चण्डीगढ़, 22 फरवरी- हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन आज दो विधेयक पारित किये गए। इनमें हरियाणा नगर पालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 तथा औद्योगिक विवाद (संशोधन तथा विविध उपबन्ध) (हरियाणा संशोधन) निरसन विधेयक, 2024 शामिल हैं। हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 हरियाणा नगर पालिका अधिनियम, 1973 को संशोधित करने के लिए हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया। हरियाणा राज्य में जनसंख्या मापदण्ड के आधार पर पालिकाओं के तीन स्तर हैं अर्थात नगर निगम, नगर परिषद् एवं नगर पालिका। राज्य में वर्ष 1994 तक, कम शहरी आबादी के फलस्वरूप, केवल नगर परिषदें एवं नगर पालिकायें थी। हरियाणा राज्य की पालिकाओं के मामले के संचालन हेतू हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 (1973 का अधिनियम संख्या 24) को अधिनियमित किया गया था। 74वें संवैधानिक संशोधन के मद्देनजर, बड़े शहरों में नगर निगमों के गठन हेतू हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 (1994 का अधिनियम संख्या 16) अधिनियमित किया गया था। फरीदाबाद शहर के प्रबन्धन के लिए फरीदाबाद को वर्ष 1994 में इसे नगर निगम में परिवर्तित किया गया। उक्त अधिनियम, 1994 की धारा 3 की उप-धारा (2) में तीन लाख या अधिक की आबादी वाले किसी भी क्षेत्र को नगर निगम घोषित करने का प्रावधान है। नगर परिषद्, गुड़गांव (अब गुरूग्राम), यमुनानगर-जगाधरी, पंचकूला, रोहतक, हिसार, अम्बाला, पानीपत, करनाल एवं सोनीपत नगर निगम में अपग्रेड हुई थी जबकि नगर निगम, मानेसर का गठन 24 दिसम्बर, 2020 को किया गया। सभी पालिकाओं का संचालन एकल विभाग अर्थात शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा किया जा रहा है। हालांकि, नगर परिषदें/नगर पालिकायें एवं नगर निगम अलग-अलग अधिनियमों के अधीन संचालित हैं। नगर परिषदों/नगर पालिकाओं के कर्मचारियों की सेवायें 1973 के अधिनियम संख्या 24 के अंतर्गत बनाये गये हरियाणा नगरपालिका सेवा (एकीकरण, भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम, 2010 के तहत संचालित हैं, जबकि नगर निगम के कर्मचारियों की सेवायें 1994 के अधिनियम संख्या 16 के अंतर्गत बनाये गये हरियाणा नगर निगम कर्मचारी (भर्ती एवं शर्ते) सेवा नियम, 1998 के तहत संचालित हैं। नगर परिषदों/नगर पालिकाओं के विलय अथवा नगर परिषदों के नगर निगम में अपग्रेड होने के फलस्वरूप, इनके कर्मचारी नवगठित नगर निगम के कर्मचारी बन जाते हैं। ऐसे में नगर निगम के लिए इनकी वरिष्ठता को दोबारा तय करने में कठिनाईयाँ आती हैं। विभाग द्वारा पालिकाओं के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने हेतू जनहित में, प्रशासनिक आधार पर नगर परिषदों/नगर पालिकाओं के कर्मचारियों को नगर निगमों में तथा नगर निगमों से नगर परिषदों/नगर पालिकाओं में स्थानांतरित किया जाता रहा है। विभाग को ऐसे समायोजन/स्थानांतरणों के दृष्टिगत प्रशासनिक कठिनाईयों एवं परिणामस्वरूप मुकदमेबाजी का सामना करना पड रहा है तथा ये मुकदमेबाजी बेहतर कार्यशैली के लिए पालिकाओं के कर्मचारियों की उचित तैनाती के उद्देश्य को विफल करता है। इसके अतिरिक्त, स्थानांतरित कर्मचारियों की पदोन्नति भी प्रभावित होती हैं। अतः कर्मचारियों की सेवा शर्तों को सुधारने एवं उनकी योग्यता व अनुभव के अनुसार उनकी सेवाओं को उपयोगी बनाने हेतू विभाग द्वारा नगर निगमों, नगर परिषदों एवं नगर पालिकाओं के सभी वर्गों के कर्मचारियों पर समान सेवा नियम लागू करने के लिए हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 में नई धारा 38ए को जोड़कर संशोधित करने की आवश्यकता महसूस की गई है। औद्योगिक विवाद (संशोधन तथा विविध उपबन्ध) (हरियाणा संशोधन) निरसन विधेयक, 2024 औद्योगिक विवाद (संशोधन तथा विविध उपबन्ध) (हरियाणा संशोधन) अधिनियम, 1957 को निरस्त करने के लिए औद्योगिक विवाद (संशोधन तथा विविध उपबन्ध) (हरियाणा संशोधन) निरसन विधेयक, 2024 पारित किया गया। औद्योगिक विवाद (संशोधन तथा विविध उपबन्ध) (हरियाणा संशोधन) अधिनियम, 1957 अधिनियम का निरसन, किसी अधिकारिता, पद, रूढ़िदायित्व, अधिकार, विषेषाधिकार निर्बन्धन, छूट, प्रथा, रिवाज, प्रक्रिया या अन्य मामले पुनरूजीवित या प्रत्यावर्तित करेगा जो अब प्रचलित या लागू नहीं है। औद्योगिक विवाद (संशोधन तथा विविध उपबन्ध) (हरियाणा संशोधन) निरसन विधेयक, 2024 जोकि, औद्योगिक विवाद (संशोधन तथा विविध उपबन्ध) (हरियाणा संशोधन) अधिनियम, 1957 को निरसित करने से संबंधित है, कोई सविधेयक द्वारा निरसित किया जाता है। इसलिए यह बिल प्रस्तुत किया गया है। Post navigation विधानसभा बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने की दो बड़ी घोषणाएं ….. क्या सदन में ताज़ा अविश्वास प्रस्ताव 6 महीने के अंतराल के बाद ही लाया जा सकता है ?