पिछले साल सारी दुनिया में महंगाई घटी, पर हमारे यहां बढ़ी

देश की महंगाई दर आरबीआई द्वारा तय दर से कहीं अधिक

यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण केंद्र सरकार काफी सस्ते में क्रूड खरीद रही है, जबकि पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दामों में कोई कमी नहीं कर रही

चंडीगढ़, 26 फरवरी।  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं उत्तराखंड की प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार के पास महंगाई पर काबू पाने की न कोई नीति है और न ही सोच है। साल 2023 में सारी दुनिया के देशों में महंगाई घटी, लेकिन भारत अकेला ऐसा देश रहा, जहां महंगाई बढ़ी। देश की महंगाई दर आरबीआई द्वारा तय दर से कहीं अधिक है, फिर भी केंद्र में बैठे भाजपाई जुमलेबाजी में व्यस्त हैं।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा की ताजा रिपोर्ट से खुलासा होता है कि पिछले एक साल में दुनिया में प्राकृतिक गैस के दाम 54.1 प्रतिशत तक घटे, लेकिन अपने देश में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। दुनियाभर में गेहूं के दामों में 26 प्रतिशत तक की गिरावट नजर आई, जबकि भारत में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी आंकी गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि साल 2022 के मुकाबले 2023 में वैश्विक स्तर पर यूरिया के दाम में एक साल के अंदर 48.9 प्रतिशत कमी आई, जबकि अपने यहां 3.5 प्रतिशत रेट बढ़ गए। इसके साथ ही यूरिया के कट्टे का वजन भी केंद्र सरकार ने चालाकी से कम कर दिया। साल भर के अंदर कच्चा तेल भी दुनिया में करीब 17 प्रतिशत तक सस्ता हुआ, लेकिन अपने यहां सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम घटाकर आम आदमी को फायदा नहीं पहुंचाया।

कुमारी सैलजा ने कहा कि आरबीआई ने देश में महंगाई दर को 04 प्रतिशत तय किया हुआ है, लेकिन पिछले साल यह 5.69 प्रतिशत बनी रही, जिसे तय दर से कहीं अधिक माना जाता है। महंगाई दर अधिक बनी रहे से होम लोन समेत अन्य ऋण धारकों को ब्याज की महंगी दरों का भुगतान करना पड़ रहा है। जिससे बड़े शहरों व महानगरों में अपना फ्लैट या मकान बनाने का लोगों का सपना भी पूरा नहीं हो पा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण केंद्र सरकार काफी सस्ते में क्रूड खरीद रही है, जबकि पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दामों में कोई कमी नहीं कर रही। पेट्रोलियम कंपनियां लगातार भारी मुनाफा कमा रही है और केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर मोटा टैक्स थोप कर 35 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि देश की जनता की जेब से निकाल चुकी है। इसके बावजूद महंगाई पर काबू पाने के लिए आम आदमी को कोई राहत देने के मूड में नहीं है।

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