किसान नेता चौधरी संतोख सिंह एवं 45 अन्य किसानों को गिरफ़्तार किया किसानों ने ज़मानत होने के बाद शाम को सात बजे मानेसर तहसील में जाकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा जब तक किसानों की माँगे पूरी नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा-संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम गुरुग्राम, 20 फ़रवरी, 2024 – किसानों की माँगो के समर्थन में आज गुरुग्राम के मानेसर में किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान किया था। आज सुबह से ही किसान मानेसर तहसील में इकट्ठा होना शुरू हो गए थे।किसानों का दिल्ली कूच का कार्यक्रम पैदल मार्च का था और शांतिपूर्वक था। लेकिन सरकार ने सुबह से ही पूरे मानेसर क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया। पंचायत के बाद जैसे ही किसानों ने शांतिपूर्वक दिल्ली कूच आरंभ किया तो पुलिस ने किसानों के साथ धक्का मुक्की की और सभी किसानों को गिरफ़्तार करके बसों में बैठाकर नौरंगपुर पुलिस लाइन में बंद कर दिया। बाद में शाम को सात बजे सभी किसानों की ज़मानत हुई। ज़मानत होने के बाद सभी किसानों ने इकट्ठा होकर मानेसर तहसील कार्यालय में गए और अपनी माँगो के समर्थन में राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। आज कुल 46 किसानों की ज़मानत हुई जिसमें मुख्य रूप से संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम के अध्यक्ष एवं जिला बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व प्रधान किसान नेता चौधरी संतोख सिंह, रोहता सरपंच, शौचंद यादव सरपंच,सत्यदेव देव शर्मा,बंटी चौहान,रोशन लाल यादव,रवि यादव,वीरू सरपंच,माइकल सैनी,महेंद्र पटवारी,मुकेश पवन चौधरी, उम्मेद सिंह यादव, अरुण यादव, मोनू यादव,कनवर लाल यादव तथा अन्य व्यक्ति शामिल थे किसान आंदोलन लगातार 378 दिन तक चला था और किसान आंदोलन में 750 से ज़्यादा किसानों की जान गई थी।सरकार ने किसानों से कई वादे किए थे जो आज तक पूरे नहीं किए।किसान वही मांगें रख रहे हैं जिन्हें पूरा करने का वादा यह सरकार पहले ही कर चुकी है।किसानों की मुख्य मांग एमएसपी @ सी 2+50% का वादा भाजपा और वर्तमान प्रधानमंत्री ने 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में किया था और 10 साल बाद भी इस वादे पर अमल नहीं हुआ।किसानों के लिए एसएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाये। हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में 2018 में किसान विरोधी निर्णय लेते हुए भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनव्र्यव्स्थापन में उचित प्रतिकर तथा पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 मैं संशोधन कर दिया तथा किसान को उसकी ज़मीन का बाज़ार मूल्य (मार्केट रेट) का जो चार गुणा मुआवज़ा मिलता था,उसको घटाकर आधा कर दिया।केन्द्र सरकार ने 2013 मैं 120 साल पुराने भूमि-अर्जन अधिनियम 1984 को निरस्त कर दिया और उसके स्थान पर भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनव्र्यव्स्थापन में उचित प्रतिकर तथा पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 लागू किया गया।यह अधिनियम 1 जनवरी 2014 से लागू हुआ।नए कानून के अनुसार यदि किसी गांव में ज़मीन का अधिग्रहण किया जाएगा तो उसको बाज़ार मूल्य (मार्केट रेट) का चार गुना तथा शहरी क्षेत्र में ज़मीन को अधिग्रहण किया जाएगा तो उसको बाज़ार मूल्य (मार्केट रेट) का दो गुना मुआवज़ा मिलेगा तथा इसके साथ-साथ दूसरे ब्याज के सभी बेनिफिट मिलेंगे तथा ज़मीन अधिग्रहण के लिए 70%किसानों की सहमति ज़रूरी है।हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में किसान विरोधी निर्णय लेते हुए विधानसभा में भूमि अर्जन, पुनर्वासन, पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार, हरियाणा संशोधन विधेयक 2021 पारित कर दिया,जो की किसान विरोधी है।हमारी माँग हैं कि हरियाणा में भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनव्र्यव्स्थापन में उचित प्रतिकर तथा पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 क़ानून ही लागू किया जाए। जिला गुरुग्राम में हरियाणा की तत्कालीन राज्य सरकार ने 10 जनवरी, 2011 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 के तहत मानेसर तहसील के गांवों कासन, कुकरोला और सहरावन में लगभग 1810 एकड़ जमीन को अधिसूचित किया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और कोर्ट ने उपर्युक्त अधिग्रहण कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि, न्यायालय द्वारा दिया गया स्टे 2 दिसंबर, 2019 को हटा दिया गया और उसके बाद उक्त भूमि को 17 अगस्त, 2020 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 6 के तहत अधिसूचित किया गया और बाद में 8 अगस्त, 2022 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत ही अवार्ड की घोषणा कर दी जब कि नया भूमि अधिग्रहण क़ानून 2013 लागू हो चुका था और ज़मीनों के रेट भी कई गुना बढ़ चुके थे। किसान पिछले दो साल से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी सुन नहीं रही है।अब हरियाणा सरकार ‘नो लिटिगेशन पॉलिसी -2023’ लेकर आयी है जोकि किसान विरोधी है। ‘नो लिटिगेशन पॉलिसी -2023’ के अनुसार किसान अधिग्रहीत प्रत्येक एक एकड़ भूमि के लिए 1000 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड तथा किसान को 91 लाख रुपया प्रति एकड़ मिलेगा और किसान को 16,500 रुपये (1,65,00,000)रुपया प्रति वर्गमीटर डेवलपमेंट चार्ज सरकार को पैसा जमा करना होगा। अर्थात किसान को अपनी एक एकड़ ज़मीन के बदले में 1000 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड तब मिलेगा जब किसान सरकार को 74 लाख रुपया जमा कराएगा,जो कि किसानों के साथ सरासर अन्याय है। हमारी माँग है कि या तो किसानों की ज़मीन को अधिग्रहण मुक्त किया जाए या फिर 1200 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड बिना डेवलपमेंट चार्ज के दिया जाए। जिला गुरुग्राम में हरियाणा की तत्कालीन राज्य सरकार ने 21.04.2011 को मानेसर तहसील के गांवों सहरावन, कुकरोला, फाजलवास, कुफरपुर,मोकलवास,खरखड़ी तथा बॉस लांबी गाँवों की ज़मीन अधिग्रहण करके अवार्ड सुनाया था तथा उसी दिन पटवारी के रपट रोज़नामचा में रिपोर्ट दर्ज कराकर ज़मीन का क़ब्ज़ा ले लिया था। उसके बाद 25.04.2011 को उपरोक्त ज़मीन पर सुप्रीम कोर्ट ने अधिग्रहण कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि, न्यायालय द्वारा दिया गया स्टे 2 दिसंबर, 2019 को हटा दिया गया। लेकिन किसानों को उपरोक्त ज़मीन अधिग्रहण के मुआवज़े का आज तक ब्याज नहीं दिया गया है। हमारी माँग हैं कि किसानों को उपरोक्त ज़मीन का आज तक का पूरा ब्याज दिलवाया जाय। गुरुग्राम ज़िले में लगभग पिछले 50 वर्षों से सरकार द्वारा किसानों की ज़मीन अधिग्रहण की जा रही है। विभिन्न गांवों में ज़मीन अधिग्रहण के समय किसान अपने मकान बनाकर रह रहे हैं। समय-समय पर प्रशासन उन मकानों को तोड़ने जाता है जिससे किसानों को लाखों का नुक़सान होता है। हमारी माँग हैं कि गुरुग्राम ज़िला में किसानों के वर्षों पहले बने मकानों को अधिग्रहण से मुक्त किया जाए। दिनांक: 20 फ़रवरी, 2024 श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी,राष्ट्रपति, भारत गणराज्य,राष्ट्रपति भवन,नई दिल्ली। विषय: किसानों की माँगो के समर्थन में ज्ञापन माननीय राष्ट्रपति जी, किसान आंदोलन लगातार 378 दिन तक चला था और किसान आंदोलन में 750 से ज़्यादा किसानों की जान गई थी।सरकार ने किसानों से कई वादे किए थे जो आज तक पूरे नहीं किए।किसान वही मांगें रख रहे हैं जिन्हें पूरा करने का वादा यह सरकार पहले ही कर चुकी है।किसानों की मुख्य मांग एमएसपी @ सी 2+50% का वादा भाजपा और वर्तमान प्रधानमंत्री ने 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में किया था और 10 साल बाद भी इस वादे पर अमल नहीं हुआ।किसानों के लिए एसएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाये। हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में 2018 में किसान विरोधी निर्णय लेते हुए भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनव्र्यव्स्थापन में उचित प्रतिकर तथा पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 मैं संशोधन कर दिया तथा किसान को उसकी ज़मीन का बाज़ार मूल्य (मार्केट रेट) का जो चार गुणा मुआवज़ा मिलता था,उसको घटाकर आधा कर दिया।केन्द्र सरकार ने 2013 मैं 120 साल पुराने भूमि-अर्जन अधिनियम 1984 को निरस्त कर दिया और उसके स्थान पर भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनव्र्यव्स्थापन में उचित प्रतिकर तथा पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 लागू किया गया।यह अधिनियम 1 जनवरी 2014 से लागू हुआ।नए कानून के अनुसार यदि किसी गांव में ज़मीन का अधिग्रहण किया जाएगा तो उसको बाज़ार मूल्य (मार्केट रेट) का चार गुना तथा शहरी क्षेत्र में ज़मीन को अधिग्रहण किया जाएगा तो उसको बाज़ार मूल्य (मार्केट रेट) का दो गुना मुआवज़ा मिलेगा तथा इसके साथ-साथ दूसरे ब्याज के सभी बेनिफिट मिलेंगे तथा ज़मीन अधिग्रहण के लिए 70%किसानों की सहमति ज़रूरी है।हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में किसान विरोधी निर्णय लेते हुए विधानसभा में भूमि अर्जन, पुनर्वासन, पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार, हरियाणा संशोधन विधेयक 2021 पारित कर दिया,जो की किसान विरोधी है।हमारी माँग हैं कि हरियाणा में भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनव्र्यव्स्थापन में उचित प्रतिकर तथा पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 क़ानून ही लागू किया जाए। जिला गुरुग्राम में हरियाणा की तत्कालीन राज्य सरकार ने 10 जनवरी, 2011 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 4 के तहत मानेसर तहसील के गांवों कासन, कुकरोला और सहरावन में लगभग 1810 एकड़ जमीन को अधिसूचित किया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और कोर्ट ने उपर्युक्त अधिग्रहण कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि, न्यायालय द्वारा दिया गया स्टे 2 दिसंबर, 2019 को हटा दिया गया और उसके बाद उक्त भूमि को 17 अगस्त, 2020 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 6 के तहत अधिसूचित किया गया और बाद में 8 अगस्त, 2022 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के तहत ही अवार्ड की घोषणा कर दी जब कि नया भूमि अधिग्रहण क़ानून 2013 लागू हो चुका था और ज़मीनों के रेट भी कई गुना बढ़ चुके थे। किसान पिछले दो साल से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी सुन नहीं रही है।अब हरियाणा सरकार ‘नो लिटिगेशन पॉलिसी -2023’ लेकर आयी है जोकि किसान विरोधी है। ‘नो लिटिगेशन पॉलिसी -2023’ के अनुसार किसान अधिग्रहीत प्रत्येक एक एकड़ भूमि के लिए 1000 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड तथा किसान को 91 लाख रुपया प्रति एकड़ मिलेगा और किसान को 16,500 रुपये (1,65,00,000)रुपया प्रति वर्गमीटर डेवलपमेंट चार्ज सरकार को पैसा जमा करना होगा। अर्थात किसान को अपनी एक एकड़ ज़मीन के बदले में 1000 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड तब मिलेगा जब किसान सरकार को 74 लाख रुपया जमा कराएगा,जो कि किसानों के साथ सरासर अन्याय है। हमारी माँग है कि या तो किसानों की ज़मीन को अधिग्रहण मुक्त किया जाए या फिर 1200 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड बिना डेवलपमेंट चार्ज के दिया जाए। जिला गुरुग्राम में हरियाणा की तत्कालीन राज्य सरकार ने 21.04.2011 को मानेसर तहसील के गांवों सहरावन, कुकरोला, फाजलवास, कुफरपुर,मोकलवास,खरखड़ी तथा बॉस लांबी गाँवों की ज़मीन अधिग्रहण करके अवार्ड सुनाया था तथा उसी दिन पटवारी के रपट रोज़नामचा में रिपोर्ट दर्ज कराकर ज़मीन का क़ब्ज़ा ले लिया था। उसके बाद 25.04.2011 को उपरोक्त ज़मीन पर सुप्रीम कोर्ट ने अधिग्रहण कार्यवाही पर रोक लगा दी। हालांकि, न्यायालय द्वारा दिया गया स्टे 2 दिसंबर, 2019 को हटा दिया गया। लेकिन किसानों को उपरोक्त ज़मीन अधिग्रहण के मुआवज़े का आज तक ब्याज नहीं दिया गया है। हमारी माँग हैं कि किसानों को उपरोक्त ज़मीन का आज तक का पूरा ब्याज दिलवाया जाय। गुरुग्राम ज़िले में लगभग पिछले 50 वर्षों से सरकार द्वारा किसानों की ज़मीन अधिग्रहण की जा रही है। विभिन्न गांवों में ज़मीन अधिग्रहण के समय किसान अपने मकान बनाकर रह रहे हैं। समय-समय पर प्रशासन उन मकानों को तोड़ने जाता है जिससे किसानों को लाखों का नुक़सान होता है। हमारी माँग हैं कि गुरुग्राम ज़िला में किसानों के वर्षों पहले बने मकानों को अधिग्रहण से मुक्त किया जाए। हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप किसानों की इन न्याय संगत मांगों को ज़रूर पूरा करवाएंगे।धन्यवाद।दक्षिण हरियाणा किसान खाप समितिसंयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम Post navigation बिजली समस्या का गुणवत्ता पूर्वक समाधान हो – पीसी मीणा प्रॉपर्टी टैक्स डाटा सेल्फ सर्टिफाई के लिए चलाया जा रहा है विशेष अभियान