई हों। साल 2023 में अकेले कैथल जिले के 5 युवा इसी तरह अपनी जान गंवा चुके। पूरे हरियाणा की बात करें तो यह आंकड़ा 12 से अधिक हो सकता है। परिवार की आर्थिक हालत कमजोर होने के कारण इनमें से कई का शव तो परिजन अंतिम संस्कार के लिए वापस मंगवा भी नहीं पाए और मजबूरी में उन्होंने वहीं पर अंतिम संस्कार की इजाजत देनी पड़ी। कुमारी सैलजा ने कहा कि देश की मोदी सरकार की तरह प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार भी युवाओं को रोजगार देने में विफल ही साबित हुई है। पेपर लीक, एसपीएससी व एचएसएससी से मिल रहे नोटों से भरे सूटकेस के बाद तो युवाओं का प्रदेश की भर्ती एजेंसियों से विश्वास ही उठ चुका है। प्रदेश सरकार भी खाली पड़े सरकारी पदों को भरने की बजाए युवाओं को भर्ती प्रक्रियाओं में उलझा कर रखना चाहती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यहां रोजगार देने में विफल गठबंधन सरकार पिछले दिनों खुद ही प्रदेश के युवाओं को विदेशों में मरने के लिए भेजने की योजना भी शुरू कर चुकी है, जिसमें युद्धग्रस्त इजराइल में मजदूर बनाकर भेजे जाने हैं। इससे पता चलता है कि निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से रोजगार देने में विफल सरकार अपने सिर कोई भी ठीकरा फूटने से पहले युवाओं को बाहर भेजना चाहती है। ताकि, बाद में किसी के साथ कोई अनहोनी भी हो जाए तो इनके सिर पर कोई बात न आए। Post navigation जनता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया बजट पेश- मुख्यमंत्री सदन में भाजपा सरकार जितने बिल लाती है उतने ही घोटाले साथ लेकर आते हैं: अभय सिंह चौटाला