चंडीगढ़/ दिल्ली, 22 फ़रवरी, 2024 – पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच का प्लान दो दिन के लिए टाल दिया है, दरअसल हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर पुलिस और किसानों की झड़प में एक किसान की मौत हो गई. किसानों संगठन एआईकेएस का आरोप है कि पुलिस की कार्रवाई के दौरान किसान की जान गई है, हालांकि हरियाणा पुलिस ने इस बात से इनकार कर दिया. पंजाब के किसान दो दिन तक दिल्ली कूच की कोशिश नहीं करेंगे, खनौरी और शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच के प्लान को एक किसान की मौत के बाद स्थगित कर दिया गया है. बल्लो गांव के चरणजीत सिंह के बेटे शुभकरण सिंह की सिर में गंभीर चोट लगने से मौत हो गई, इसके साथ ही खनौरी और शंभू बॉर्डर पर दर्जनों किसानों को चोटें आई हैं. पटियाला के जिस अस्पताल में शुभ करण सिंह को ले जाया गया था, वहां के एक डॉक्टर ने कहा कि उन्हें गोली लगी है. अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत की सही वजह सामने आ सकेगी. अस्पताल के सीनियर चिकित्सा अधिकारी डॉ रेखी ने कहा, “खनौरी से तीन मरीज हमारे पास आए, उनमें से एक की मौत हो चुकी थी, अन्य दो की हालत स्थिर है. ऐसा लगता है कि उन्हें गोली लगी है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती.” हरियाणा पुलिस ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, आज किसी किसान की मौत नहीं हुई है, यह सिर्फ एक अफवाह है. डेटा में दो पुलिसकर्मियों और एक प्रदर्शनकारी के घायल होने की सूचना है, जिनका इलाज चल रहा है.” ट्रेड यूनियनों ने भी प्रदर्शनकारी युवा किसान की नृशंस हत्या और दर्जनों के घायल होने की कड़ी निंदा करते हुए 23 फरवरी को पूरे भारत में काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है. ट्रेड यूनियनों ने कहा कि काले बैज पहनें, लंच के समय विरोध प्रदर्शन करें, धरना दें, जुलूस निकालें, मशाल/मोमबत्ती की रोशनी में विरोध प्रदर्शन कर देश के मजदूरों और किसानों के प्रति केंद्र सरकार के क्रूर रवैये पर अपनी पीड़ा व्यक्त करें. दिल्ली के बॉर्डरों पर डंटे किसानों पर लाठीचार्ज, प्लास्टिक की गोलियों और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया गया. ये किसान सरकार से एमएसी और तीन कृषि कानून वापस लेने के वक्त किसानों से किए गए वादे पूरे करने की मांग कर रहे थे. किसानों ने बताया कि बॉर्डर पर बैरिकेड तोड़ने की उनकी कोशिशों में नाकाम रहने के बाद हरियाणा पुलिस ने आगे बढ़ रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे. वहीं, जींद के एसपी सुमित कुमार ने कहा- “किसान आंदोलन के दौरान कुछ लोगों ने धान की पराली में आग लगाकर मिर्ची डाल दी, इसके बाद पुलिस पर हमला कर दिया. धुआं ज्यादा होने की वजह से काफी किसानों ने तलवार, भालों और गंडासों से पुलिस पर हमला कर दिया, जिसमें 12 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं.” Post navigation प्रदेश में लगभग 28 – 29 हजार पदों की भर्ती का परिणाम आगामी 8 दिनों में किया जाएगा घोषित – मुख्यमंत्री मनोहर लाल भारतीय इतिहास में कब-कब हुआ किसानों का बड़ा आंदोलन, जिसने हुक्मरानों की चूलें हिलाकर रख दीं